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World Cup 2023: टीम इंडिया विश्व कप में कहीं लड़खड़ा जाए तो प्यार को नफरत में मत बदलिएगा

हममें से कुछ फैंस अक्सर पलटू होते हैं, एक तरफ टीम के लिए उनका प्यार जूनून की हद तक होता है तो दूसरी तरफ नफरत भी अंगार जैसी.

रोहित खन्ना
नजरिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>World Cup 2023: Indian cricket fans Love and hate</p></div>
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World Cup 2023: Indian cricket fans Love and hate

(Photo- Altered By Quint Hindi)

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भारत के दीवाने क्रिकेट फैंस,

क्रिकेट वर्ल्ड कप अपने उफान पर है और मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में टीम इंडिया सेमीफाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड (India vs New Zealand) के सामने हैं. ऐसे में जरूर हमारे जेहन में एक सवाल उठ रहा होग - क्या सचमुच ऐसा हो रहा है? अब तक 2023 वर्ल्ड कप अद्भुत रहा है, है ना? एक ऐसा सफर जिसके बारे में हम फैंस केवल चुपके से सपने देखते हैं.

अच्छा मुझे थोड़ा विस्तार से बताने दीजिए.

पहले ही मैच में ऑस्ट्रेलिया को सिर्फ 199 रन पर ऑलआउट कर दिया! और फिर, केवल 2 रन पर 3 विकेट खोने के बाद, हम सब डर रहे थे कि फिर से भारतीय बल्लेबाजी का पतन देखना पड़ेगा क्या. लेकिन कोहली और केएल राहुल की शानदार पारी ने हमें जीत की दहलीज के पार पहुंचाया. फैंस फिर क्रेजी हो गए.

टूर्नामेंट में शुरुआत शानदार मिल चुकी थी.

अब सीधे उस बिग क्लैश पर आइए. पाकिस्तान के साथ भारत का मुकाबला. पहले बॉलर्स ने पाकिस्तान को सिर्फ 191 रन पर ऑलआउट कर दिया, फिर रोहित शर्मा और श्रेयस अय्यर की मदद से भारत ने आसान जीत हासिल कर ली. पाकिस्तान के खिलाफ विश्व कप में हमारा जीत का रिकॉर्ड 8-0 तक पहुंच गया है. फैंस हैरत में थे क्योंकि उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि यह इतना आसान होगा.

कुछ और जीत के बाद, सामने आई डिफेंडिंग चैंपियन इंग्लैंड की टीम. रोहित शर्मा को राहुल और SKY की मदद मिली. वैसे तो टीम इंडिया स्कोरबोर्ड पर केवल 229 रन लगा सकी थी यह भी जरूरत से अधिक साबित हुआ. शमी और बुमरा ने ऐसा कहर ढाहा कि इंग्लैंड की पूरी टीम केवल 129 पर साफ हो गयी.

क्या हो रहा है भाई लोग? हम सभी भारतीय फैंस अब सच में खुद को चिकोटी काट रहे थे कि कहीं ये सपना तो नहीं. है ना?

लेकिन कहानी अभी बाकी थी.

श्रीलंकाई टीम को हमने सिर्फ 55 रन पर ऑलआउट कर दिया. शमी ने 18 रन देकर 5 विकेट लिए! इस बार गिल, विराट और श्रेयस ने शानदार बल्लेबाजी की थी.

'टॉप-ऑफ-द-टेबल' के संघर्ष में, टीम इंडिया ने दक्षिण अफ्रीका को 83 रन पर समेट दिया, जिसमें एक भी विपक्षी बल्लेबाज 15 रन भी नहीं बना सका. इस बार जडेजा ने 33 रन देकर 5 विकेट लिए. कोहली ने अपना 49वां वनडे शतक पूरा किया और सचिन के शानदार रिकॉर्ड की बराबरी.

हर मोर्चे पर 100 टका प्रदर्शन 

लीग ग्रुप में नौ गेम और 18 अंक बाद, हम टॉप पर थे और अजेय भी. प्रदर्शन कुछ ऐसा था कि 'भारत आर्मी' बेहद खुशी में झूम रही है. मेरे जैसे लोगों के लिए, जिनकी सफेद दाढ़ी है, कई वर्डकप ऐसे गुजरे हैं जिनकी यादें इतनी अच्छी नहीं हैं. इसी वजह से यह स्थिति और भी अधिक अवास्तविक लग रही थी. हम 'जीतने की आदत' के बारे में बात करेंगे, लेकिन दरअसल सिर्फ ऑस्ट्रेलियाई टीम के बारे में हमने ऐसा सुना था. भारत वर्ल्डकप कैम्पेन में बैक टू बैक 9 मुकाबले में 9 जोरदार जीत हासिल कर सकता था- यह सोचना भी अवास्तविक था (अब तो बस चिकोटी काटते जाओ खुद को.)

