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श्री श्री रविशंकर जी, आपके 7 विवाद कहीं मध्यस्थता को उलझा न दें

NGT ने श्री श्री को कहा था आपके अंदर जिम्मेदारी का अहसास नहीं

अरुण पांडेय
नजरिया
Updated:
श्री श्री रविशंकर को ऐसी जिम्मेदारी मिली है जिसे वो शिद्दत से चाह रहे थे.
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श्री श्री रविशंकर को ऐसी जिम्मेदारी मिली है जिसे वो शिद्दत से चाह रहे थे.
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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श्रीश्री रविशंकर के बारे में तीन साल पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा था, ‘’आपके अंदर जिम्मेदारी की कोई भावना नहीं है. क्या आप ये सोचते हैं कि आप जो चाहे वो कह सकते हैं?’’

लेकिन 3 साल बाद देश की सबसे बड़ी अदालत (सुप्रीम कोर्ट) ने उन्हें आजाद भारत के सबसे बड़े विवाद की मध्यस्थता करने की जिम्मेदारी सौंपी है. जस्टिस इब्राहिम खलीफुल्लाह और श्रीराम पांचू भी श्रीश्री के साथ मध्यस्थता पैनल के सदस्य होंगे.

श्रीश्री रविशंकर कई सालों से अयोध्या मामले में अनऑफिशियल मध्यस्थ बनने की कोशिश में लगे थे, लेकिन कामयाब नहीं हुए. हालांकि इस बार भी श्रीश्री की मध्यस्थता शुरू करने से पहले ही बड़ा विघ्न आ गया, क्योंकि निर्मोही अखाड़ा और मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर ऐतराज जताया है.

श्रीश्री अपने विवादास्पद नजरिए और बयानों से राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां भी बटोर चुके हैं. आर्ट ऑफ लिविंग के फाउंडर रविशंकर मध्यस्थता का आर्ट कितना जानते हैं, अभी तक इसका कोई रिकॉर्ड हमारे पास में नहीं है. लेकिन उनके विवादों में बने रहने के आर्ट की लिस्ट बड़ी लंबी है.

श्रीश्री के विवादों की लिस्ट

  1. करीब 2 साल पहले श्रीश्री के एक बयान ने बहुत सुर्खियां बटोरी थीं कि अयोध्या में मुसलमानों ने अपना दावा नहीं छोड़ा, तो भारत में सीरिया जैसे हालात हो सकते हैं.
  2. दिल्ली में यमुना के किनारे आर्ट ऑफ लिविंग का भव्य समारोह कराने के दौरान नदी तट को पर्यावरण के तौर पर भारी नुकसान पहुंचाने का आरोप भी लगा, लेकिन उन्होंने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को ही दुराग्रही करार दे दिया था.
  3. 2016 से 2018 के बीच श्रीश्री ने कई बार अयोध्या मामले में मध्यस्थता की कोशिश की, पर उन्हें संबंधित पक्षों ने उतनी तरजीह ही नहीं दी.
  4. योगगुरु रामदेव की तरह श्रीश्री ने भी अपना आयुर्वेदिक और नेचुरल प्रोडक्ट का बिजनेस तैयार करने की कोशिश की, पर अभी तक कामयाब नहीं हो पाए हैं.
  5. महाराष्ट्र और दूसरे इलाकों में किसानों की आत्महत्या पर उन्होंने कहा था कि अध्‍यात्‍म की कमी की वजह से वो ऐसा कर रहे हैं.
  6. श्रीश्री ने ये तक कह दिया कि उन्होंने नोबल शांति पुरस्कार ठुकरा दिया और पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई नोबल पुरस्कार पाने के काबिल नहीं. हालांकि बाद में उन्होंने सफाई दी कि उनके शब्दों को तोड़ा-मरोड़ा गया है.
  7. जब इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादी कहर बरपा रहे थे, तब श्रीश्री ने अचानक उनको शांति का पैगाम भेज दिया. जवाब में आईएस ने इराक के इरबिल में मौजूद उनके हेल्थ सेंटर में सिर कटे व्यक्ति की फोटो भेज दी.
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मतलब लब्बोलुआब ये है कि श्रीश्री रविशंकर को ऐसी जिम्मेदारी मिली है, जिसे वो शिद्दत से चाह रहे थे. लोग गुरु से अक्सर चमत्कार की उम्मीद रखते हैं, अगर ऐसा हो जाए, तो उनकी और महिमा बढ़ जाती है. अब श्रीश्री के पास 8 हफ्ते हैं. अगर वे अयोध्या मामले के हल की दिशा में बढ़ पाए, तो इसे चमत्कार ही माना जाएगा

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Published: 08 Mar 2019,09:41 PM IST

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