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लाहौर (Lahore) में भीड़-भाड़ वाले अनारकली बाजार में हुए एक ब्लास्ट के साथ हाल ही में गठित बलूच नेशनलिस्ट आर्मी (BNA) पहली बार खबरों में आई. इस हिंसक ब्लास्ट में तीन लोगों की मौत हो गई और 25 नागरिक घायल हो गए.
अपने इस कदम से संगठन ने कुछ साल पहले गठित BRAS (बलूच राजी आजोई संगर) की छतरी तले लड़ रहे पुराने और बेहतर स्थापित समूहों के बीच अपनी जगह बनाने की कोशिश की है.
BNA को 11 जनवरी 2022 को बलूचिस्तान रिपब्लिकन आर्मी और यूनाइटेड बलूच आर्मी को मिलाकर बनाया गया था, और इसने मुरीद बलूच को अपना प्रवक्ता नियुक्त किया था. BNA की ओर से मुरीद बलूच ने ही सोशल मीडिया पर इस हमले की जिम्मेदारी ली है.
कुछ समय बाद जारी 'विस्तृत बयान' में कहा गया कि "निशाने पर बैंक के कर्मचारियों के साथ-साथ पुलिसकर्मी थे." BNA के अनुसार "इस विस्फोट का उद्देश्य बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना द्वारा सबसे भीषण हिंसा, महिलाओं और बच्चों की हत्या के खिलाफ विरोध दर्ज करना था"
संयुक्त राष्ट्र में बलूचिस्तान की पूर्व प्रतिनिधि मेहरान मारी ने कहा कि "नागरिकों की हत्या की निंदा करने के लिए कोई भी शब्द पर्याप्त नहीं है"
उसी लाइन पर ब्रह्मदाग बुगती ने लाहौर में हुए धमाके की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि "हम बलूच भी पाकिस्तानी सेना द्वारा सालों से इस तरह के हमलों के शिकार हैं लेकिन फिर भी हम मानते हैं कि इस तरह के अमानवीय कृत्यों का कोई औचित्य नहीं"
बलूचिस्तान रिपब्लिकन पार्टी के प्रेसिडेंट शेर मोहम्मद बुगती ने कहा कि "यह कुछ अवसरवादियों का काम है जो सस्ते पब्लिसिटी और अपने व्यक्तिगत एजेंडा को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं"
अधिकांश बलूच नेताओं ने सोशल मीडिया द्वारा या निजी तौर पर, BNA की कार्रवाई को चौंकाने वाला और काउंटर-प्रोडक्टिव करार दिया है. अब तक, वास्तव में, BRAS छत्र के नीचे लड़ने वाले समूह बलूचिस्तान भूमि पर मुक्ति संग्राम का नेतृत्व कर रहे थे और पुलिस, सैन्य और अर्ध-सैन्य बलों को (कुछ अपवादों को छोड़कर) निशाना बना रहे थे.
पिछले महीनों में इनके द्वारा लगातार छापामार कार्रवाई की गई है, और बीएलए ने पिछले कुछ वर्षों में सेना, पुलिस और चीनी श्रमिकों के अलावा कुछ हाई-प्रोफाइल हमले किए हैं. CPEC के जरिए बलूचिस्तान और बलूचों के शोषण में चीन की मजबूत भागीदारी के कारण चीनी श्रमिकों पर हमला किया.
अब BNA ने अपने एक बयान में कहा कि "हम और हमले करेंगे और इसे पाकिस्तान के सभी वाणिज्यिक शहरों में आगे बढ़ाएंगे". उनका तर्क यह है कि बलूच को निशाना बनाने वाले सैन्य अभियान और बलूच भूमि के आर्थिक शोषण की कमान लाहौर और रावलपिंडी में तय की जाती है.
लेकिन कई लोगों का मानना हैं कि जैश-ए-मोहम्मद या लश्कर-ए-तैयबा जैसी ही रणनीतियां अपनाने से बलूच या खुद BRAS के लिए भी काम नहीं बनने वाला. वास्तव में नागरिकों पर और हमलों से और रणनीति के इस बदलाव से केवल पाकिस्तान को लाभ होगा.
बलूचों को सामान्य आतंकवादी के रूप में लेबल करने के लिए ISI को एक वजह मिलने पर भी खुशी होगी, इस प्रकार राष्ट्रीय सुरक्षा के कवर में जबरन गायब होने, सामूहिक कब्रों, गैरकानूनी हत्याओं, महिलाओं और बच्चों के बलात्कार और हत्या की समस्या को उचित ठहराने और नागरिक अधिकारों के किसी भी उल्लंघन को जायज बताने का मौका मिलेगा.
और यह सब तब हो रहा है - और यह भी बहुत दिलचस्प है - जब लंदन पाकिस्तानी राज्य द्वारा विदेश में एक पाकिस्तानी नागरिक को मारने के लिए भेजे गए हत्यारे के खिलाफ मुकदमा शुरू कर रहा है. यह मुकदमा साजिद हुसैन और करीमा बलूच की हत्या पर कुछ प्रकाश डालने का पहला कदम हो सकता है.
'बांटो और राज करो' कि रणनीति हजारों साल बाद भी बहुत अच्छे से काम कर रही है। और पाकिस्तान में फैंटा राजनीति अक्सर वास्तविकता से दूर कोरी कल्पना साबित होती है. बस अपने आप से एक सवाल करें : BRAS या कुछ BRAS समूह के सिर्फ एक और सामान्य आतंकी संगठन बन जाने से किसे फायदा होगा?
(फ्रांसेस्का मैरिनो एक पत्रकार और दक्षिण एशिया विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने बी नताले के साथ 'Apocalypse Pakistan’ नामक बुक लिखी है. उनकी लेटेस्ट बुक ‘Balochistan — Bruised, Battered and Bloodied है. उनका ट्विटर हैंडल @ francescam63 है. यह एक ओपिनियन पीस है और यहां व्यक्त किए गए विचार लेखिका के अपने हैं. क्विंट का इनसे सहमत होना आवश्यक नहीं है)
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