बिहार (Bihar) में बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र शास्त्री (Bageshwar Baba Dhirendra Shastri ) का 'दिव्य दरबार' सजा है. बाबा पर्चा निकालकर अपने भक्तों की समस्या का समाधान कर रहे हैं. हनुमंत कथा चल रही है. इतनी भीड़ उमड़ रही है कि पैर रखने तक की जगह नहीं है. लेकिन इन सबके बीच सियासत भी चरम पर है. कोई नेता बाबा का सारथी बन गया, तो कोई आरती उतारने लगा. किसी ने विरोध की बात कही, तो किसी ने निमंत्रण ठुकरा दिया.
सवाल है कि बिहार में कैसे एक धार्मिक कार्यक्रम सियासी जोर-आजमाइश का अखाड़ा बन गया? क्या बाबा के समर्थन के पीछे बीजेपी का कोई हिडेन एजेंडा है? RJD-JDU सहित महागठबंधन दलों ने क्यों दूरी बना ली है? इस कार्यक्रम से प्रदेश की सियासत पर कितना असर पड़ेगा?
'बिहार से जलेगी हिंदू राष्ट्र की ज्वाला'
बाबा धीरेंद्र शास्त्री बिहार आए तो उन्होंने एक बार फिर हिंदू राष्ट्र की बात की. उन्होंने कहा कि बिहार के लोग पिछड़े और बिछड़े नहीं हैं, बिहार के लोग भक्ति से भरे हुए लोग हैं. बिहार के लोग सनातन हिंदू एकता का प्रतीक हैं.
"हमें तो ऐसा लग रहा भारत हिंदू राष्ट्र की ज्वाला बिहार से ही भभक रही है. और एक दिन ऐसा आएगा जब पूरा भारत राममय होगा."धीरेंद्र शास्त्री
लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है जब बाबा ने हिंदू राष्ट्र या फिर हिंदुत्व की बात की हो. आपको थोड़ा पीछे लेकर चलते हैं. इसी साल नागपुर में अंधविश्वास उन्मूलन समिति ने धीरेंद्र शास्त्री पर जादू-टोना और अंधविश्वास को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था. यहां तक की समिति ने उन्हें चैलेंज भी किया था. इसके बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर बयान दिया, तो विवाद खड़ा हो गया. छत्तीसगढ़ सरकार के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने उन्हें चुनौती दे डाली. धीरेंद्र शास्त्री ने पठान फिल्म के बॉयकॉट की बात भी कही थी.
अपने बयानों को लेकर बाबा बागेश्वर सुर्खियों में छा गए. मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक उनके चर्चे होने लगे. टीवी चैनलों को दिए इंटरव्यू से लेकर अपने दरबार में वो हिंदुत्व, राम राज्य और भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात कहने लगे. इसके जरिए उनकी एक फायर ब्रांड छवि बनी. जिससे उनकी फैन फॉलोइंग बढ़ती दिखी.
ऐसे में जब उन्होंने बिहार आने का ऐलान किया तो RJD नेता और बिहार सरकार में मंत्री तेज प्रताप यादव ने उनके घेराव की बात कही थी. 30 अप्रैल को उन्होंने ट्वीट किया, "धर्म को टुकड़ों में बांटने वालों को करारा जवाब मिलेगा." हालांकि, उन्होंने अपने ट्वीट में किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा धीरेंद्र शास्त्री की ओर ही था.
बाबा महिलाओं को भूत के नाम पर नचाते हैं. धीरेंद्र शास्त्री के सामने जो भी जाता है वह डूब मरे." वहीं जगह-जगह धीरेंद्र शास्त्री के पोस्टर फाड़ने की तस्वीरें भी सामने आई.सुरेंद्र यादव, सहकारिता मंत्री
बाबा के स्वागत में उतरे बीजेपी नेता
लेकिन बाबा जब बिहार आए तो उनके स्वागत में बीजेपी नेता उतर आए. मनोज तिवारी खुद बाबा के सारथी बन गए. कथा के दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे, नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा, विधायक नीरज बबलू, पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बाबा की आरती उतारी.
