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पुलिस ने भले ही रांची के ईसाई पादरी स्टेन स्वामी के ऊपर पत्थलगड़ी आंदोलन के बाद देशद्रोह का मुकदमा किया हो और उनके घर पर भीमा कोरेगांव हिंसा में षड्यंत्र करने के शक में छापे मारे हों, लेकिन पुलिस की कम से कम एक कार्रवाई को स्टेन स्वामी भी चर्च के लिये सुधरने का मौका मानते हैं.
स्टेन स्वामी खुद चर्च का हिस्सा हैं, लेकिन वह विदेशी फन्डिंग को लेकर चर्च की आलोचना करते हैं. स्वामी कहते हैं कि चर्च को बाहर से आर्थिक मदद नहीं लेनी चाहिये. पिछले दिनों पत्थलगड़ी आंदोलन के बाद चर्च के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई और छापेमारी हुई. ईसाई संगठनों और मिशनरियों पर धर्मांतरण कराने के आरोप लगे और एक बालगृह में बच्चों को बेचने की घटना सामने आने के बाद पुलिस ने गिरफ्तारियां की.
पादरी और मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी ने कहा कि पुलिस की कड़ी कार्रवाई को चर्च खुद में सुधार लाने के लिये एक बहुमूल्य अवसर के रूप में देखे. स्टेन स्वामी ने कहा कि सरकार अभी चर्च पर जो भी कार्रवाई कर रही है वह हिन्दुत्ववादी शक्तियों के दबाव में हैं. स्वामी के मुताबिक सरकार उन संगठनों पर घेरा कस रही है जो आदिवासियों को शिक्षित कर रहे हैं और इसीलिये चर्च अपने काम की वजह से सरकार के निशाने पर है. लेकिन स्वामी ने चर्च को सलाह दी है कि वह भी इस वक्त अपने भीतर झांके.
पादरी स्टेन स्वामी ने यह बात ऐसे वक्त में कही है जब झारखंड और दूसरे आदिवासी बहुल इलाकों में बीजेपी – आरएसएस और ईसाई संगठनों के बीच टकराव बढ़ रहा है. झारखंड में तो चर्च अपने ई-मेल अकाउंट और खातों पर निगरानी के लिये पुलिस और सरकार पर आरोप लगा रही है. जहां पुलिस ने स्टेन स्वामी जैसे लोगों पर पत्थलगड़ी आंदोलन को भड़काने और माओवादियों से रिश्तों के लिये कार्रवाई की है वहीं स्वामी सलाह देते हैं कि पुलिस की कार्रवाई के मद्देनजर चर्च को फिजूल खर्ची की जगह सादगी की मिसाल देनी होगी.
स्वामी आदिवासियों के अधिकारों के लिये लड़ते रहे हैं. पिछले महीने उनके साथ 19 लोगों के खिलाफ पुलिस में मुकदमा दर्ज हुआ है. उन पर सोशल मीडिया के जरिये आदिवासियों को भड़काने का आरोप है. 81 साल के स्वामी इससे पहले छत्तीसगढ़ में ऑपरेशन ग्रीन हंट का विरोध कर चुके हैं. जब पुलिस ने पत्थलगड़ी आंदोलन को भड़काने के लिये उन पर एफआईआर की तो उन्होंने एक वेबसाइट में एक लेख लिखा और अपना पक्ष रखा था.
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Published: 29 Aug 2018,01:53 PM IST