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लालू प्रसाद की अगुवाई वाले बिहार के मुख्य विरोधी दल आरजेडी को लगातार तीन झटके मिलने के बाद पार्टी में निराशा का माहौल है. पार्टी के पांच एमएलसी ने आरजेडी छोड़ जेडीयू का दामन थाम लिया है. साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
पार्टी छोड़ने वालों में एक-एक अल्पसंख्यक, पिछड़ा और अति-पिछड़ा समाज के हैं. वहीं दो सवर्ण समाज के एमएलसी ने भी पार्टी को अलविदा कहा.
हालांकि राजनीतिक तनातनी के बीच पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने बयान दिया है कि, ‘आरजेडी समुद्र की तरह है और उससे पांच बाल्टी पानी निकालने से कोई फर्क नहीं पड़ता.’
पार्टी चाहे जितनी भी असहमति जताए, लेकिन पार्टी में आतंरिक और बाहरी विरोध साफ दिख रहा है. सूबे में आगामी विधान सभा चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ एनडीए की साझा सरकार में नेतृत्व के मुद्दे पर कोई विवाद नहीं है, जबकि महागठबंधन के घटक दलों में यह विवाद लगातार जारी है. महागठबंधन के अलग- अलग घटक दलों के नेता समन्वय समिति बनाने की मांग पिछले साल दिसंबर से ही कर रहे हैं, लेकिन आरजेडी ने उस पर मौन साध रखा है.
इस बीच 25 जून को उपेंद्र कुशवाहा ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे महागठबंधन के साथ ही रहेंगे. बाकी बातों पर कुछ भी बोलने से उपेंद्र कुशवाहा ने मना कर दिया और कहा कि इसके लिए वे अधिकृत नहीं हैं. वहीं बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरखू झा के अनुसार “ बुधवार की मीटिंग में यह राय बनी है कि महागठबंधन के अंदर ही चुनाव लड़ा जाये और सीट शेयरिंग का मामला जल्द सुलझाया जाये ”.
उधर पूर्व मुख्यमंत्री और ‘हम’ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने महागठबंधन का चेहरा तय करने और सीट बंटवारे आदि को लेकर समन्वय समिति बनाने के लिए 25 जून तक का अल्टीमेटम दे रखा था जिसकी मियाद खत्म हो चुकी है.
पार्टी की ओर से शुक्रवार को जीतन राम मांझी की अध्यक्षता में कोर कमिटी की बैठक बुलाई गयी है. इस संबंध में उनसे बात करने की कोशिश भी की गयी, लेकिन वो फोन पर उपलब्ध नहीं हो सके.
बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अपेक्षाकृत ज्यादा भरोसेमंद चेहरे हैं. रामविलास पासवान की एलजेपी भी एनडीए के साथ ही है. चुनाव से तीन महीने पहले महागठबंधन अपने बिखराव को रोक पाने में भी विफल दिख रहा है. ऐसे में एनडीए को इसका फायदा साफ मिलता दिख रहा है.
(नीरज सहाय फ्रीलांस जर्नलिस्ट हैं और पटना में रहते हैं.)
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Published: 26 Jun 2020,02:23 PM IST