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Elon Musk भारत में होते तो दुनिया के सबसे अमीर आदमी नहीं होते

Elon Musk अपनी मेहनत से Tesla को उतना ही कामयाब तो बना लेते, लेकिन नियम उन्हें इनाम लेने से रोक देते

राघव बहल
नजरिया
Updated:
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Elon Musk भारत में होते तो दुनिया के सबसे अमीर आदमी नहीं होते

(Photo- Quint)

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एलन मस्क (Elon Musk) इस पृथ्वी के सबसे अमीर आदमी हैं. किंवदंती है कि उनके पास 250 बिलियन डॉलर या लगभग 20 लाख करोड़ रुपए की दौलत हो सकती है (हां, अगर हम इसे रुपए में गिनें तो हमारे पेट में खलबली मच जाती है!) उन्होंने अपनी ज्यादातर दौलत टेस्ला इंक के 150 मिलियन शेयर्स और स्टॉक ऑप्शंस से कमाई है. आइकॉनिक इलेक्ट्रिक कार और सस्टेनेबल एनर्जी कंपनी टेस्ला की स्थापना दो दशक पहले हुई थी.

अब कल्पना के घोड़े दौड़ाना छोड़िए और मेरे साथ ‘अगर यूं होता तो क्या होता’, नाम का एक खेल खेलिए (आपको बस, मेरी हां में हां मिलानी है)... अगर टेस्ला भारत में शुरू की जाती तो क्या होता? क्या यह उतनी ही कामयाब होती जैसी अमेरिका में हुई? ओहो- मैंने आपसे कहा था ना कि आपको सिर्फ हां में हां मिलाना है... जैसे क्या यहां भी टेस्ला ने वही उपलब्धियां हासिल की होतीं? मतलब, क्या टेस्ला इंडिया ने पिछले साल 10 लाख मॉडल 3/Ys बेचे होते, और करीब एक ट्रिलियन डॉलर का मार्केट कैप छुआ होता?

क्या होता, गर यूं होता

बिल्कुल, मैं कुछ अविश्वसनीय किस्म की, विश्वसनीय सच्चाइयां बयां कर रहा हूं ताकि आप सिर हिलाकर किनारे न बैठ जाएं: कल्पना कीजिए कि मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग ने 2003 में पुणे के पिंपरी में टेस्ला इंडिया की स्थापना की. कल्पना कीजिए कि पेपाल के एक को-फाउंडर एलन मस्क टेस्ला का एक्सपाट चेयरमैन बनना चाहते हैं इसलिए उन्होंने भारत के विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) में अर्जी दाखिल की, ताकि टेस्ला इंडिया में 30 मिलियन डॉलर का निवेश कर सके.

कल्पना कीजिए कि मार्टिन और मार्क ने 2008 में कंपनी छोड़ दी और एलन मस्क टेस्ला इंडिया के सीईओ और "प्रमोटर" बन गए. उनके नेतृत्व में इलेक्ट्रिक रोडस्टर ने पुणे के टेस्ट ट्रैक पर आग लगा दी, सिंगल चार्ज पर 245 मील तक दौड़ गई. हुर्रे! एक चमकते भारतीय सितारे का जन्म हुआ. अरे भई, कल्पना करने में क्या है!

अब मेरा टेढ़ा सवाल: तो हम सभी सहमत हैं कि टेस्ला इंडिया ने 2022 में एक ट्रिलियन डॉलर, या 80 लाख करोड़ रुपए के मार्केट कैप को छुआ. एलन मस्क की कीमत आज कितनी होगी? 250 बिलियन डॉलर से ज्यादा या कम?

चलिए, यह सवाल बदल देते हैं. क्या एलन मस्क ज्यादा दौलतमंद होते या कुछ कम अमीर होते, अगर उन्होंने टेस्ला की पहली फैक्ट्री पिंपरी, पुणे में लगाई होती, न कि फ्रीमॉन्ट, कैलीफोर्निया में?

याद रखिए- हम “अगर ऐसा होता तो क्या होता”, नाम का एक खेल खेल रहे हैं, जोकि अनुमानों पर आधारित है, यानी टेस्ला इंडिया टेस्ला इंक जैसी ही कामयाब है, न एक पैसा कम, न ही एक ईवी कम. लेकिन तब, एलन मस्क का क्या होता?

