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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बजरंगबली ने बीजेपी पर भले ही कृपा न बरसायी हो, लेकिन भगवान महावीर व बुद्ध की धरती पर राम-हनुमान कथा के बहाने हिंदुत्व का भगवा एक बार फिर लहराने का पूरजोर प्रयास शुरू हो चुका है.
बागेश्वरधाम सरकार (Bageshwar Baba) उर्फ पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अभी पटना में हैं. बिहार की राजधानी पटना से करीब 30-35 किलोमीटर दूर नौबतपुर गांव में 13 से 17 मई तक पांच दिवसीय हनुमंत कथा व दिव्य दरबार का आयोजन हो रहा है.
कहने को तो यह विशाल आयोजन नौबतपुर का प्राचीन तरेत पाली मठ के सहयोग से हो रहा है, लेकिन सूत्र की मानें तो इसका सूत्रधार RSS और बीजेपी है. यह इस बात से भी साबित होता है कि चमत्कारी 'बाबा' पंडित धीरेंद्र शास्त्री के पटना आगमन पर बीजेपी के नेताओं ने गर्मजोशी से स्वागत किया. बीजेपी नेता मनोज तिवारी एक नयी भूमिका में नजर आए. उन्होंने 'बाबा' की गाड़ी का चालक बनकर उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त की.
नौबतपुर स्थित तरेतपाली मठ के पास करीब 3 लाख वर्ग फुट में जर्मनी तकनीक से निर्मित तीन भव्य पंडाल भी भक्तों की भीड़ के सामने छोटे पड़ गये. लाखों की उमड़ी भीड़ से उत्साहित पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने हनुमंत कथा के तीसरे दिन कहा कि "बिहार सनातन हिंदू एकता का प्रतीक है. यहां के लोगों का हुजूम देखकर तो ऐसा लग रहा है कि भारत हिंदू राष्ट्र की ज्वाला बिहार से ही भड़क गयी है, और एक दिन ऐसा आयेगा कि पूरा भारत राममय हो जाएगा. धन्य हैं बिहार के लोग."
एक दिन पहले भी धीरेंद्र शास्त्री मंच से देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की घोषणा कर चुके हैं. हनुमंत कथा के बहाने बारंबार हिंदू राष्ट्र की उद्घोषणा दक्षिणपंथी विचारधारा वाली पार्टी के कथित सांस्कृतिक राष्टवाद व हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने का ही प्रयास है, न कि विशुद्ध धार्मिक आयोजन.
विवादित बयानों के लिए चर्चित गिरिराज सिंह ने इस मौके पर कहा कि धीरेंद्र शास्त्री धार्मिक नेता व संत एवं धार्मिक पुरुष हैं. सनातन के संत के कार्यक्रम में हम जैसे सनातनी नहीं जाएंगे, तो कौन जाएगा? हर सनातनी को जिनको राम-हनुमान में आस्था है, सभी को आना चाहिए. भोजपुरी स्टार व बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने अपने ट्विटर हैंडल से कार्यक्रम का एक वीडियो फुटेज डालकर अपने फाॅलोवर्स को सूचना दी कि बिहार की पावन धरती पर बागेश्वरधाम पीठाधीश्वर के श्रीमुख से हनुमंत कथा प्रारंभ हो गयी है. बीजेपी नेताओं की सक्रियता को देखते हुए सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि इस आयोजन को सफल बनाने में पार्टी पूरी ताकत के साथ लगी है.
उधर, विपक्षी खेमे से अभी तक किसी नेता के बाबा की शरण में जाने की खबर नहीं है. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को बाबा की तरफ से आयोजन समिति ने आमंत्रण भेजा था, लेकिन तेजस्वी नहीं गए. बिहार सरकार में मंत्री तेजप्रताप यादव ने जरूर धीरेंद्र शास्त्री के आगमन के पहले बाबा के विरोध का बिगुल फूंका था, लेकिन धीरेंद्र शास्त्री के बिहार पहुंचने पर उन्होंने चुप्पी साध ली. हालांकि फिर उन्होंने कहा,
अब शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का बयान भी काबिलेगौर था. सरकार ने भीड़ को देखते हुए पुलिस-सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की, ताकि कोई ऐसी घटना न हो जाए, जो राजनीतिक तौर पर उल्टा पड़ जाए. इसलिए सरकारी अमला फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है. सरकार की भी पूरी नजर है.
हालांकि, कर्नाटक चुनाव में हार के बाद बीजेपी बिहार में हिंदुत्व के एजेंडे को सामाजिक न्याय की पैरोकार JDU-RJD नित महागठबंधन के जातीय जनगणना और आरक्षण जैसे मुद्दों के सामने कैसे परोसेगी और इसका राजनीतिक असर कितना होगा, यह देखना दिलचस्प होगा. दरअसल, बिहार के आम-अवाम का मिजाज अन्य राज्यों से अलग है, जहां सामाजिक न्याय, आरक्षण व जातीय जनगणना के नारे कमंडल पर भारी पड़ जाते हैं.
