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आइए पहले शुरुआत करते हैं कंक्लूजन से : एम्मा रेली को पिछले हफ्ते नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया. प्रेस से बात नहीं करने या सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करने के औपचारिक निर्देश की अवहेलना करने के बाद उन्हें आधिकारिक रूप से नौकरी से निकाला गया. रेली के अनुसार, व्हिसलब्लोअर को हटाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला बहाना बेहतर व औचित्यपूर्ण होना चाहिए जैसे पुरुषों के लिए यौन दुराचार के आरोप और महिलाओं के लिए मानसिक अस्थिरता.
इससे ऐसा प्रतीत होता है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा चीन को दिए गए विशेषाधिकारों की आलोचना करने के लिए आपको नौकरी गंवाने और कॅरियर खत्म करने जैसी कीमत चुकानी पड़ सकती है. वहीं दूसरी ओर कैसे उसके (यूएन) प्रतिनिधि दबाव में या अन्य किन्हीं कारणों से बीजिंग की धुन पर नाचते हैं यह भी देखा जा सकता है.
यह कहानी कई साल पहले शुरू होती है, जब रेली ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के लिए काम करना शुरू किया था. वह सिर्फ एक साल से अधिक समय तक पद पर रहीं. मार्च 2013 में उन्हें जिनेवा स्थित एक चीनी राजनयिक से मेल में एक असाधारण संदेश मिला, जिसमें "सरकार विरोधी चीनी अलगाववादियों" व्यक्तियों मानवाधिकार परिषद में भाग लेने जा रहे थे उनके बारे में जानकारी देने का ''फेवर'' मांगा गया था.
इसे संयुक्त राष्ट्र के नियमों द्वारा स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित किया गया है लेकिन बावजूद इसके उनके प्रत्यक्ष वरिष्ठ, मानवाधिकार परिषद (OHCHR) के उच्चायुक्त कार्यालय की मानवाधिकार परिषद शाखा के प्रमुख, एरिक टिस्टौनेट ने कर्मचारियों को चीन के साथ नाम साझा करने का निर्देश दिए थे.
हालांकि बहुत सारे असंतुष्ट (आधिकारिक नीति का विरोध करने वाले) यूरोपीय नागरिक थे, उनके परिवार चीन में ही थे. जैसा कि सभी निरंकुश, तानाशाही शासनों में होता है चीन विरोध करने वालों को देश में अभी भी रह रहे उनके परिवार को नुकसान पहुंचाने देता इसीलिए उन्होंने ठीक वैसा ही किया.
एम्मा रेली बीजिंग को दिए गए इस "फेवर" से परेशान थी, इसलिए उसने उन सभी ई-मेलों को फिर से ट्रैक किया, जिनमें पिछले वर्ष के दौरान उसकी कॉपी की गई थी. इससे उन्हें यह पता चला कि इस तरह का "फेवर" कोई नई बात नहीं थी.
नतीजतन, उन्हें सितंबर 2012 के एक मेल के बारे में पता चला, जिसमें एक चीनी राजदूत ने मान्यता प्राप्त कर्मियों की पहचान की जांच के "यूजअल प्रैक्टिस" का उल्लेख किया था. एम्मा ने अपने सीनियर्स से शिकायत की और उन्हें संयुक्त राष्ट्र के दिशा-निर्देशों के अनुसार रिपोर्ट भी किया, लेकिन इससे कुछ भी नहीं बदला.
फरवरी 2017 को मानवाधिकारों के लिए उच्चायुक्त के कार्यालय द्वारा एक प्रेस रिलीज जारी की गई थी, जिसमें कार्यकर्ताओं को नुकसान पहुंचाने के आरोपों को "स्पष्ट रूप से खारिज" किया गया था.
इतने वर्षों में उसका मामला अंततः संयुक्त राष्ट्र के उच्चतम स्तर पर चला गया. संयुक्त राष्ट्र ने रेली के दावों की सत्यता को दो बार, एक बार 2017 में और फिर 2019 में मान्य किया है. रेली को शुरू में एक 'व्हिसलब्लोअर' के रूप में पहचाना गया था, जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा विशिष्ट सुरक्षा प्रदान किया गया था. सैद्धांतिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी गलत कामों और भ्रष्टाचार की निंदा करने के लिए बाध्य हैं. 2018 के एक पत्र में यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के स्टाफ के प्रमुख, मारिया लुइज़ा रिबेरो वियोटी ने मानवाधिकारों के लिए तत्कालीन उच्चायुक्त, जॉर्डन के ज़ीद राद अल-हुसैन से इस विवाद को "अनौपचारिक रूप से हल करने" का आग्रह किया था. उन्होंने लिखा था आयरिश महिला के साथ "मध्यस्थता" करें, और 2018 के एक पत्र में "उसके लिए (रेली) जितनी जल्दी हो सके एक उपयुक्त पद खोजें." लिखा.
2018 में एक पत्र में उसके (रेली) लिए जितनी जल्दी हो सके एक उपयुक्त पद खोजने की बात कही गई थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और बाद में उन्होंने रेली को आश्चर्यजनक रूप से सूचित किया कि स्थानीय अधिकारियों पर "उनके पास कोई पावर नहीं है." रेली को संयुक्त राष्ट्र में सैलरी के साथ रखा गया था, लेकिन कुछ दिनों पहले फ्रांसीसी समाचार पत्र ले मोंडे में इस पूरी घटना के प्रकाशित होने तक उनके पास कोई निवास नहीं था. इस दौरान रेली को कई तरह से बहिष्कृत और परेशान किया गया.
यह तिकड़म या उपाय काम कर गया. क्योंकि बैठक उस समय तक समाप्त हो चुकी थी जब तक उसने कहा कि कुछ भी गलत नहीं था और उसे कोई खतरा नहीं था, और इसी के साथ वह हस्तक्षेप करने में असमर्थ रही.
सच कहूं तो कहानी अविश्वसनीय है, क्योंकि उइगरों के नरसंहार को छिपाने या असंतुष्टों और मानवाधिकारों के पैरोकारों को परेशान करने वाले चीन के बारे में कुछ भी असामान्य नहीं है, लेकिन जिस संगठन से हम लोगों और देशों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने की उम्मीद करते हैं, वहां ऐसा हो ये चौंकाता है.
खुश उइगरों को दिखाते हुए पैलेस ऑफ नेशंस के गलियारों में चित्रों की एक प्रदर्शनी स्थापित करने के लिए चीन को अनुमति देना कुछ अटपटा था लेकिन उन्होंने मार्च 2020 में ऐसा किया था. लोग अगले दरवाजे और पैलेस के बाहर कई वर्षों तक चीन द्वारा किए गए नजरबंदी शिविरों और एक नरसंहार के लिए विरोध और प्रदर्शन कर रहे थे, क्योंकि साइड इवेंट्स और नागरिक समाज से स्वतंत्र आवाजों को अभी तक COVID-19 के बाद पैलेस में अनुमति नहीं दी गई है.
बीजिंग अंतरराष्ट्रीय मानकों को अपने पक्ष में बदलने के साथ-साथ विरोधियों का गला घोंटना चाहता है, खासकर जब मानवाधिकारों की बात आती है. यह अब स्वयं को अभिव्यक्त करने की आजादी जैसी स्वतंत्रताओं के साथ नहीं जुड़ना चाहता है, इसके बजाय उन आदर्शों को अपनाने को प्राथमिकता देता है जो इसके लिए अधिक फायदेमंद हैं, जैसे कि आर्थिक प्रगति. यह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) या सामान्य रूप से बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के साथ मानवाधिकारों के उल्लंघन पर भी लागू होता है.
इस नैरेटिव के तहत बलूच या उइगरों का नरसंहार, विकास के लिए चुकाई जाने वाली एक छोटी सी कीमत है.
लेकिन जैसा कि वे कहते हैं, 'व्यावहारिक' होना, और 'अधिक अच्छे' के लिए 'छोटी रियायतें' देना एक बात है और ये संगठन के अंदर चल रही गलत चीजों को कवर अप करना अलग बात.
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि यह प्रैक्टिस बंद हो गई है, हालांकि इस दावे का समर्थन करने के लिए वह कोई सबूत नहीं देता है. वहीं दूसरी ओर रेली ने इस बात की गवाही दी कि उन्हें क्या सबूत मिले और वह एक स्वतंत्र जांच के लिए जोर दे रही हैं. अगर वे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता को बचाना चाहते हैं तो जांच जरूरी है.
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