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चलिए, पुराने दिनों की याद करते हैं. क्या आपको महज एक कॉल करने के लिए एसटीडी बूथ के बाहर लंबी कतारों में खड़ा होना याद है? या बिजली का गायब होना, बिजली के न रहने पर देर तक घर के बाहर टहलना याद है? या वो दिन याद आते हैं जब नलों से पानी नदारद रहता था?
जरा सोचिए, ये और ऐसी ही दूसरी घटनाएं, वर्तमान में जो स्थिति है अगर ये उस वक्त होती तो ये वास्तव में किसी भयावह स्थिति से कम नहीं होती. वो तो भगवान का शुक्र है कि इस वैश्विक महामारी का कहर वास्तविक डिजिटल युग में बरपा है. शायद यही एक राहत की बात है.
इसलिए आज जब हम अपने-अपने घरों में बैठे हैं. मोबाइल, टेलीफोन, इंटरनेट और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी ने हमें एक जीवनरेखा मुहैया कराई है और हमारे लिए बाहरी दुनिया की खिड़की खोल दी है. इसके अलावा, 24x7 बिजली आपूर्ति ने सभी कामकाज को 'चालू' रखा है. इसमें सिर्फ घर ही नहीं, बल्कि अस्पताल, क्लीनिक और मेडिकल इमरजेंसी वाले ट्रीटमेंट सेंटर भी शामिल हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि वर्तमान परिस्थितियों के दौरान यह सब कैसे संभव हो पा रहा है?
यह संकट उपेक्षित मिशन डिजिटलीकरण की जोरदार याद दिला रहा है. इस विनाशकारी दौर ने डिजिटल दुनिया की यात्रा तेज करने के साथ ही प्रौद्योगिकी को खुले दिल से अपनाने के लिए हमें प्रेरित किया है. लोगों के साथ बैठक करने और बातचीत करने के लिए वर्चुअल गेट-टूगेदर्स यानी आभासी बैठकें संभव हुई हैं. व्हाट्सएप कॉल, जूम, वीबेक्स, माइक्रोसॉफ्ट टीम्स, ब्लू जेम्स और अन्य वीडियो-संचार के जरिये नये तरह के सामूहिक संचार हो रहे हैं. जो न केवल आभासी बैठकें, बल्कि व्यापारिक बैठकें आयोजित करने में भी हमारी मदद कर रहे हैं. कोविड-19 ने भरोसेमंद बिजली, गैस और अन्य आवश्यक चीजों का महत्व उजागर किया है. हालांकि यूटिलिटी क्षेत्रों ने अलग-अलग निजी रूप से काम किया है, लेकिन पिछले छह सप्ताह में वे एकता की भावना के साथ 'आवश्यक सेवाओं' के रूप में एक साथ देखे गए हैं, ताकि लॉकडाउन अवधि में हम अपनी जिंदगी को बनाए रख पायें. इन 'आवश्यक सेवाओं' की भूमिका वास्तविक जीवन रक्षक की रही है.
कोविड-19 के बाद के युग में, कैश एक 'डर्टी' शब्द है और स्वस्थ आदतों के लिए करेंसी नोटों से दूर रहने और एक मजबूत डिजिटल और वित्तीय प्रणाली को अपनाने की आवश्यकता है जो ई-कलेक्शन/ई-एवेन्यू का इस्तेमाल करती है. इससे सुरक्षित भुगतान करना और सुरक्षित रहना सुनिश्चित होगा.
हम तेजी से विकसित हो रही डिजिटल दुनिया में रहते हैं और चाहे वह इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों, एलईडी टीवी चलाने का मामला हो या मोबाइल फोन को अपनाने का मामला हो, पिछले कुछ दशकों में हमने बहुत आसानी से इस डिजिटल दुनिया में खुद को व्यवस्थित कर लिया है. उपभोक्ताओं के रूप में, हम सब्जियों और किराने का सामान खरीदने पर डिजिटल भुगतान करते हैं. हमने नई दुनिया के उपकरणों, गिज्मों और डिजिटल लेनदेन को पूरी तरह से अपना लिया है.
जो लोग गैस और बिजली जैसी सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं, वे संकट के बावजूद अपने हिस्से का काम करते रहते हैं, और अब इस सेवा के बदले में समय पर डिजिटल भुगतान और सद्भावना प्रदर्शन के जरिये योदगान देने का काम ग्राहकों का है.
शुरुआत में, हमें उचित समय पर अपने मीटर की एक सेल्फ रीडिंग करनी चाहिए और इसे अपने यूटिलिटी के साथ साझा करना चाहिए. अगर आपको याद नहीं आता है तो यूटिलिटी सूचित करने के लिए आपको डेटा और संपर्क नंबर दे सकती हैं. यूटिलिटी इस रीडिंग को एक बिल में बदल देगी, जिसे सुरक्षित तरीके से ई-पेमेंट के माध्यम से आगे भेजा जाएगा. यह अन्य उपकरणों के लिए किये जाने वाले भुगतान जितना ही आसान है. यह न केवल उपभोक्ताओं और यूटिलिटी के बीच के रिश्ते को मजबूत करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि समय पर उनकी सेवाओं के लिए उन्हें उचित पारिश्रमिक मिले, और इस प्रकार उपभोक्ताओं को प्रतिबद्ध और बेहतर सेवाएं मिलना संभव हो सके.
डिजिटलीकरण वास्तव में एक नए ‘डिजिटल इंडिया, वन इंडिया’ के लिए उत्प्रेरक का काम करता है जो दायरों और सीमाओं से परे है. इसके लिए मुख्य रूप से उपयोगकर्ताओं और उनके सेवा प्रदाताओं के बीच बाधारहित एवं पारदर्शी रूप से जानकारी साझा करने के लिए एक संचार मंच की आवश्यकता है. यह परेशानी मुक्त और सरल होना चाहिए (लगभग बुनियादी बातों की ओर लौटने की तरह). यह प्रदाता और उपयोगकर्ता के बीच नए रिश्ते का निर्माण करेगा, सेवा की गुणवत्ता बढ़ाएगा और सटीक परिणाम प्रदान करेगा.
जरूरत की इस घड़ी में, सेल्फ-चेक, सेल्फ-सर्टिफिकेशन और स्व-घोषणाएं करने के लिए उन्हें उपयोगकर्ता और ग्राहक के सहयोग की आवश्यकता होगी. इसके साथ ही बिजली, गैस और अन्य आवश्यक चीजों के मामले में छूट और उचित समय अवधि के जरिये प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए.
अंतत: एक भरोसे का माहौल और रिश्ता काफी कारगर होगा जो शायद हमें वास्तविक प्रगति की राह पर ले जाएगा. यह रिश्ता एक भागीदारी योजना की तरह है जहां दोनों पक्ष आपसी विश्वास के साथ मिलकर और एकजुट होकर कार्य करते हैं. यह रिश्ता हमें डिजिटल दुनिया की ओर तेजी से ले जायेगा और इतिहास में एक ऐसे राष्ट्र का शानदार उदाहरण पेश करेगा, जो एक भव्य योजना के तहत सामूहिक, सहयोगात्मक और ठोस प्रयास से किये गये टीम वर्क और एक-दूसरे की भूमिकाओं की समझ के साथ एक नए युग और नई दुनिया में प्रवेश कर रहा है.
(लेखक- गोपाल जैन सीनियर एडवोकेट हैं और वर्ल्ड बैंक के सलाहकार भी रहे हैं. ये लेखक के अपने विचार हैं. इससे क्विंट का किसी तरह का सरोकार नहीं है.)
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Published: 22 May 2020,04:47 PM IST