मेंबर्स के लिए
lock close icon

India in 2024: 12 आंकड़े जो 2023 के बाद 2024 पर भी डालेंगे असर

बीते वर्षों की तरह, 2023 को भी संख्याओं के एक अनूठे सेट से परिभाषित किया गया.

यशवंत देशमुख & सुतानु गुरु
नजरिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>यहां 12 संख्याओं की एक सूची दी गई है जो  2023 और 2024 के लिए हमेशा अद्वितीय होगी.</p></div>
i

यहां 12 संख्याओं की एक सूची दी गई है जो 2023 और 2024 के लिए हमेशा अद्वितीय होगी.

(फोटो: विभूषिता सिंह/द क्विंट)

advertisement

कहते हैं, एक तस्वीर हजार शब्द से ज्यादा मायने रखती है. लेकिन आंकड़े भी कई बार दिलचस्प कहानियां कहते हैं, निरंतरता की, परिवर्तन, उम्मीद, निराशा, उत्साह और उल्लास की.

बीते वक्त की ही तरह, 2023 के आंकड़े भी अनूठे थे. यहां हम 12 आंकड़ों की फेहरिस्त दे रहे हैं जोकि 2023 और 2024 दोनों के लिए अहम हैं, लेकिन इनका महत्व इनकी तरतीब के अनुसार बढ़ते या घटते क्रम में नहीं है.

31 लाख

समकालीन चुनावी विमर्श में यह अब भी एक विवादास्पद विषय बना हुआ है. ओवरसीज़ कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने एक बार फिर उन पर चिंता जताई है.

सरकार ने 2023 में इसके लिए लगभग 1900 करोड़ रुपए अलग रखे थे. 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान जब मतदाता मतदान केंद्रों के बाहर कतार में लगेंगे, तो पूरे भारत में लगभग 31 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें (ईवीएम) उनका इंतजार कर रही होंगी.

समय-समय पर ईवीएम की क्षमता और विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाते रहे हैं; 2009 में लोकसभा चुनावों में हार के बाद पहली बार बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) ने इसे संदिग्ध बताया था, और जब बीजेपी ने खुद चुनाव जीतने शुरू किए, तब विपक्षी दल वही दोहराने लगे.

1.5 अरब डॉलर

यह संख्या भारत में डिजिटल भुगतान की आश्चर्यजनक सफलता को दर्शाती है; यह लेनदेन भारत के कोने-कोने में इतना फैल चुका है कि यहां आने वाली जानी-मानी हस्तियां भी इस क्रांति से स्तब्ध रह जाती हैं. 2023 में डिजिटल मोड या यूपीआई के जरिए होने वाला लेनदेन 1.5 अरब डॉलर को पार कर गया है.

शायद ही कोई संस्था, दुकान या सर्विस प्रोवाइडर होगा जिसके पास वह स्कैनिंग मशीन न हो, जिसके जरिए लोग वस्तुओं और सेवाओं के लिए भुगतान करते हैं. भौतिक अवसंरचना के अलावा, यह पिछले दशक में भारत की कामयाबी की गाथा बनी हुई है.

125 अरब डॉलर

यह आंकड़ा बहुत चौंकाऊ है. लेकिन इतनी ही धनराशि ब्ल्यू और व्हाइट कॉलर वर्कर्स और दूसरे ओवरसीज़ भारतीय स्वदेस भेजते हैं. इसे रेमिटेंस कहा जाता है और यह दुनिया के सभी देशों में सबसे ज्यादा है. 67 अरब डॉलर के इनवार्ड रेमिटेंस के साथ मेक्सिको का स्थान इसके बाद आता है.

एफडीआई के साथ-साथ रेमिटेंस ने भारत के चालू खाता घाटे को कम करके, बहुत हद तक मैनेज करने लायक बनाया है.

72,000

यह करीब-करीब ऐसा ही है जैसे दलाल स्ट्रीट में बुल्स यानी तेजड़ियों को बेकाबू होकर दौड़ने और बीयर्स यानी मंदडियों को तहस-नहस करने का लाइसेंस दे दिया जाए. यकीनन, ऐसा भी वक्त रहा है, जब सेंसेक्स में गिरावट आई. लेकिन कुल मिलाकर उम्मीदें बढ़ी हैं, और सेंसेक्स ने सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए 72,000 अंक के स्तर को पार कर लिया है.

