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"तेरी सहायता से जय तो मैं अनायास पा जाऊंगा,
आनेवाली मानवता को, लेकिन, क्या मुख दिखलाऊंगा?"
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से मुलाकात के बाद चुनावी रणनीतीकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की कालजयी रचना 'रश्मिरथी' की दो पंक्तियां ट्वीट कीं. दिनकर के इस ‘खण्डकाव्य’ को देखें तो इसमें महाभारत के एक पात्र कर्ण को हीरो बताया गया है.
वहीं प्रशांत किशोर ने रश्मिरथी के जिस अंश को शेयर किया है वो एक सांप और कर्ण के बीच की बातचीत है, जिसमें सर्प अर्जुण से बदला लेने के लिए कर्ण की मदद की बात करता है लेकिन कर्ण को सर्प की मदद नहीं चाहिए.
अब महाभारत से भारत और खासकर बिहार की राजनीति को देखें तो सवाल उठता है कि किसे किसकी मदद नहीं चाहिए, प्रशांत किशोर की कहानी का सांप कौन है, कौन कर्ण है, कौन अर्जुण?
जब दिल्ली से एक फ्लाइट पटना एयरपोर्ट पहुंची तो लैडिंग के थोड़े ही देर बाद बिहार में अचानक एक मुलाकाक की अटकलें लगने लगीं. फ्लाइट में नीतीश कुमार के पुराने सहयोगी और पूर्व सांसद पवन वर्मा थे. पवन वर्मा पीके यानी प्रशांत किशोर के भी करीबी हैं. कहा जाता है कि पीके को पहली बार नीतीश कुमार से पवन वर्मा ने ही मिलवाया था. और इसबार भी वहीं हुआ. पिछले 4 महीने से पटना में डेरा जमाए पीके नीतीश से मिल नहीं पाते हैं, लेकिन पवन वर्मा के पटना पहुंचते ही दोनों नीतीश के आवास पहुंच जाते हैं.
अब आते हैं नीतीश प्रशांत और पवन की मीटिंग पर. जो पीके कभी नीतीश के सेकंड मैन कहलाते थे, वो पिछले कुछ सालों से नीतीश कुमार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं. कभी नीतीश कुमार को कुर्सी से चिपके रहने वाला कहते हैं, कभी रोजगार के मुद्दे फेल बताते हैं तो कभी नीतीश के 'सुशासन' पर सवाल उठाते हैं. लेकिन नीतीश से मिलने मुख्यमंत्री के घर पहुंच जाते हैं. वहीं नीतीश भी इस मीटिंग से पहले तक प्रशांत के बयानों को कभी 'अंड-बंड' बता चुके हैं तो कभी 'पब्लिसिटी के लिए बयान देने वाला' कह चुके हैं.
लेकिन पीके के साथ ताजा-ताजा मुलाकात पर नीतीश मुस्कुराकर हुए कहते हैं,
पत्रकारों ने जब पूछा कि साथ आएंगे तो नीतीश ने साफ कहा आप प्रशांत किशोर से ही पूछिए.
वहीं प्रशांत किशोर ने भी मुलाकात की बात मानी और कहा कि नीतीश कुमार से मुलाकात हुई और कई मुद्दों पर चर्चा हुई. यह मुलाकात सिर्फ सामाजिक, राजनीतिक और शिष्टाचार भेंट थी.
याद रखिएगा कि हाल ही में प्रशांत किशोर ने नीतीश के साथ आने के सवाल पर कहा था कि अगर वे एक साल के अंदर 10 लाख बेरोजगार युवाओं को नौकरी दे देते हैं तो साथ देंगे.
अब आते हैं इस मुलाकात से क्या होगा वाले सवाल पर. पटना कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल और इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर रह चुके नवल किशोर चौधरी 15वीं शताब्दी यूरोपियन राजनीतिक चिंतक निकोलो मैकियावेली की किताब द प्रिंस का जिक्र करते हुए कहते हैं.
नवल किशोर प्रशांत किशोर को लेकर कहते हैं, प्रशांत एक पॉलिटिकल कंसल्टेंट है. उनकी क्या विचारधारा? कभी बीजेपी के साथ काम किया तो कभी ममता, कभी नीतीश. जो पैसा और काम दिया उसके साथ रहे. अगर ये लोग बीजेपी की विचारधारा के खिलाफ होते तो बीजेपी के साथ क्यों काम करते?
हालांकि नवल किशोर, इस मीटिंग को लेकर नीतीश के फायदे की बात भी कहते हैं. उनके मुताबिक, पीके के साथ आने से नुकसान क्या है, कम से कम साथ रहेंगे तो नीतीश की आलोचना नहीं करेंगे, छवि पर चोट नहीं करेंगे. नीतीश तो यही चाहेंगे कि जो भी उनके खिलाफ है कम से कम वो साथ न भी आए तो खिलाफ भी न रहे.
यहां पर एक बात और निकलकर आती है, प्रशांत किशोर और पवन वर्मा बीजेपी के फैसलों की वजह से नीतीश पर हमलावर थे, लेकिन अब नीतीश से अलगाव की वजह यानी बीजेपी नीतीश के साथ नहीं है तो फिर अलगाव क्यों.
प्रशांत किशोर ने बिहार से अपनी जनसुराज अभियान की शुरुआत की थी. 2 अक्टूबर से बिहार में पद यात्रा करने वाले हैं. प्रशांत किशोर भी जानते हैं कि 2024 लोकसभा चुनाव दो या तीन फ्रंट का मुकाबला बन सकता है. वहीं मौजूदा हालात को देखते हुए 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में दो ध्रुवीय मुकाबला हो सकता है, मतलब एक तरफ होगी बीजेपी और दूसरी तरफ गठबंधन (RJD+JDU+Congress+Left).
नीतीश और प्रशांत किशोर की मुलाकात से एक बात तो साफ है कि दोनों की नेशनल महत्वाकांक्षाएं हैं. दोनों मीडिया और खबरों में अपनी जगह बनाए रखना जानते हैं.
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