मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Adipurush में सैफ के लुक का सोर्स क्या है? खिलजी को कैसे बनाया गया खलनायक?

Adipurush में सैफ के लुक का सोर्स क्या है? खिलजी को कैसे बनाया गया खलनायक?

Adipurish में सैफ अली खान के लुक को BJP और दक्षिणपंथी समूह द्वारा 'तुर्की का आक्रांता' बताते हुए अलोचना हो रही है.

रुचिका शर्मा
नजरिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>आदिपुरुष में सैफ अली खान</p></div>
i

आदिपुरुष में सैफ अली खान

(फोटो: स्क्रीनग्रैब / आदिपुरुष ट्रेलर)

advertisement

कुछ दिनों पहले ही मेगा स्टारर पौराणिक फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) का टीजर सामने आया था, यह फिल्म रामायण महाकाव्य पर आधारित है. टीजर देखने के बाद जहां एक ओर इसका निराशाजनक वीएफएक्स सामने निकलकर आया वहीं दूसरी ओर लंका के राजा रावण के रूप में सैफ अली खान के लुक भी आलोचना हुई.

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रवक्ता मालविका अविनाश ने जहां सैफ के इस लुक को "तुर्की का आक्रांता" बताया. वहीं हिंदू महासभा के प्रमुख चक्रपाणि महाराज ने कहा कि यह लुक "आतंकी खिलजी, चंगेज खान और औरंगजेब" जैसा दिखता है.

हालांकि दोनों में से किसी ने भी यह स्पष्ट नहीं किया कि आखिर सैफ के लुक में ऐसा क्या था जो उन्हें "तुर्किश आक्रांता" या खिलजी / औरंगजेब जैसा बनाता है, फिर भी ऐसा प्रतीत होता है कि हर कोई यह समझ गया है कि उनका क्या मतलब है.

स्पष्ट रूप से, "खलनायक मुस्लिम राजा" का दृश्य चित्रण आम भारतीय दिमाग (कल्पनाओं) में इतनी गहराई से अंतर्निहित है कि भारतीय सिनेमा में "खिलजी आर्केटाइप" यानी "खिलजी के आर्दश उदाहरण" को और विस्तार की जरूरत नहीं है.

'खिलजी आर्केटाइप'

दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी के आधार पर 'खिलजी आर्केटाइप' को आदर्श रूप से एक शक्तिशाली सुल्तान का प्रतीक होना चाहिए जो एक सक्षम राजनेता और एक उत्कृष्ट मिलिट्री जनरल था. खिलजी ने 20वीं सदी तक भारत के कई शासकों द्वारा बरकरार रखी गई कराधान प्रणाली में बेहतरी के लिए परिवर्तन किया था. खिलजी वह सुल्तान था जिसने 1298 ईस्वी से 1306 ईस्वी तक कुल पांच मंगोल आक्रमणों को विफल करके भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास के वर्तमान ढर्रे को अकेले ही बनाए रखा.

हालांकि जो 'खिलजी आर्केटाइप' वर्तमान में भारतीय कल्पना में मौजूद है वह इस प्रकार है- एक खलनायक, हत्यारा और भद्दा "मुस्लिम सुल्तान", जो देखने में एक मोटी दाढ़ी वाला व्यक्ति है, जिसकी आंखों में लंबा सुरमा (काजल) लगा हुआ है और अत्यधिक मांसल शरीर के साथ वह खतरनाक रूप से घूरता है. प्राचीन काल की किसी भी सल्तनत या मुगल पेंटिंग में यह आर्केटाइप नहीं मिलता है.

सल्तनत या मुगल पेंटिंग में शासकों की आंखों में सुरमा पूरी तरह से नहीं है और उनमें दाढ़ी भी शायद ही कभी दिखाई देती है. मालवा के गयास खिलजी या मुगल बादशाह अकबर और जहांगीर जैसे शासकों के अधिकांश चित्रण भारतीय पुरुष सौंदर्य हैंडलबार मूंछों और एक पोडी (थुलथुल) बॉडी के अनुरूप हैं. बोधिसत्व मैत्रेय की मूर्तियां जो दिल्ली के सुल्तानों और मुगलों से बहुत पहले बनाई गई थीं, उनमें भी इसी तरह के सौंदर्य का पालन किया गया है.