कार्यक्रम में शामिल होने के लिए डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को भी न्योता भेजा गया था. लेकिन उन्होंने कार्यक्रम में जाने से यह कहकर इनकार कर दिया कि जहां जनता का भला होता है, वो वहीं जाते हैं. जिसके बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने उन पर निशाना साधते हुए कहा कि,
"ये लोग वहां जाते हैं जहां इफ्तार पार्टी होती है. उन्होंने कहा कि हनुमंत कथा में वोट नहीं है, इसलिए ये लोग हनुमंत कथा से परहेज करते हैं."
लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है जब बीजेपी और उसके नेता इस तरह के कार्यक्रमों में दिखे हैं. इससे पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बागेश्वर धाम दरबार में हाजिरी लगाई थी. विदिशा में आयोजित भागवत कथा में बीजेपी के कई नेता मौजूद रहे. बता दें कि मध्य प्रदेश में इस साल चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दरबार में नेताओं की मौजूदगी अहम हो जाती है. वहीं पिछले साल रेप के दोषी राम रहीम के सत्संग में हरियाणा बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने हाजिरी लगाई थी. इसके अलावा कांग्रेस नेता कमलनाथ ने भी धीरेंद्र शास्त्री से मुलाकात की थी.
लेकिन बिहार में ऐसा क्यों है?
इसकी सबसे बड़ी वजह से 2024 का लोकसभा चुनाव. रामचरितमानस विवाद से लेकर धीरेंद्र शास्त्री तक बीजेपी हिंदुत्व के मुद्दे पर मुखर है. बीजेपी नेता महागठबंधन सरकार और नीतीश कुमार पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाते रहे हैं. रामनवमी हिंसा के दौरान नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी पर भी बीजेपी ने सवाल उठाए थे. तब नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा था, "बिहार हिंसा में जल रहा है. कानून व्यवस्था खत्म हो चुकी है और सीएम इफ्तार पार्टी दे रहे हैं."
बहरहाल, बीजेपी नेताओं के एक्शन और बयान से साफ है कि पार्टी धीरेंद्र शास्त्री के जरिए बिहार में अपनी राजनीति चमकाने में जुटी है. तो दूसरी तरफ महागठबंधन के खिलाफ इसे राजनीतिक हथियार के तौर पर भी इस्तेमाल कर रही है. लेकिन इससे बीजेपी को कितना माइलेज मिलेगा, इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि,
"जिस बात को भारतीय जनता पार्टी करती है, उसी बात को वह भी कह रहे हैं, मुंह से मुंह मिलाकर ये बातचीत हो रही है. ऐसी परिस्थिति में निश्चित रूप से भारतीय जनता पार्टी को लाभ मिलता हुआ दिखाई पड़ रहा है."
इसके साथ ही वो कहते हैं कि इस तरह के कार्यक्रम को किसी भी राजनीतिक दल से जोड़कर नहीं देखना चाहिए. लेकिन जो दिखाई पड़ रहा है उससे साफ लग रहा है कि यह बीजेपी का कार्यक्रम बनकर रह गया है.
वहीं वरिष्ठ पत्रकार कुमार पंकज कहते हैं कि, "बीजेपी वालों की आस्था है इसलिए वो प्रवचन सुनने जा रहे हैं. बाकी दलों की आस्था नहीं है इसलिए वो नहीं जा रहे हैं."
बहरहाल, बाबा के बहाने बीजेपी अब बिहार में हिंदुत्व के एजेंडा को धार देने में जुटी है. अब देखना होगा कि बाबा के आने से बिहार में बीजेपी को कितना फायदा होता है और कार्यक्रम से दूरी बनाने वाली पार्टियों को कितना नुकसान होता है.
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