कानूनी मकड़जाल से फंस जाते एलन

अब मैं खेल आगे बढ़ाता हूं. अतीत की बातें याद कर लेते हैं. याद कीजिए कि एलन मस्क ने FIPB की मंजूरी के जरिए टेस्ला इंडिया में 30 मिलियन डॉलर का निवेश किया था. सच्ची अमेरिकी परंपरा के अनुसार, उन्होंने डीप वैल्यू इनवेस्टमेंट के लिए मार्टिन और मार्क के साथ कड़ी सौदेबाजी की थी. लेकिन उफ!! वह भूल गए कि भारत में कमर्शियल सौदेबाजी में इक्विटी को खरीदा और बेचा नहीं जा सकता है.

यह आसान सवाल नहीं है कि क्रेता और विक्रेता किस पर समझौता करने को तैयार हैं. इसके बजाय एलन को एक सर्टिफाइड चार्टर्ड एकाउंटेंट की जरूरत पड़ती जो “उचित वैल्यूएशन” कर सके और भविष्य में कैश फ्लो के ऐसे आंकड़े का अनुमान लगा सके, जिसका किसी के लिए कोई मायने न हो, पर उससे टैक्स अधिकारी खुश जरूर हो जाएं!

और इसके बावजूद कि वह यह सब जानते हैं, लेकिन फिर भी एलन ट्वीट करते, “क्या मजाक है” और फिर सब कुछ नजरंदाज कर देते. लेकिन भारतीय कानून के हाथ बहुत लंबे हैं. कुछ महीनों बाद उन्हें भारतीय इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 56 (2) (X) के तहत नोटिस मिलता है. इसमें उन पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने कंपनी को अंडरवैल्यू किया था और उन पर 60 मिलियन का टैक्स और पैनेल्टी लगाई जाती है. एलन मस्क अपने स्टाइल में कागज को फेंकते हुए अपने एकाउंटेंट से कहते हैं, “इस नॉनसेंस को देखो जरा.”

अब अपने खेल की तरफ मुड़ते हैं. वह साल 2010 है और टेस्ला इंडिया अपने आईपीओ के साथ तैयार है. वह पब्लिक में 13 मिलियन शेयर के साथ जाने के लिए सेबी के पास एक रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस फाइल करता है. कंपनी की इस सनसनी की बहुत चर्चा है.

1.5 बिलियन डॉलर के मार्केट कैप के जरिए 226 मिलियन उगाहे जाने हैं, और आईपीओ 40% प्रीमियम पर लिस्ट होता है. एलन के पास 28 मिलियन शेयर हैं, जिसकी कीमत आज के रुपए के हिसाब से आधा बिलियन डॉलर या 4000 करोड़ रुपए है.
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परफॉर्म करते तो भी इनाम न मिलता

टेस्ला इंडिया फल-फूल रही थी और इसका बोर्ड खूब खुश था. 2012 में एलन ने एक कसम खाई. वह नकद वेतन नहीं लेंगे बल्कि वह प्रदर्शन आधारित स्टॉक ऑप्शन होगा. इसलिए बोर्ड ने एक आक्रामक योजना बनाई. एलन को लगभग 26-27 मिलियन स्टॉक ऑप्शन मिलेंगे, और हर शेयर की कीमत छह डॉलर से थोड़ी अधिक होगी. हां, उन्हें कुछ लक्ष्य हासिल करने होंगे और इसके साथ यह ऑप्शन 10 किश्तों में हासिल होगा. ये विकल्प पूरी तरह से तभी मिलेंगे जब "टेस्ला का मार्केट कैप 3.2 बिलियन डॉलर से बढ़कर 43.2 बिलियन डॉलर हो गया हो. इसी तरह कंपनी ने एलन को 10 टारगेट दिए. एलन ने सारे लक्ष्य पूरे किए- मसलन मॉडल एक्स अल्फा प्रोटोटाइप के औसतन 3 लाख कारों का निर्माण और ऐसे ही बाकी लक्ष्य. 2018 तक टेस्ला इंडिया का मार्केट कैप 55 बिलियन डॉलर था.

कंपनी को इस मुकाम पर पहुंचाने के बावजूद एलन को कंपनी के शेयर नहीं मिल पाए. क्यों? क्योंकि भारतीय कानून के तहत कंपनी के फाउंडर/प्रमोटर ऐसा नहीं कर सकते. इसलिए 26-27 मिलियन स्टॉक ऑप्शन बर्बाद होकर सड़ गए. एलन मस्क निराश हो गए लेकिन वह नौजवान हैं और उनका जोश और महत्वाकांक्षा इतनी जल्दी ठंडे नहीं पड़ सकते.