मालवा के गयास खिलजी (लाल रंग में)

(लेखक द्वारा एक्सेस की गई फोटो)

(लेखक द्वारा एक्सेस की गई फोटो)

"लूटपाट करने वाले मुस्लिम शासक" जो अनिवार्य रूप से खलनायक और बर्बर या क्रूर हैं उनको गढ़ने का ज्यादातर दोष घटिया, सांप्रदायिक ब्रिटिश इतिहास लेखन पर लगाया जा सकता है, जिसे (मुस्लिमों के इस रूप को) तब से कई हिंदुत्व विचारकों ने हवा दी है. लेकिन उग्र मुसलमानों को चेहरा देने का काम ब्रिटेन का नहीं था. यह उपलब्धि भारत के ग्राफिक उपन्यासों, विशेष तौर पर अनंत पई की अमर चित्र कथा से जुड़ी हुई है. इस ग्राफिक उपन्यास के लोकप्रिय होने से पहले, शासकों के चित्रण को इरा भास्कर और रिचर्ड एलन (2009) मुस्लिम इतिहास को पेंटिंग्स में फंसा हुआ बताते हैं.

पुकार (1939), हुमायूं (1945) और मुगल-ए-आजम (1960) जैसी फिल्मों में शासकों को बिना दाढ़ी, हैंडलबार सौंदर्य के साथ दिखाया गया है. ये फिल्में उपमहाद्वीप के सिनेमाई इतिहास के एक महत्वपूर्ण हिस्से को दर्शाती हैं जहां सल्तनत और मुगल काल को एक एकीकृत ताकत के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो बहुलवादी थी और उनकी प्रकृति विभाजनकारी नहीं थी.

अमर चित्र कथा द्वारा दारा शिकोह और औरंगजेब

(लेखक द्वारा एक्सेस की गई फोटो)

गोवर्धन द्वारा अकबर

(लेखक द्वारा एक्सेस की गई फोटो)

आधुनिक दौर का चित्रण

सुल्तानों और मुगलों के हाल के चित्रणों में विशेष रूप से 2017 के बाद से बॉलीवुड में "खिलजी आर्केटाइप" का बार-बार उपयोग किया जाता है. पई की अमर चित्र कथा यहां पर सीधी भूमिका अदा करती है.

अमर चित्र कथा एक ग्राफिक उपन्यास है जो 1967 में प्रकाशित हुआ था. इसमें पौराणिक कथाओं, इतिहास और जीवनी सहित कई विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है. हालांकि इस कॉमिक का उद्देश्य युवा दर्शकों के साथ उपमहाद्वीप के इतिहास के चमत्कारों को राष्ट्र निर्माण की दृष्टि से साझा करना है, लेकिन इसने हमेशा एक मजबूत सांप्रदायिक पुट के साथ ऐसा किया है.

नंदिनी चंद्रा (2008), कारलाइन मैकलेन (2009) और फ्रांसेस प्रिटचेट (1995) जैसे विद्वानों ने विस्तार से बताया है कि कैसे अमर चित्र कथा एक मुस्लिम "अन्य" का निर्माण करती है. उदाहरण के लिए, अमर चित्र कथा की 'मेकर्स ऑफ मॉडर्न इंडिया' श्रृंखला में एक भी मुस्लिम लीडर का उल्लेख नहीं है. बंकिम चंद्र के आनंद मठ (जो एक खतरनाक सांप्रदायिक लेखन है) पर प्रकाशित अपने अंक में मुस्लिम राजाओं को "ब्रिटिश हाथों की कठपुतली" के रूप में वर्णित किया गया है. वहीं इसने जो राणा सांगा पर अंक निकाला था उसमें बाबर को बार-बार "आक्रांता" कहा गया है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

फिल्म पद्मावत में खिलजी के रूप में बाॅलीवुड अभिनेता रणवीर सिंह

(फोटो : संजय लीला भंसाली प्रोडक्शन्स / लेखक द्वारा एक्सेस की गई फोटो)

किताब के टेक्स्ट में यह भिन्नता अन्य के चित्रण के साथ भी मेल खाती है. मौर्य राजा अशोक (तीसरी शताब्दी) और राजा हर्षवर्धन (सातवीं शताब्दी) जैसे सभी हिंदू शासकों को विशेष रूप से हैंडलबार मूंछों को छोड़कर गोरा और साफ-चिकना (क्लीन शेव) चित्रित किया गया है, जबकि मुस्लिम शासकों को गहरे रंग की सुरमे वाली आंखों के साथ दर्शाया गया है, इसके साथ ही लंबी और भारी दाढ़ी उनके नुकीले जबड़े पर दिखाई देती है.

