Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Videos Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019नरसिंहानंद को कानून का कोई डर क्यों नहीं है?

नरसिंहानंद को कानून का कोई डर क्यों नहीं है?

मुस्लिमों को मारने की सरेआम अपील के बाद, जनवरी 2022 में नरसिंहानंद को गिरफ्तार किया गया था

रोहित खन्ना
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<div class="paragraphs"><p>बिना इजाज़त नरसिंहानंद ने बुराड़ी में आयोजित किया महापंचायत</p></div>
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बिना इजाज़त नरसिंहानंद ने बुराड़ी में आयोजित किया महापंचायत

(फ़ोटो: Altered by Quint HIndi)

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ये जो इंडिया है ना, यहां कोई या तो यति नरसिंहानंद से डरता है, या उनकी हेट स्पीच का चुपचाप समर्थन करता है. सुनिए 3 अप्रैल को देश की राजधानी, दिल्ली के बुराड़ी एरिया में, नरसिंहानंद ने एक कथित हिंदू महापंचायत में क्या कहा – ‘चालीस फीसदी हिंदू मारे गए जाएंगे अगर कोई मुस्लिम पीएम बना. 50% फीसदी हिंदुओं का धर्मांतरण हो जाएगा. इससे लड़ने के लिए मर्द बनो. हथियार उठाओ!’ -

ये 100% हेट स्पीच है. खुलेआम. जो करना है कर लो.

मैं क्यों कह रहा हूं, कर जो करना कर लो? क्योंकि सिर्फ दो महीने पहले, नरसिंहानंद इसी गुनाह के लिए जेल में थे - हेट स्पीच. दिसंबर 2021 में हरिद्वार में आयोजित, एक कथित धर्म संसद, जो कि असल में एक नफरती संसद थी, उसमें नरसिंहानंद ने अन्य कट्टर हिंदुत्व नेताओं के साथ खुलेआम नफरती भाषण दिये थे.

मुस्लिमों को मारने की इस सरेआम अपील के बाद, जनवरी 2022 में नरसिंहानंद को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन कुछ ही हफ्तों में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था.

लेकिन जमानत पर छूटे नरसिंहानंद, फिर से वैसा ही नफरती भाषण देने से नहीं झिझके. क्यों? नरसिंहानंद को कानून का कोई डर क्यों नहीं है? क्या इसलिए, क्योंकि कानून, पुलिस और सरकार नरसिंहानंद से डरती है? या फिर किसी ने उनके कान में कहा है कि तुम हेट स्पीच देते रहो, हम तुम्हारे पीछे खड़े हैं. अगर गिरफ्तार हो भी गए तो भी तुरंत जमानत मिल जाएगी. याद रखिए नरसिंहानंद के हेट स्पीच वायरल हैं, ऐसे वीडियो जिनपर पुलिस सख्त एक्शन ले सकती है, लेकिन फिर भी नरसिंहानंद को सिर्फ कुछ दिन की जेल मिलती है, क्योंकि उनके ऊपर देशद्रोह का केस नहीं लगाया जाता, उनपर UAPA का केस नहीं लगता. इसलिए नरसिंहानंद को आराम से बेल मिल जाती है, लेकिन उमर खालिद 550 दिन से ज्यादा जेल में रह जाता है, जबकि ऐसा कोई वीडियो हमारे सामने नहीं है जिसमें उमर ने हेट स्पीच दी हो. इस तरह कानून का दुरुपयोग वाकई में दुखद है.

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विडंबना ये भी है कि 3 अप्रैल की इस हिंदू महापंचायत को दिल्ली पुलिस ने इजाजत भी नहीं दी थी. दिल्ली पुलिस ने ऑन रिकॉर्ड ये बात मानी भी है. तो सवाल फिर ये है कि पुलिस ने इस नफरत की महापंचायत को होने कैसे दिया? आयोजकों को रोका क्यों नहीं? उनके मंसूबे, लोकेशन, तारीख, कुछ भी सीक्रेट नहीं था, सबको सब कुछ पता था. दिल्ली पुलिस को ये भी पता था कि इन्हीं लोगों ने सितंबर 2021 में भी, जंतर मंतर पर एक और नफरत का सम्मेलन आयोजित किया था. आप भी सुनिए -

अमन और शांति को बार-बार भंग करने वाले इन लोगों को ईवेंट से पहले ही हिरासत में क्यों नहीं लिया गया? मौके पर भारी पुलिस बल होने के बावजूद नरसिंहानंद, सुरेश चव्हाणके समेत कई लोग फिर से नफरती भाषण कैसे दे पाए? मुझे डर है कि इन सवालों के जवाब हमें कभी नहीं मिलेंगे.

इसी महापंचायत को कवर करने गए पत्रकारों पर भी हमला किया गया. Article-14.com के अरबाब अली ने बताया कि भीड़ ने उनपर और Hindustan Gazzette के मीर फैसल पर हमला किया. उनके फोन, कैमरा छीन लिए, फुटेज डिलीट करा दिया, और उन्हें ''जिहादी'' कहा.

Newslaundry के रिपोर्टर शिवांगी सक्सेना और रौनक भट को भी निशाना बनाया गया. एक ट्वीट में शिवांगी ने कहा कि महापंचायत के आयोजकों में से एक प्रीत सिंह ने मंच से उनका नाम लिया. शायद इसीलिए भीड़ ने उन्हें निशाना बनाया. फ्रीलांस फोटो जर्नलिस्ट मोहम्मद मेहरबना पर भी हमला किया गया. उनके सर में चोट आई. क्विंट के मेघनाद बोस के साथ भी धक्का मुक्की हुई.

हां, पुलिस ने पत्रकारों की मदद की. उन्हें भीड़ से दूर ले गई. नरसिंहानंद और चव्हाणके के खिलाफ दो समुदायों के बीच भाईचारा बिगाड़ने, दुश्मनी बढ़ाने का केस भी दर्ज किया गया है, लेकिन एक बार फिर ये काफी कम है और काफी लेट है. नुकसान हो चुका है, हेट स्पीच दी जा चुकी है... वारयल हो चुकी है.

प्रयागराज और रायपुर से लेकर हरिद्वार और दिल्ली तक, भारत भर के सिनेमा घरों में, कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में, वॉट्सऐप से लेकर बाकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नफरत को बढ़ने की छूट दी जा रही है और कानून के रखवाले इसे रोकने के लिए या तो कुछ नहीं या बहुत थोड़ा कर रहे हैं.

और इसलिए मैं फिर वो बात कहता हूं – कि ये जो इंडिया है ना, यहां कोई तो है जो या तो यति नरसिंहानंद और उनकी नफरती झुंड से डरता है या फिर उनका मौन समर्थन करता है.

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