हमारे लिए जो बात संतोषजनक रही है, जो इस बार हमें वास्तव में पसंद आई है, वह यह है कि टीम इंडिया के हरेक मेंबर ने कैसा प्रदर्शन किया है, हर बॉक्स को कैसे टिक किया गया है, है ना? और यह कितना संतोषजनक है.

अच्छा फिर से मुझे विस्तार से बताने दीजिये.

रोहित, या शर्माजी के बेटे ने खुद को 'फायरस्टार्टर' की भूमिका दी. उन्होंने गेंदबाजों को पीछा करके लपेटे. उन्होंने पहले 10 ओवरों में शानदार स्ट्राइक रेट पर अपना ध्यान केंद्रित किया, दबाव को गेंदबाजी पक्ष पर ट्रांसफर कर दिया, जिससे भारतीय बल्लेबाजों को आराम से रहने, बल्लेबाजी करने का मौका मिला. उन्हें डीप क्रीज से बल्लेबजी की और विकेट के बीच शानदार दौड़ लगाई. इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि रोहित शर्मा ने इस विश्व कप में सबसे ज्यादा छक्के लगाए हैं.

इसके बाद विराट या शर्मा जी के दामाद हैं, जो हाल के महीनों में सहजता से वही कोहली बन गए हैं जिन्हें हम सभी जानते थे. शतक का दौर वापस आ गया है, वो क्लिनिकल रन-चेज कर रहे हैं, विकेटों के बीच कठिन दौड़ लगा रहे हैं, वो क्राउड के सामने डांस स्टेप दिखा रहे हैं और हर विकेट के गिरने पर जोरदार जश्न मना रहे हैं. यह सब वापस आ गया है, और वह एक बार फिर टूर्नामेंट के टॉप स्कोरर हैं.

बिल्कुल सही समय पर, भारत के बाकी बल्लेबाजों ने भी मोर्चा संभाल लिया है. गिल, श्रेयस अय्यर, केएल राहुल और SKY अच्छी बल्लेबाजी फॉर्म में हैं. जो फिटनेस से जूझ रहे हैं उनकी लिए यह परेशानी अतीत की बात हो गयी है. किसी भी दिन, यदि एक ने अच्छी बल्लेबाजी नहीं क तो दूसरे ने बिना किसी असफलता के मोर्चे संभाल लिया. उनमें कोई घबराहट नहीं दिखी, बस शांत, सुलझा हुआ, सकारात्मक और पेशेवर बल्लेबाजी.
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और अगर आप भारत की गेंदबाजी को देखें तो कहानी और बेहतर हो जाती है. भारत ने अपने नौ मैचों में कुल 90 में से 86 विकेट लिए हैं. हमने सबसे कम रन दिये हैं. और हर गेंदबाज ने अच्छा प्रदर्शन किया है.

बुमराह के यॉर्कर वापस आ गए हैं, और सिराज के बाउंसर और इन-स्विंगर भी वापस आ गए हैं. कुलदीप ने लगभग एक साल पहले मिले 'मोजो' को बरकरार रखा है. जड्डू का जादू घातक रहा है.

और, निःसंदेह, शमी की बात ही अलग रही. जब तक हार्दिक पंड्या चोटिल होकर बाहर नहीं बैठे, शमी बेंच पर बैठे हुए थे. लेकिन फिर उन्हें टीम में मौका मिला. कम मैच खेलने के बावजूद शमी अब विश्व कप क्रिकेट इतिहास में भारत के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं.

हर मोर्चे - कप्तानी, क्षेत्ररक्षण, टीम रणनीति, टीम भावना, फिटनेस, व्यक्तिगत प्रदर्शन- पर शानदार प्रदर्शन के बाद हम यही पूछते रह जाते हैं कि अब आगे क्या गलत हो सकता है?

हवा में प्यार और जोश है. फैंस मीम्स और मैसेज, सोशल मीडिया पर मशहूर हस्तियां, और टीवी चैनलों पर पूर्व क्रिकेट भगवान - हर किसी ने टीम इंडिया से उम्मीदें बढ़ा दी हैं! ठीक ही तो.

लेकिन जुनून और ट्रोलिंग के बीच एक बहुत स्पष्ट रेखा है

लेकिन मेरी क्रिकेट के आशिकों से एक अपील है.

हे प्यारे फैंस, अगर सेमीफाइनल में या फाइनल में कुछ भी अप्रत्याशित होता है, हमारी टीम लड़खड़ा जाती है, तो कृपया अपने प्यार को नफरत में न बदलने दें, स्टेडियमों और सड़कों पर गाली-गलौज न करें. सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग शुरू न करने लगे. इस तथ्य को नज़रअंदाज न करें कि इन 'मेन इन ब्लू' ने अब तक एक टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया है.

दुर्भाग्य से, हमारे पास विपरीत परिस्थितियों को झेलने, हार झेलने, प्रदर्शन में गिरावट आने पर उसे भी स्वीकार करने का अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है. हममें से कुछ फैंस अक्सर पलटू होते हैं, एक तरफ टीम के लिए उनका प्यार जूनून की हद तक होता है तो दूसरी तरफ नफरत भी अंगार जैसी.

