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अभी मैं 6 तरह के भारतीयों को देख पा रही हूं.
जो खौफजदा और हताश हैं उनको धन्यवाद, क्योंकि उनका दिल इतना बड़ा है कि उसमें दूसरों के दुख के लिए जगह है. क्योंकि उनके पास ऐसा दिमाग है जो मिल बांटकर साथ रहने, सम्मान और शांति से जीने की बातें समझता है.
जो नफरत की इस आंधी का मुकाबला कर रहे हैं – एक जुट होकर; लोगों को साथ लाकर; तथ्यों को दर्ज कर; दस्तावेज तैयार कर; गुण, संसाधन, समय और धन से सहयोग कर; जो मीडिया नहीं बताती उसका विरोध कर, प्रतिक्रिया देकर और लोगों को बता कर – ऐसे लोग अपना ख्याल रखें. क्योंकि आप बेशकीमती हैं और हमें आपकी जरूरत है – ये लड़ाई बहुत लंबी होने वाली है.
जो लोग बहुत घबराए हुए हैं और भावनात्मक तौर पर प्रभावित हैं – आप भी अपना ख्याल रखें. थोड़ा आराम करें और वापस लौटें. जो हिंसा पीड़ित हैं, जिन्होंने इस त्रासदी को झेला है, उनके दर्द के सामने हमारा दर्द कुछ भी नहीं है. हमें खुद को संभालना होगा और उनकी आवाज बनना होगा. हमें हर तरीके से दिखाना होगा कि जो हो रहा है वो बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, कि ऐसा हम हरगिज नहीं होने देंगे, हमारे सामने नहीं, हमारे नाम पर नहीं. आपकी सहानुभूति आपकी शक्ति है और मुझे आप पर पूरा भरोसा है.
जो ना इधर हैं ना उधर हैं, जो उधेड़बुन में हैं, वो दोनों तरफ की कहानियां सुन रहे हैं, उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर ये हो क्या रहा है. आप उनको सुनिए जो इस त्रासदी की जमीनी हकीकत बता रहे हैं, आप उनको समझने की कोशिश करिए जो तथ्य और तर्क से सच को सामने रख रहे है, उन्हें नहीं जो डर और भय की कहानियां बता रहे हैं. आप स्वतंत्र मीडिया को पढ़िए. सच्चाई को खुद जानिए, तथ्यों को समझिए.
मुझे मालूम है कि आपका दिल बुरा नहीं है, लेकिन आपको इस वक्त दिमाग से काम लेना होगा. ये तो अंधी गली है, इतनी सारी जानकारियां हैं, कई तो बेहद परेशान करने वाली हैं, आप सब पढ़िए और सब देखिए.
जिन पर इन सबका कोई असर नहीं हो रहा, मैं उनकी स्थिति को समझ सकती हूं. ये वो लोग हैं जो रंगीन शीशों से दुनिया देखते हैं, जो चीजें पसंद नहीं आतीं उसके सामने आते ही आंखों पर पट्टी लगा लेते हैं.
जी हां, आप कहेंगे जिंदगी आपके लिए भी आसान नहीं रही, आपने भी कई परेशानियां झेली हैं – लेकिन मुझे बताइए क्या आप अपनी तुलना उस मजदूर से कर सकते हैं जो दिहाड़ी कर अपने परिवार को खिला रहा है जबकि उसकी झोपड़ी के ऊपर रखी तिरपाल फटी होने से घर में बची अकेली चादर बारिश में भीग रही है?
मैं ये नहीं कहती है आप अपनी सुविधाओं को लेकर अपराध बोध महसूस करें; जरूरत है आप सिर्फ अपनी हकीकत को पहचानिए.
आप दोनों की जो स्थिति है उसके लिए ना तो आपने कुछ किया है और ना ही उन्होंने. इसलिए कम-से-कम हम आंखों पर पड़ी ये पट्टी हटा कर, अपने आराम की जिंदगी से बाहर निकलकर, एक सक्रिय कोशिश तो कर सकते हैं कि हमसे अलग हालात में रहने वाले लोगों को हम बराबर का सम्मान दें, और तहे दिल से इस बात को समझें कि उनका भी इस आकाश, इस धरती, इस शहर पर उतना ही हक है जितना आपका है.
अगर ये सब पढ़ कर आप क्रोधित हो रहे हैं, तो अपने गिरेबान में झांककर देखिए और खुद से पूछिए ये सच क्यों नहीं हो सकता, कौन सी वो बात है जो आपको बुरी लग रही है. अपनी आत्मा में उस जगह को तब तक घूरते रहिए जब तक आपके अंदर इंसानियत ना दिख जाए – और ये पता चल जाए कि जो मैं कह रही हूं वो सच है. और फिर ये नफरत, हत्या, पीट-पीट कर मारना, जिंदा जलाना – सब आपके नाम पर – आपको परेशान कर देगा और आपको अपनी जिम्मेदारी का एहसास होगा कि आप अपनी सुविधाओं का इस्तेमाल एक बराबरी की दुनिया बनाने में कर सकते हैं.
जो अपनी जिंदगी को लेकर डरे हुए हैं और घर से बाहर निकलने में डरते हैं, जो अपने घर से बाहर निकल ही नहीं सकते, जिनके घर, दुकान और पूजा घर जला दिए गए हैं – उनसे मैं वादा करती हूं कि नफरत की इस आग का मैं पूरी ताकत से मुकाबला करूंगी, और मुझे यकीन है मुझ जैसे लाखों लोग वो सब कुछ कर रहे हैं जो वो कर सकते हैं.
जो अपनी जिंदगी को लेकर डरे हुए हैं और घर से बाहर निकलने में डरते हैं, जो अपने घर से बाहर निकल ही नहीं सकते, जिनके घर, दुकान और पूजा घर जला दिए गए हैं – उनसे मैं वादा करती हूं कि नफरत की इस आग का मैं पूरी ताकत से मुकाबला करूंगी, और मुझे यकीन है मुझ जैसे लाखों लोग वो सब कुछ कर रहे हैं जो वो कर सकते हैं.
और आखिर में वो ‘नेता’ जो नफरत फैलाते हैं, मैं आपको भूली नहीं हूं – मैंने सबसे घटिया लोगों को सबसे आखिरी में रखा है. एक दिन ऐसा आएगा जब इन सबके बावजूद आप बुरी तरह हारेंगे. क्योंकि मैं एक साधारण से सच में यकीन रखती हूं कि मोहब्बत नफरत से कहीं ज्यादा ताकतवर होती है.
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Published: 29 Feb 2020,09:10 AM IST