जनवरी 2023 में सेंसेक्स 60,000 अंक के आसपास मंडरा रहा था. इस तेजी ने भारत के बाजार पूंजीकरण को 40 खरब डॉलर के पार पहुंचा दिया है; विश्व में पांचवें स्थान पर. अगर तेजी जारी रही तो भारत हांगकांग को पछाड़कर चौथे नंबर पर आ सकता है.

40 लाख

जब से भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड-19 के झटके से उबरी है, उच्च मध्यम वर्ग और दौलतमंद भारतीय लोग जमकर खर्च कर रहे हैं. पैसेंजर वाहनों की बिक्री से यह साफ जाहिर होता है जोकि 2023 के कैलेंडर वर्ष में पहली बार 40 लाख का आंकड़ा छूने वाला है.

यहां तक कि बाजार की संरचना भी बदल रही है और उपभोक्ता तेजी से एसयूवी और हाई-एंड मॉडल को पसंद कर रहे हैं. दूसरी ओर बेहतरी के सपने देखने वाले लोग, जिन्हें एस्पिरेशनल इंडियंस कहा जाता है, इतने उत्साहित नहीं हैं क्योंकि दोपहिया वाहनों की बिक्री अभी भी 2018 के आंकड़ों से काफी नीचे है. उस साल बिक्री का आंकड़ा 2 करोड़ 20 लाख के करीब था.

82 करोड़

यह भारत के लिए एक रियलिटी चेक है. नरेंद्र मोदी सरकार ने 2023 में तय किया कि सभी "गरीब" या कमजोर भारतीयों को मुफ्त भोजन देने के लिए अप्रैल 2020 में जो योजना शुरू की गई थी, उसे 2028 तक पांच साल के लिए बढ़ा दिया जाए.

अनुमान है कि इस योजना से 82 करोड़ भारतीय लोगों को फायदा होगा. 2022-23 में इस योजना पर 2.87 लाख करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान है, जिससे बेशक, यह दुनिया में किसी भी सरकार की तरफ से चलाई जाने वाली सबसे बड़ी कल्याणकारी योजना बन गई. इससे कमजोर भारतीयों को बहुत फायदा होगा क्योंकि आमतौर पर गरीब परिवार के बजट में भोजन का हिस्सा 50% से अधिक होता है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

35 करोड़ टन

यह भी एक रिकॉर्ड है. भारत के उद्यमशील किसानों ने नए तरीकों और तकनीक का इस्तेमाल कुछ इस हद तक करना शुरू कर दिया है कि 2023 में उन्होंने 35 करोड़ टन फलों और सब्जियों का उत्पादन किया. कुछ सालों से बागवानी उत्पादन, कृषि उत्पादन से ज्यादा हो रहा है, और इस जबरदस्त बदलाव पर ज्यादातर लोगों का ध्यान नहीं गया है.

10 साल पहले तक तिलहन सहित कृषि उत्पादन 30 करोड़ टन के करीब था, और बागवानी उत्पादन 28 करोड़ टन के आस-पास. लेकिन उत्पादकता बढ़ने के बावजूद किसानों को इसका बहुत फायदा नहीं मिल रहा क्योंकि संगठित बाजार और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की कमी है.

10.7 अरब डॉलर

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि भारतीय क्रिकेट टीम किसी भी आईसीसी टूर्नामेंट को जीतने में असफल रहती है. भारतीय प्रशंसकों के लिए क्रिकेट एक धर्म है और खिलाड़ी उनके भगवान. आईपीएल दुनिया में क्रिकेट प्रतिभा और मनोरंजन का सबसे बड़ा प्रदर्शन है. 2023 में यह और भी बड़ा हो गया.

इसका मूल्य आश्चर्यजनक रूप से 10.7 अरब डॉलर आंका गया है, जो इसे दुनिया के सबसे बेशकीमती टूर्नामेंट्स में से एक बनाता है. खिलाड़ी खुद भी इसे भुना रहे हैं. हाल ही में हुई नीलामी में ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज माइकल स्टार्क को शाहरुख खान के स्वामित्व वाली कोलकाता नाइट राइडर्स ने 24.75 करोड़ रुपए के पेपैकेज पर खरीदा है.

