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''दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी, आपको मास्क से परेशानी लगे, मन करे उसे उतार दें तो पल भर के लिए उन डॉक्टर्स के बारे में सोचिए.उन नर्सों का सोचिए जो कोरोना वॉरियर्स हैं''- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ही नहीं दुनियाभर के नेता ऐसी सलाह दे रहे हैं. जबतक वैक्सीन नहीं है तब तक मास्क और बचाव ही सबसे बड़ा उपाय है. अमेरिका में तो 'थैंक्स गिविंग डे' पर भी परिवार के ही 10 से ज्यादा लोगों को शामिल नहीं होने की सलाह दी गई थी. लेकिन ये सब सलाह-निर्देश 'आम जिंदगी' के लिए हैं. 'खास जिंदगी' का उदाहरण जानते हैं, ये वीडियो देखिए-
जगह-बोलपुर, पश्चिम बंगाल, तारीख- 20 दिसंबर: वीडियो के साथ ही साथ वो हेडलाइन भी याद करिएगा- जिसमें अभी 24 घंटे पहले ही बताया गया था कि देशभर में कोरोना वायरस के मामले 1 करोड़ से ज्यादा हो गए हैं. ये चुनावी रैली है सत्ताधारी पार्टी बीजेपी की. रैली में गृहमंत्री अमित शाह एक रथनुमा वाहन पर सवार हैं, भारी भीड़ है- चेहरे से मास्क गायब है, बिना दो गज की दूरी बनाए बंगाल बीजेपी के दिलीप घोष खड़ें हैं- उनके चेहरे से भी मास्क गायब है. लेकिन ये लोग तो केंद्रीय मंत्री या सत्ताधारी पार्टी के पदाधिकारी हैं. इनके पास कोरोना या किसी भी दूसरी बड़ी बीमारी के लिए अच्छे अस्पताल की व्यवस्था होगी, वैक्सीन भी आएगी तो ये हासिल करने वालों की कतार में सबसे आगे होंगे.
अब रैली में रथनुमा गाड़ी से नीचे नजर दौड़ाइए- हजारों-हजार की संख्या में कार्यकर्ता, फैंस 'भारत माता की जय' समेत दूसरे नारे लगाते हुए, कैमरे की जद में आने की कोशिश में हाथ हिलाते हुए, एक दूसरे के ऊपर चढ़ जाने वाली भीड़ में चल रहे हैं. 'दो गज की दूरी और मास्क' दोनों ही कहीं दूर बैठकर ये नजारा देख रहे होंगे और कबीर दास की लिखी हुई पंक्तियां दोहरा रहे होंगे- 'साधो रे ये....'
इतना ही नहीं है, वीडियो में साइड की दुकानों और छतों को तो देखिए- 'अपने प्रिय नेता की एक झलक पाने के लिए कोरोना वायरस को ठेंगा दिखाती हुई शक्लें दिख जाएंगी.'
अब आप ये भी सोच सकते हैं कि 'चुनावों में तो ये सब चलता है', 'क्या बड़ी बात है', 'दूसरी पार्टियों के नेता भी तो करते हैं'. इन सारे सवालों को याद करते हुए किसी करीबी शख्स जो कोरोना से पीड़ित हुआ हो उसकी शक्ल याद करिए और फिर सोचिए जब दुनिया एक ऐसे रास्ते पर खड़ी है जहां जिंदगी और मौत के बीच में मास्क, बचाव और वैक्सीन हैं. साथ ही दुनिया के दिग्गज नेता वैक्सीन लगवाने का लाइव टेलीकास्ट करवा रहे हैं कि वैक्सीन में भरोसा बढ़े, बीमारी से लड़ा जा सके. ऐसे वक्त में हम अपनी 'लाइव टीवी न्यूज' में ये भीड़ दिखा रहे हैं?
वो भी गृहमंत्री की रैली की भीड़, वो मंत्रालय जो कोरोना वायरस से जुड़े दिशा निर्देश जारी करता है, वो मंत्रालय जो लॉकडाउन लगे या न लगे तय करता है और किसी राज्य में संक्रमण की स्थिति हावी होने पर दखल देकर जरूरी उपाय करता है. उस मंत्रालय के मुखिया की रैली में ऐसी भीड़ आना और उसे नजरंदाज कर देना अपने आप में सवाल है.
गहमंत्री अमित शाह कह रहे हैं कि ऐसी रैली तो उन्होंने देखी ही नहीं है. पश्चिम बंगाल चुनाव में कुछ ही महीन हैं. इससे पहले बिहार चुनाव हमने देखा है. ऐसी ही भारी भीड़ बिहार की चुनावी रैलियों में भी देखी जाती थी. उस वक्त भी तमाम हेल्थ एक्सपर्ट कहते थे कि रैलियों में इस तरह की लापरवाही से कोरोना वायरस तेजी से बढ़ सकता है. पार्टियों की जिम्मेदारी है कि कार्यकर्ताओं को कोरोना वायरस से जुड़े नियम-कानून बताएं. लेकिन बिहार चुनाव खत्म हुआ तो पश्चिम बंगाल का चुनावी कैंपेन शुरू हो गया है, रैलियों में उमड़ रही ऐसी भीड़ से नेता उत्साह में दिख रहे हैं.
आखिर में रस्मी तौर पर आपको कोरोना वायरस से जुड़े भारत के आंकड़े गिना देते हैं- कुल केस- करीब 1 करोड़ 31 हजार, कुल मौतें- करीब 1 लाख 45 हजार.
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