आइए मोहम्मद शमी की ही बात करते हैं. अक्टूबर 2021 में, टी20 विश्व कप में पाकिस्तान से भारत हार गया था. जहां भारत 151 रन के टोटल को डिफेंड करने में विफल रहा, और बाबर आजम और रिजवान ने 10 विकेट से जीत हासिल की. इसके बाद शमी को क्रूर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा. उन्हें मुस्लिम होने के कारण निशाना बनाया गया, उन्हें गद्दार कहा गया, उन्हें देश छोड़ने के लिए कहा गया. यकीनन यह भारतीय फैंस के लिए सबसे काला समय था, क्योंकि उनमें से कई ने शमी के खिलाफ नफरत फैलाने का फैसला किया. हमें इससे ही सावधान रहने की जरूरत है.

और हमें शमी के बारे में इस बात की सराहना करनी चाहिए कि कैसे उन्होंने कभी भी उस भयानक ट्रोलिंग के कारण खेल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और न ही भारत के लिए खेलने के अपने गौरव को कम होने दिया. जिन लोगों ने 2021 में उन्हें ट्रोल किया था, उन्हें शमी ने कई बार चुप कराया है, और पिछले कुछ हफ्तों में तो सबसे अधिक.

यह तर्क कि खेल के प्रति जुनून और प्रदर्शन नहीं करने वाले भारतीय खिलाड़ी को ट्रोल करने के बीच की रेखा बहुत पतली है, सही नहीं है. वास्तव में, यह एक बहुत स्पष्ट रेखा है. अभद्र भाषा, हेट स्पीच, अश्लील चित्र का प्रयोग.. इनमें से कुछ भी अनजाने में नहीं होता है. शातिर ट्रोलिंग का हिस्सा बनने और उसका हिस्सा बनने के लिए अपने ट्वीट्स में नकारात्मक और आहत करने वाले हैशटैग जोड़ना जानबूझ कर किया गया काम है.

हममें से जो लोग इस स्तर तक उतरते हैं, वे वास्तविक क्रिकेट फैंस नहीं हैं. इसके बजाय वे धमकाने वाले, नफरत करने वाले और दूसरे की पीड़ा से खुश होने वाले लोग हैं.

भारतीय क्रिकेट फैंस को मैच्योर होना चाहिए

पलटू फैंस के एक दिन नफरत और अगले दिन प्यार में बदल जाने का एक और उदाहरण विराट कोहली के कुछ फैंस हैं. जिस दिन विराट स्कोर करते हैं, किसी को भी उनकी पत्नी और मशहूर एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा के स्टैंड से खेल देखने से कोई परेशानी नहीं होती. लेकिन अगर विराट का बल्ला नहीं बोलता, तो अनुष्का को 'ध्यान भटकाने वाली' होने के लिए ट्रोल किया जाता है. फैंस के रूप में, क्या हम वास्तव में इतने पलटू, इतने मूर्ख हो सकते हैं?

हां, 2011 में जीतने के बाद हम 2015 और 2019 में दोनों बार सेमीफाइनल में लड़खड़ा गए, इसलिए कोई भी फैंस उस दर्द को दोबारा महसूस नहीं करना चाहता. और इसलिए, फैंस के रूप में, हमें घबराने का पूरा अधिकार है.

हममें से बहुत से लोग खेल के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, हमारे पास आंकड़े हैं, हमारी सबसे बड़ी जीत और हार के बारे में हमारे पास गहरी यादें हैं. और हम यह सब व्यक्त करने और शेयर करने के लिए स्वतंत्र हैं. लेकिन इसमें से किसी को भी दुर्व्यवहार और नफरत में शामिल नहीं होना चाहिए.

जिम्मेदार फैंस के रूप में, हमें अपनी टीम की प्रतिभा, जुनून और प्रयास का सम्मान करना चाहिए, चाहे परिणाम कुछ भी हो. हमें व्यक्तियों या टीम पर टिप्पणी करते समय शालीनता की सीमाओं का सम्मान करना चाहिए। टीम इंडिया की तरह, अब हम भारतीय फैंस के लिए भी मैच्योर होने का समय आ गया है. आइए हम खुद से कहें कि हम अपने क्रिकेटरों से बिना शर्त प्यार करें, हमेशा विश्वास बनाए रखें और शालीनता को कभी न छोड़ें.

जब टीम इंडिया न्यूजीलैंड के खिलाफ वानखेड़े में मैदान पर उतरी है, और फिर उम्मीद है कि अहमदाबाद में फाइनल के लिए टीम इंडिया पहुंच रही है, और फिर शायद तीसरी बार विश्व कप जीतेगी, आइए हर जोशीले उत्साह और ताकत के साथ जयकार करें. उम्मीद है बेस्ट टीम खिताब उठाए.

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