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अपनों का मजबूत साथ होता, तो शायद जायरा माफी न मांगती

जायरा वसीम ने खुद ही बता दिया कि वो किसी के लिए आदर्श नहीं हैं. 

हर्षवर्धन त्रिपाठी
नजरिया
Updated:
गीता फोगट और जायरा वसीम  (फोटो: The Quint/YouTube screengrab)
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गीता फोगट और जायरा वसीम (फोटो: The Quint/YouTube screengrab)
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हरियाणा में लड़कों के मुकाबले लड़कियां बहुत कम हैं. फिर भी हरियाणा में लड़कों की चाहत सबको है. हरियाणा ही क्या, हिन्दुस्तान में लड़कों की चाहत सबको ही है. महावीर सिंह फोगट की पत्नी भी लड़के की चाहत में मन्दिर जाने से लेकर मन्नत मांगने तक सब करती रहीं. यही वजह रही होगी कि महावीर सिंह फोगट के 4 लड़कियां हुईं. लड़के की चाहत मन में रही होगी. पति-पत्नी के खुद भी और समाज के दबाव में भी.

लेकिन महावीर सिंह फोगट सिर्फ शरीर से ही पहलवान नहीं थे. फोगट कलेजे से भी पहलवान निकले. इस कदर कि अपनी सभी बेटियों को अखाड़े में उतार दिया. हरियाणा में पहलवानी खूब होती है. लेकिन अपनी सभी बेटियों को अखाड़े में उतारने वाले महावीर सिंह फोगट शायद अकेले पहलवान होंगे और यही असली पहलवान होने को साबित करता है.

महावीर सिंह फोगट का जीवन चरित्र इतना ऊंचा उठ गया कि नीतेश तिवारी ने 'दंगल' फिल्म की कहानी ही उन पर लिख डाली. इस फिल्म में महावीर का अभिनय आमिर खान ने किया है. इस फिल्म की खूब तारीफ हुई है. सिर्फ आमिर खान की ही तारीफ नहीं हुई महावीर सिंह फोगट बनने के लिए.

फिल्म में गीता फोगट का अभिनय करने वाली जायरा वसीम की भी खूब तारीफ हुई है. लड़कों के गालियां देने पर पटककर पीटने पर सिनेमाहॉल और उसके बाहर भी खूब तालियां बजीं.

असल पहलवान गीता फोगट का अभिनय भर कर लेने से लोगों ने उसे असली गीता फोगट मान लिया और उसे अपना आदर्श मानने लगे.

लेकिन क्या हो गया कि जायरा को यह कहना पड़ा कि वो आदर्श नहीं है. ये अलग बात है कि ऐसा कहने के पीछे जायरा का बड़प्पन नहीं, बल्‍कि उसका डर था. जायरा के 16 साल की होने की बात कहकर उसके डर को हल्का करने के भी तर्क आने लगे हैं. दरअसल जायरा पर्दे पर पहलवानी से इतनी प्रसिद्ध हुई कि जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने उसे मिलने के लिए बुला लिया. बस यही मिलन कश्मीर घाटी के अलगाववादी एजेंडे को चलाने वालों को रास नहीं आया.

फेसबुक से लेकर सोशल मीडिया पर जायरा को जमकर गालियां दी गईं. इस कदर कि जायरा को हारकर माफी मांगनी पड़ी. माफी मांगने के साथ जायरा ने कहा कि वो कश्मीर को नौजवानों का आदर्श नहीं हैं. जायरा ने डरकर यहां तक लिखा कि वो नहीं चाहते कि लोग उनके रास्ते पर चलें.

जायरा ने माफीनामे में ये भी लिखा, ‘’मैं खुद उस पर गर्व नहीं करती, जो मैं कर रही हूं. इसलिए नौजवानों को असली आदर्शों के रास्ते पर चलना चाहिए.’’ जायरा ने खुद के 16 साल की होने के आधार पर भी लोगों से माफ कर देने की विनती की है.