80 करोड़

भारत में कहीं भी जाइए- भीड़ भरे बाजार में या मेट्रो के कोच से लेकर घर में डाइनिंग टेबल तक, सभी लोग अपने मोबाइल में घुसे हुए नजर आते हैं. कोई खबरें खंगाल रहा है, कोई पोर्न साइट एक्सेस कर रहा है, लेकिन ज्यादातर लोग चुनींदा सोशल मीडिया साइट्स में डूबे हुए हैं. 2023 के आखिर तक 80 करोड़ से अधिक भारतीय इंटरनेट के एक्टिव यूजर्स बन गए हैं.

कोविड-19 के बाद से विकास में मंदी आई है क्योंकि कम पैसे वाले लोगों ने स्मार्टफोन की खरीदारी का इरादा फिलहाल टाल दिया है. लेकिन जब रिलायंस जियो जैसी कंपनियां कम कीमत वाले लेकिन फंक्शनल स्मार्टफोन पेश कर रही हैं, तो इंटरनेट के इस्तेमाल में एक और धमाके का इंतजार किया जा सकता है क्योंकि हमारे यहां डेटा की कीमत दुनिया में सबसे कम है.

21 करोड़ 50 लाख

भारत में अब भी दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब लोग बसते हैं, 2023 में लगभग 21 करोड़ 50 लाख. नीति आयोग ने खुद यह कहा है. उसने 2021 में एक बहुआयामी गरीबी उपाय शुरू किया है जिसके तहत गरीबी को मापने के लिए क्वालिटी-ऑफ-लाइफ से संबंधित 12 संकेतकों का इस्तेमाल किया जाता है.

2023 के अपडेटेड एक्सपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 15% भारतीय बहुआयामी गरीबी में रहते हैं. ओडिशा जैसे कुछ राज्यों में सुधार हुआ है; लेकिन बिहार जैसे अन्य राज्यों में अभी भी एक तिहाई आबादी गरीबी में जीवन जी रही है.

33%

यह साफ नहीं कि ऐसा कब होगा. लेकिन उम्मीद से भरे लोगों का मानना है कि 2029 के लोकसभा चुनावों तक तो ऐसा हो ही जाएगा. निराशावादियों का कहना है कि ऐसा कभी नहीं होगा. लेकिन ऐसा होगा जरूर. संसद ने अंततः वह बिल पारित कर दिया है जोकि सभी राज्य विधानसभाओं और संसद में महिलाओं के लिए एक तिहाई प्रतिनिधित्व का गारंटी देता है.

किसी भी लिहाज से यह एक ऐतिहासिक कदम होगा क्योंकि विधायी निकायों में महिला प्रतिनिधित्व लगभग 15% है जबकि महिलाएं अब मतदान में पुरुषों से आगे हैं. जब ऐसा होगा तो भारतीय लोकतंत्र और मजबूत होगा.

5 करोड़

इस आंकड़े पर हमें गर्व नहीं. जब भी कोई नया मुख्य न्यायाधीश अपना पद संभालता है, तो दावा किया जाता है कि लंबित मामलों की संख्या कम की जाएगी, मामलों को तेजी से निपटाने के लिए "तत्काल" कदम उठाए जाएंगे. फिर भी भारत में लंबित मामलों की संख्या 2023 में 5 करोड़ का आंकड़ा पार कर गई.

जिस रफ्तार से कामकाज होता है, उससे लगता है कि पिछले मामलों को निपटाने में कम से कम 250 साल या उससे ज्यादा वक्त लगेगा. यही मुख्य वजह है कि दूसरे क्षेत्रों में इतने सुधारों के बावजूद व्यापार सुगमता में सुधार करना भारत के लिए टेढ़ी खीर बना हुआ है.

(यशवंत देशमुख और सुतानु गुरु सीवोटर फाउंडेशन के साथ काम करते हैं. यह एक ओपिनियन पीस है और इसमें व्यक्त विचार लेखकों के अपने हैं. क्विंट न तो उनका समर्थन करता है और न ही उनके लिए जिम्मेदार है.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT