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Bihar Cabinet विस्तार में किसकी चली? तेजस्वी के पास 'भीड़', नीतीश के पास 'खीर'

Bihar Cabinet Expansion: नीतीश,तेजस्वी ने 2024 की तैयारी अभी से कर दी है. कोर वोट बैंक से सबसे ज्यादा मंत्री बनाए

शादाब मोइज़ी
नजरिया
Updated:
<div class="paragraphs"><p>नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव</p></div>
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नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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'नीतीश सबके हैं...'

कभी बीजेपी के तो कभी आरजेडी के. और अब तो महागठबंधन सरकार के कैबिनेट विस्तार में भी ऐसा ही दिख रहा है. जाति, धर्म, क्षेत्र सबको समेटने की कोशिश. बिहार सरकार में मंत्रियों से लेकर उनके विभागों का बंटवारा हो गया है. मानो 2024 लोकसभा चुनाव का ट्रेलर हो. लेकिन इस ट्रेलर को देखकर एक सवाल उठ रहा है कि इस कैबिनेट विस्तार में किसकी चली? नीतीश कुमार या तेजस्वी यादव? और चली तो कितनी चली?

तेजस्वी के पास 'भीड़', नीतीश के पास 'खीर'

थोड़ा इस सवाल को आसान शब्दों में समझते हैं. आरजेडी ने भले ही सत्ता की कमान नीतीश कुमार को सौंप दी हो, लेकिन मंत्रिमंडल में जेडीयू से ज्यादा जगह ली है. आरजेडी के कोटे से तेजस्वी यादव को मिलाकर कुल 17 मंत्री बने हैं. वहीं नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड के कोटे से नीतीश कुमार को मिलाकर 12 मंत्री हैं. इसके अलावा कांग्रेस के दो, जीतनराम मांझी के हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के एक और एक निर्दलीय विधायक को मंत्री बनाया गया है.

अब भले ही दिखने में जेडीयू के मंत्री कम हों लेकिन पावरफुल या देसी भाषा में मलाईदार कहे जाने वाले विभाग नीतीश कुमार के पास हैं. नीतीश कुमार ने गृह मंत्रालय समेत 5 विभाग अपने पास रखे हैं. वहीं जेडीयू के विजय चौधरी को वित्त, वाणिज्य और संसदीय कार्य मंत्री बनाया है, जिसे कि अहम विभाग माना जाता है. इसके अलावा जेडीयू के बिजेंद्र यादव को ऊर्जा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है, साथ ही योजना और विकास मंत्रालाय भी मिला है. शीला कुमारी, परिवहन मंत्री तो अशोक चौधरी को भवन निर्माण मंत्रालय की जिम्मेदारी.

वहीं तेजस्वी यादव को स्वास्थ्य, पथ निर्माण विभाग मिला है. उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव को वन-पर्यावरण मंत्री बनाया गया है. तेजस्वी यादव की पार्टी के कोटे में राजस्व और भूमि सुधार, उद्योग, शिक्षा, कृषि, आपदा प्रबंधन जैसे अहम मंत्रालय आए हैं.

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कास्ट फैक्टर वाला कैबिनेट विस्तार

महागठबंधन सरकार की इस कैबिनेट में जातीय समीकरण का खास ख्याल रखा गया है. बिहार में करीब 49 फीसदी OBC हैं, तो नीतीश के मंत्रिमंडल में भी सबसे ज्यादा 39 फीसदी OBC हैं. दलित बिहार में 16 फीसदी हैं तो नीतीश-तेजस्वी ने उन्हें कैबिनेट में 27% भागीदारी दी है. अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व बढ़ा है लेकिन सवर्ण समुदाय की हिस्सेदारी थोड़ी घटी है.

मंत्रीमंडल में सबसे ज्यादा 13 मंत्री OBC समाज से हैं. मतलब करीब 39% से ज्यादा मंत्री OBC समाज से हैं. इसके अलावा दलित समाज का भी दबदबा देखने को मिला है. वहीं अगर यादव समाज की बात करें तो कैबिनेट में 8 यादवों को मंत्री बनाया गया, जिसमें 7 RJD से हैं.

दलित समाज पर फोकस

नीतीश कैबिनेट में 9 दलित समाज के प्रतिनिधियों को मंत्री बनाया गया है. मतलब करीब 27% से ज्यादा दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व. नई कैबिनेट में अल्पसंख्यकों की संख्या 5 है. अल्पसंख्यक समाज से आने वाले मंत्रियों में जमा खान JDU से हैं, अफाक आलम कांग्रेस से और बाकी तीन मोहम्मद शाहनवाज, शमीम, इसराइल मंसूरी आरजेडी से हैं.

दूसरी ओर न्यू कैबिनेट में अगर सवर्ण समाज के मंत्रियों की संख्या कम हुई है. इस बार नीतीश कैबिनेट में सवर्ण समाज से आने वाले सिर्फ 6 प्रतिनिधियों को मंत्री पद मिला है. कैबिनेट में इनकी 18% हिस्सेदारी हुई.

नीतीश कैबिनेट में 'कमजोर' नारी शक्ती

अब आते हैं नारी शक्ति पर. नीतीश कुमार की कैबिनेट में महिला प्रतिनिधत्व की बात करें तो कुल तीन महिला विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है. इसमें जेडीयू की दो- लेशी सिंह और शीला कुमारी जबकि आरजेडी की एक विधायक अनीता देवी का नाम शामिल है. जेडीयू की लेशी सिंह पूर्णिया के सरसी से आती हैं. साल 2000 में लेशी सिंह के पति मधुसूदन सिंह उर्फ बूटन सिंह की पूर्णिया कोर्ट परिसर में हत्या हो गई थी. इसी के बाद से लेशी सक्रिय राजनीति में उतरीं. उन्होंने 2000 में चुनाव भी लड़ा और जीत हासिल की. लेशी सिंह पहले भी मंत्री रह चुकी हैं.

कुल मिलाकर नीतीश कैबिनेट में जातीय समीकरण पर फोकस रहा है. और 2024 के लिए अपने विरोधियों और जनता को संदेश दिया गया है कि 'नीतीश सबके हैं'.

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Published: 16 Aug 2022,07:59 PM IST

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