पद्मिनी पर अमर चित्र कथा ने जो अंक निकाला था उसमें दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी को एक धूर्त राजा के रूप में दर्शाया गया है, जो अक्सर अपनी वासना के आगे मजबूर है और हिंदू शासकों के खिलाफ साजिशें रचता है. हर बार जब वह ऐसा करता है, तो भारी दाढ़ी और काजल वाली आंखाें से युक्त उसके चेहरे पर खतरनाक मुस्कान झलकती है.

अमर चित्र कथा में खिलजी का यह एकमात्र वर्णन है और यह पद्मावत (2018) के खिलजी से काफी मिलता-जुलता है, जहां रणवीर सिंह एक बड़े आकार का कुब्बा (टोपी) पहनता है और एक उसके चेहरे पर कुटिलता रहती है. (संदर्भ के लिए चित्र देखें). अमर चित्र कथा में बाबर, हुमायूं और औरंगजेब जैसे मुगल शासकों के चित्रण में खलनायक मुस्लिम शासक के इस स्टीरियोटाइप दृश्य को अभिव्यक्ति मिलती है.

अशोक: अमर चित्र कथा द्वारा शांति की बात करने वाला योद्धा

लेखक द्वारा एक्सेस की गई फोटो

अमर चित्र कथा में मौजूद अलाउद्दीन खिलजी का चित्रण खिलजी आर्केटाइप का प्रतीक है, जिसने हाल ही में इतनी लोकप्रियता हासिल की है. सम्राट पृथ्वीराज (2022) में मोहम्मद गोरी, तान्हाजी (2020) में औरंगजेब और पानीपत (2019) में अहमद शाह अब्दाली सभी पद्मावत के अलाउद्दीन खिलजी के लुक को फॉलो करते हैं जो खुद अमर चित्र कथा से प्रेरणा लेता है. सम्राट पृथ्वीराज और तान्हाजी जैसी फिल्मों में नायक की सेनाओं के लिए युद्ध के नारे 'हर हर महादेव' की लोकप्रियता भी अमर चित्र कथा के सौजन्य से है जहां हिंदू सेनाओं की लड़ाई के लिए इसका इस्तेमाल होता है, जबकि मुस्लिम सैनिक "अल्लाह हो अकबर" के नारे लगाते हैं.

बाबर: अमर चित्र कथा द्वारा मुगल वंश का संस्थापक

लेखक द्वारा एक्सेस की गई फोटो

टाइमपीस पर पर जहांगीर

लेखक द्वारा एक्सेस की गई फोटो

सार्वजनिक स्मृति में बसी हुईं छवियां

चूंकि खिलजी आर्केटाइप लोकप्रिय ग्राफिक उपन्यासों और अब लोकप्रिय सिनेमा में नियमित रूप से प्रदर्शित हाेता है इस कारण अब इसे अच्छी तरह से पहचाना जाता है. यह देखते हुए कि सिनेमा का प्रभाव कितना व्यापक और शक्तिशाली है दाढ़ी, काजल और एक बुरी मुस्कान को एक मुस्लिम शासक का प्रतीक बताना एक खतरनाक रिकॉल वैल्यू है जिसे बॉलीवुड ने एक लोकप्रिय ग्राफिक उपन्यास के साथ समूह में निर्मित किया है और भारत की विभाजनकारी सांप्रदायिक राजनीति को आगे बढ़ाया है. कहने की जरूरत नहीं है कि इस तरह के दृश्य ऐतिहासिक नहीं हैं और शासकों के पेंटिंग्स पर आधारित नहीं हैं. भारतीय सिनेमा के इतिहास में भी खिलजी आर्केटाइप की लोकप्रियता एक बिल्कुल नई घटना है. यह अकबर और अन्य ऐतिहासिक शख्सियतों के महाकाव्य सिनेमाई चित्रणों को झुठलाती है.

अंत में, शायद यही वह संदर्भ है जिसमें रामायण के खलनायक राजा रावण को आदिपुरुष में खिलजी आर्केटाइप के साथ चित्रित किया गया है. विचार विलेन शासक के लोकप्रिय सिनेमाई चित्रण को भुनाने का है, जो हाल के दिनों में मुस्लिम राजा का पर्याय बन गया है.

हुमायूं: अमर चित्र कथा द्वारा दूसरा मुगल सम्राट

लेखक द्वारा एक्सेस की गई फोटो

(रुचिका शर्मा, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली में ऐतिहासिक अध्ययन केंद्र की इतिहास की डॉक्टरेट विद्वान हैं. वह Eyeshadow & Etihaas नामक इतिहास पर एक यूट्यूब चैनल भी चलाती हैं.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT