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'नीतीश सबके हैं...'
कभी बीजेपी के तो कभी आरजेडी के. और अब तो महागठबंधन सरकार के कैबिनेट विस्तार में भी ऐसा ही दिख रहा है. जाति, धर्म, क्षेत्र सबको समेटने की कोशिश. बिहार सरकार में मंत्रियों से लेकर उनके विभागों का बंटवारा हो गया है. मानो 2024 लोकसभा चुनाव का ट्रेलर हो. लेकिन इस ट्रेलर को देखकर एक सवाल उठ रहा है कि इस कैबिनेट विस्तार में किसकी चली? नीतीश कुमार या तेजस्वी यादव? और चली तो कितनी चली?
थोड़ा इस सवाल को आसान शब्दों में समझते हैं. आरजेडी ने भले ही सत्ता की कमान नीतीश कुमार को सौंप दी हो, लेकिन मंत्रिमंडल में जेडीयू से ज्यादा जगह ली है. आरजेडी के कोटे से तेजस्वी यादव को मिलाकर कुल 17 मंत्री बने हैं. वहीं नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड के कोटे से नीतीश कुमार को मिलाकर 12 मंत्री हैं. इसके अलावा कांग्रेस के दो, जीतनराम मांझी के हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के एक और एक निर्दलीय विधायक को मंत्री बनाया गया है.
वहीं तेजस्वी यादव को स्वास्थ्य, पथ निर्माण विभाग मिला है. उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव को वन-पर्यावरण मंत्री बनाया गया है. तेजस्वी यादव की पार्टी के कोटे में राजस्व और भूमि सुधार, उद्योग, शिक्षा, कृषि, आपदा प्रबंधन जैसे अहम मंत्रालय आए हैं.
महागठबंधन सरकार की इस कैबिनेट में जातीय समीकरण का खास ख्याल रखा गया है. बिहार में करीब 49 फीसदी OBC हैं, तो नीतीश के मंत्रिमंडल में भी सबसे ज्यादा 39 फीसदी OBC हैं. दलित बिहार में 16 फीसदी हैं तो नीतीश-तेजस्वी ने उन्हें कैबिनेट में 27% भागीदारी दी है. अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व बढ़ा है लेकिन सवर्ण समुदाय की हिस्सेदारी थोड़ी घटी है.
नीतीश कैबिनेट में 9 दलित समाज के प्रतिनिधियों को मंत्री बनाया गया है. मतलब करीब 27% से ज्यादा दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व. नई कैबिनेट में अल्पसंख्यकों की संख्या 5 है. अल्पसंख्यक समाज से आने वाले मंत्रियों में जमा खान JDU से हैं, अफाक आलम कांग्रेस से और बाकी तीन मोहम्मद शाहनवाज, शमीम, इसराइल मंसूरी आरजेडी से हैं.
अब आते हैं नारी शक्ति पर. नीतीश कुमार की कैबिनेट में महिला प्रतिनिधत्व की बात करें तो कुल तीन महिला विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली है. इसमें जेडीयू की दो- लेशी सिंह और शीला कुमारी जबकि आरजेडी की एक विधायक अनीता देवी का नाम शामिल है. जेडीयू की लेशी सिंह पूर्णिया के सरसी से आती हैं. साल 2000 में लेशी सिंह के पति मधुसूदन सिंह उर्फ बूटन सिंह की पूर्णिया कोर्ट परिसर में हत्या हो गई थी. इसी के बाद से लेशी सक्रिय राजनीति में उतरीं. उन्होंने 2000 में चुनाव भी लड़ा और जीत हासिल की. लेशी सिंह पहले भी मंत्री रह चुकी हैं.
कुल मिलाकर नीतीश कैबिनेट में जातीय समीकरण पर फोकस रहा है. और 2024 के लिए अपने विरोधियों और जनता को संदेश दिया गया है कि 'नीतीश सबके हैं'.
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Published: 16 Aug 2022,07:59 PM IST