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छत्तीसगढ़ में मिड डे मील के तहत दिए जाना वाला अंडा खानपान के साथ छेड़छाड़ का विवाद बन गया है. अब भूपेश बघेल सरकार संवेदनाओं का ख्याल रखते हुए अंडे की होम डिलीवरी की बात कर रही है. इसी राज्य में 14 साल से कम उम्र के एक तिहाई बच्चों का कद और वजन सामान्य से कम है और बड़ी संख्या में आदिवासी बच्चे कुपोषित हैं. महत्वपूर्ण है कि यह विवाद ऐसे वक्त में उठा है जब संयुक्त राष्ट्र की एक अहम रिपोर्ट भारत के लिये अलार्म बेल की तरह सामने आई है.
जहां संयुक्त राष्ट्र के लिए यह आंकड़े साल 2030 तक दुनिया भर से भूख मिटाने (जीरो हंगर) के अपने लक्ष्य को देखते हुए परेशान करने वाले हैं, वहीं भारत के लिये यह दोहरी चिंता का विषय है. पहली वजह तो यह कि भुखमरी के शिकार कुल 82 करोड़ लोगों में करीब 51 करोड़ एशिया में हैं. जाहिर तौर पर भूख और कुपोषण से पीड़ित इस आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा भारत में है.
इन आंकड़ों से समस्या का पता चलता है-
देश की इतनी बड़ी आबादी का कुपोषित होना उस ग्रोथ स्टोरी के लिये खतरा है जिसकी तैयारी हिन्दुस्तान कर रहा है. झारखंड की मिसाल लीजिए 2017 के बाद से अब तक मीडिया में डेढ़ दर्जन से अधिक लोगों की भूख से मौत की खबरें आईं, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार इन मौतों पर लीपापोती ही करती रही है.
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 118 देशों की सूची में भारत पिछले साल 103 वें नंबर पर रहा. बांग्लादेश और नेपाल जैसे देश उससे बेहतर स्थिति में हैं. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि, “2008-09 में आई वैश्विक आर्थिक मंदी के बाद कई देशों में आर्थिक तरक्की की ढुलमुल रफ्तार, भूख और कुपोषण के खिलाफ जंग में बाधक बन रही है.” जाहिर तौर पर यह बात भारत पर भी लागू होती है जहां अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आ पा रही.
अर्थशास्त्री दीपा सिन्हा कहती है कि जहां लचर अर्थव्यवस्था भूख से लड़ने में बाधक है, वहीं भूख और कुपोषण अर्थव्यवस्था के लिये स्पीड ब्रेकर है क्योंकि यह उत्पादन पर असर डालता है.
भारत में कुपोषण को मिटाने के लिए बच्चों को अच्छा आहार दिया जाना बहुत जरूरी है. भोजन के अधिकार से जुड़े कार्यकर्ताओं ने लंबे समय से यह मांग उठाई है. अंडा अभियान की अगुवाई करते रहे अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज कहते हैं कि बच्चों को स्कूलों में मिलने वाले मिड डे मील में पोषक तत्व दिए जाने चाहिए जिससे उनका शारीरिक विकास बेहतर हो. यह दिलचस्प है कि देश में झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु समेत कई राज्यों में बच्चों को अंडा दिया जा रहा है.
जलवायु परिवर्तन से पैदा विपरीत हालात का सबसे बड़ा असर भी भारत पर होने वाला है. खुद केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत कह चुके हैं कि सूखे की वजह से भारत के खाद्य उत्पादन पर बुरा असर पड़ेगा. ऐसे में “मिशन 5 ट्रिलियन इकॉनोमी” पर नजर टिकाए भारत को भुखमरी के आंकड़ों से सावधान रहना होगा.
(हृदयेश जोशी स्वतंत्र पत्रकार हैं. उन्होंने बस्तर में नक्सली हिंसा और आदिवासी समस्याओं को लंबे वक्त तक कवर किया है.)
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Published: 17 Jul 2019,09:20 PM IST