RSS प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान को याद कीजिए, जिनके आरक्षण के विरोध में दिए बयान के बाद 2015 बिहार विधानसभा चुनाव का सारा परिदृश्य ही बदल गया था. हालांकि, बीजेपी का धर्म वाला एजेंडा बिहार के गांव-गांव में भी पहुंच गया है, लेकिन बेरोजगारी, गरीबी और पलायन का दंश झेल रहे बिहार के लोगों पर हिंदू राष्ट वाला नारा कमोबेश असर करेगा, लेकिन उतना नहीं कि बीजेपी की अपनी राजनीतिक जमीन तैयार हो जाए.
वैसे भी बिहार में अभी जातीय जनगणना का मामला तरोताजा है. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. आगामी चुनाव में नीतीश सरकार को गिनाने के लिए कई काम हैं, जैसे- बड़े पैमाने पर जारी शिक्षक नियुक्ति, पुलिस विभाग से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक हजारों पदों को भरने के लिए सरकार लगातार भर्तियां निकाल रही है.
नीतीश कुमार की पार्टी के लिए महिलाएं कोर वोट बैंक है. महागठबंधन के सामाजिक न्याय व जनपयोगी काम के सामने बीजेपी की जुबानी जंग कितनी कारगर साबित होती है, यह चुनावी जंग में ही पता चलेगा.
बहरहाल, इस बीच पटना के वरिष्ठ पत्रकार धर्मेंद्र कुमार कहते हैं कि बिहार की जनता को बताने के लिए बीजेपी के पास कुछ है नहीं. उपलब्धियों की कोई सूची नहीं है, इसलिए बाबा को हनुमंत कथा के बहाने सुनियोजित तरीके से यहां प्रोजेक्ट कर रही है, ताकि आगामी चुनाव में धर्म की बयार बहायी जा सके, लेकिन ये भी तय है कि बिहार में ऐसा संभव नहीं है.
सम्राट चौधरी से पहले ओबीसी समाज से आने वाले डाॅ. संजय जायसवाल व नित्यानंद राय को भी पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष का पद देकर ओबीसी वोट साधने की कोशिश की थी. बीजेपी धर्म की नाव को जाति के पतवार से खेना चाहती है.
वैशाली के जन्दाहा निवासी अर्जुनदास निशांत सवाल उठाते हुए कहते हैं कि यह चमत्कार नहीं है और न ही दिव्यता जैसी कोई चीज है, बल्कि सब तकनीक व दिमाग का कमाल है. बाबा पर्ची निकालते ही हैं, तो क्यों नहीं उन चोरों की पर्ची निकालकर पकड़ लेते हैं, जो हर दिन हनुमंत कथा पंडाल में उमड़ी महिलाओं की भीड़ को शिकार बना रहे हैं.
इस कारण कथा को पहले ही समाप्त करनी पड़ी, हालांकि दिव्य दरबार रद्द करने की घोषणा के बाद भी अगले दिन धीरेंद्र शास्त्री ने दिव्य दरबार लगाया, जिसमें श्रद्धालुओं की अर्जी लगायी गयी. एक चैनल के रिपोर्टर के सामने भी दो लोगों का पर्चा लिखकर बाबा ने आशीर्वाद दिया.
इस आयोजन में पहुंचने वाले लाखों लोगों के भोजन की व्यवस्था की गयी है. पंडाल से लेकर अन्य व्यवस्था में करोड़ों रुपए खर्च होंगे. इसकी फंडिंग कहां से हो रही है, इसके बारे में आयोजन समिति ने अबतक कोई जानकारी नहीं दी है. कई स्थानीय पत्रकारों ने यह जानने की कोशिश की, लेकिन बताया गया कि सब भगवत कृपा है. मठ की ओर से भंडारा कराया जा रहा है. वैसे कथा स्थल पर दानपेटी भी रखी गयी है.
बिहार को बीमारू राज्य की संज्ञा दी जाती रही है. इसका मुख्य कारण है कि शिक्षा में पिछड़ेपन, स्वास्थ्य सुुविधाओं का अभाव, बेरोजगारी व पलायन, संसाधनों की कमी, गरीबी-कुपोषण की समस्याएं, बाढ़-सुखाड़ आदि.
धर्म के साथ पाखंड-कर्मकांड व राजनीति का तड़का लगता है, तो किसी खास विचारधारा के नेताओं की बांछें जरूर खिल जाती हैं, लेकिन चमक-दमक में लिपटा धर्म का विकृत चोला एक न एक दिन धूमिल होता ही है.
(यह एक ओपिनियन पीस है, व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट हिंदी न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है. डॉ संतोष सारंग वरिष्ठ पत्रकार, लेखक व कवि हैं. सिटीजन जर्नलिस्ट अवार्ड से सम्मानित. साउथ एशिया क्लासमेट चेंज अवार्ड फेलो. महिलाओं द्वारा संचालित वैकल्पिक मीडिया 'अप्पन समाचार' के संस्थापक हैं. बिहार के एक काॅलेज में अध्यापन का कार्य करते हैं. उनका ट्विटर हैंडल @SantoshSarang_ है.)
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