आखिर वो कौन लोग हैं, जिनसे जायरा ने इस तरह माफी मांगी. बताया जा रहा है कि फक्र-ए-कश्मीर और ऐसे कई दूसरे समूहों के जरिये जायरा को गालियां दी गईं और उसे माफी मांगने पर मजबूर किया गया. इन समूहों के जरिये कहा जा रहा था कि जायरा ने धर्म के खिलाफ काम किया है. धमकियां दी जा रही थीं. इन धमकियों का असर इस कदर था कि जायरा ने अपने माफीनामे का अंत अल्लाह के रास्ता दिखाने और रहम करने की गुजरिश के साथ किया है.

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पर्दे की गीता फोगट सोशल मीडिया पर पड़ी गालियों से डरी या फिर उसे असल में भी धमकाया गया और ढेर सारी गालियां दी गईं. ये जान लेने से बहुत फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन ये जानने की जरूरत है कि जायरा वसीम के मां-बाप की इस बारे में क्या राय है.

कश्मीर में इससे पहले भी प्रगाश बैंड को अपना संगीत की यात्रा बंद करनी पड़ी थी. कश्मीर को बांटने वाली ताकतें ये डर कश्मीरी नौजवानों के मन से निकलने नहीं देना चाहतीं. इसीलिए जायरा को इस कदर डराया गया कि पर्दे पर गीता फोगट जैसी साहसी लड़की का अभिनय करने वाली जायरा ने कश्मीरी नौजवानों से विनती कर डाली कि उसे आदर्श न माने.

अच्छा है कि जायरा ने खुद ही ये कह दिया. कश्मीर के नौजवानों, वहां की लड़कियों का आदर्श असली वाली गीता फोगट हैं और उसके पिता महावीर सिंह फोगट. वो गीता फोगट, जो कह रही हैं कि उनके साथ भी समाज में ऐसी ढेर सारी मुश्किलें आईं और उनसे जूझकर वो आगे निकलीं.

शायद जायरा भी आदर्श बन जाती, लेकिन उसके मां-बाप उसके साथ नहीं दिखे. जबकि गीता, बबिता फोगट के साथ उसके पिता महावीर सिंह फोगट और मां दया कौर खड़े रहे. इसीलिए किसी लड़के में असल जिंदगी में भी ये साहस नहीं है कि फोगट बहनों को गाली देकर बिना हड्डियां तुड़वाए निकल जाए. महावीर सिंह फोगट के अपनी 4 बेटियां और भाई की 2 बेटियां हैं. सभी 6 बेटियां पहलवान हैं. गीता, बबिता और विनेश फोगट तो अंतरराष्‍ट्रीय पहलवान हैं. लेकिन फोगट बहनों की सारी पहलवानी का दम पहलवान महावीर सिंह फोगट के दम से है.

महावीर और उस तरह की सोच रखने वालों ने दम न दिखाया होता, तो गीता, बबिता भी लड़कों, समाज की गालियां-ताने सुनकर घर बैठ गए होते या फिर जायरा की तरह माफी मांगने को मजबूर हो गए होते. इसलिए बुजदिली जायरा की नहीं है. बुजदिली उस समाज की है जो एक कदम आगे बढ़कर डर से दो कदम पीछे आ जाता है. जायरा के बैंकर पिता और शिक्षक मां और सही सोच रखने वालों ने ही जायरा को इतनी खुली सोच और आगे बढ़ने की ताकत दी होगी. लेकिन उस तरह की सोच फिर कहां गायब हो गई?

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(हर्षवर्धन त्रिपाठी वरिष्‍ठ पत्रकार और जाने-माने हिंदी ब्लॉगर हैं. इस आलेख में प्रकाशित विचार उनके अपने हैं. आलेख के विचारों में क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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Published: 17 Jan 2017,06:05 PM IST

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