सरकार बदलने से भविष्य बदलने की उम्मीद

2014 में नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने और उन्होंने वादा किया कि जो कुछ टूटा-फूटा था, उसे दुरुस्त किया जाएगा. इसमें पुराने-धुराने कानून भी शामिल थे, जिन्होंने हमारे स्टार्ट-अप उद्यमियों को गरीबी में धकेला था. टेस्ला के बोर्ड ने एक आह भरी, और अपने सुपरस्टार सीईओ के लिए एक और स्टॉक योजना बनानी शुरू कर दी.

एलन मस्क के लिए 2018 की स्टॉक योजना, 2012 से ज्यादा शानदार थी. इस बार उन्हें लगभग 70 डॉलर की कीमत पर 101 मिलियन से अधिक ऑप्शंस दिए गए थे, जो कि अधिक कठोर लक्ष्यों से बंधे 12 चरणों में निहित थे. मैं इसे आसान रखूंगा. अगर टेस्ला 650 बिलियन डॉलर का मार्केट कैप हिट करती है तो एलन मस्क को ये सारे शेयर मिलेंगे.

पर सरकारें बदलती हैं, कानून नहीं

अब बीती बातों को भूलिए और आज की सोचिए. 2022 की पहली तिमाही में, टेस्ला ने 55 बिलियन डॉलर से अधिक का वार्षिक राजस्व और 12 बिलियन डॉलर से अधिक का वार्षिक समायोजित EBTIDA दर्ज किया. टेस्ला के शेयर की कीमत 970 डॉलर प्रति शेयर (बनाम 70 डॉलर प्रति ऑप्शन मूल्य) से अधिक थी.

एलन मस्क को बहुत अधिक अमीर होना चाहिए था (ओह, मुझे इससे नफरत हो रही है) ... लेकिन, चूंकि टेस्ला एक भारतीय कंपनी थी, और सरकार ने पुराने नियम नहीं बदले थे, इसलिए एक बार फिर उन्हें इससे मना कर दिया गया...प्रमोटर स्टॉक ऑप्शंस के हकदार नहीं होते हैं... अब आप चाहें या न चाहें- मानना तो पड़ेगा ही!

एलन मस्क गुस्से में थे, लेकिन उनमें अदम्य प्रतिभा है. उन्होंने ट्वीट किया "मैं टेस्ला को प्राइवेट कर लूंगा", जहां बोर्ड उन्हें स्टॉक ऑप्शन दे सकता था. इससे पहले कि वह अपनी योजना के बारे में बता पाता, सेबी ने अपना खतरनाक प्रतिबंध लगा दिया. “बोर्ड, शेयरधारकों और रेगुलेटर की मंजूरी के बिना एक प्रमोटर की ट्विटर पर इस तरह की प्राइस सेंसिटिव घोषणा करने की हिम्मत कैसे हुई? एलन मस्क को दो साल के लिए सिक्योरिटी में ट्रेड करने से प्रतिबंधित किया जाएगा.” धमाका. बहुत हुआ. सब खत्म.

नहीं, मस्क इतने अमीर हो ही नहीं सकते थे

अंत में: जाहिर सी बात है, ऊपर जो कुछ लिखा है, काल्पनिक है. लेकिन कानून और लोगों पर उनका असर, जस का तस है. अगर एलन मस्क ने भारत में टेस्ला को शुरू किया होता तो उन्हें लगभग 130 मिलियन स्टॉक ऑप्शंस से महरूम कर दिया जाता. 2010 में आईपीओ के समय उनके पास सिर्फ 28 मिलियन शेयर थे. इसलिए मौजूदा कीमतों पर, उनकी कुल संपत्ति 250 बिलियन डॉलर के बजाय 25 बिलियन डॉलर हो सकती थी.

बेशक हमारी व्यवस्था तमाम प्रतिभाशाली लोगों की काबलियित को दबाने में माहिर हैं. हद से हद हम उनकी क्षमता का एक बटा दसवां हिस्सा ही उलीच पाते हैं. और इसके लिए हमारे देश के आउट ऑफ डेट कानूनों का शुक्रिया! दुखद!

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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Published: 12 Jun 2022,01:08 PM IST

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