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लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकजुटता की जारी मुहिम के बीच राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के खुद को मजबूत करने के इरादे से महाराष्ट्र में हुए 'ऑपरेशन लोटस' के बाद बिहार में राजनीतिक जोड़-तोड़ की संभावित कवायद को अच्छे से समझ चुकी महागठबंधन नीत नीतीश सरकार ने चतुराई के साथ मौन रह कर एनडीए की चाल को कामयाब नहीं होने दिया.
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी मुक्त भारत का सपना साकार करने को लेकर 15 गैर बीजेपी दलों के नेताओं का महाजुटान 23 जून को पटना में हुआ, जिसका एकमात्र उद्देश्य अगला लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ना और जीतना था. इसके लिए सभी सीटों पर वन टू वन यानी विपक्ष का साझा उम्मीदवार देने का फॉर्मूला भी सामने आया.
शिवसेना में बगावत के एक साल के बाद एनसीपी में विद्रोह हुआ. परिणाम यह हुआ कि शरद पवार के भतीजे अजीत पवार सियासी पलटी मारते हुए अपने समर्थक विधायकों के साथ महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में शामिल हो गए. तोहफे के रूप में अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई वहीं एनसीपी के आठ अन्य नेताओं को भी मंत्री बनाया गया.
इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक ओर दो जुलाई को अपनी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) के विधायकों, विधान परिषद के सदस्यों से अलग-अलग मुलाकात कर अपने-अपने क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान तेज करने का निर्देश दिया था. साथ ही विकास के कामकाज की जानकारी ली थी.
इसके बाद 3 जुलाई को पार्टी के लोकसभा के सदस्यों के साथ ही राज्यसभा के सदस्यों से भी मुलाकात कर फीडबैक लिया. इसी क्रम में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण से उनकी मुलाकात की तस्वीर वायरल होने के बाद यह कहा जाने लगा कि जेडीयू में बड़ी टूट होने वाली है.
हालांकि, राजनीति के धुरंधर नीतीश कुमार ने इस पर मौन साधे रखा जबकि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने 3 जुलाई स्पष्ट कर दिया था कि महाराष्ट्र के बाद अब बीजेपी की नजर बिहार पर है. लेकिन उसकी यह चाल कामयाब नहीं होगी. बिहार में ऑपरेशन लोटस नहीं चलने वाला. उड़ती चिड़िया को बिहार हल्दी लगाना जानता है.
वहीं, बिहार में नीतीश कुमार को घेरने के लिए बीजेपी अपने कुनबे एनडीए में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के संरक्षक एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी को शामिल करा चुकी है. अब बीजेपी की कोशिश उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLJD), चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (LJP-रामविलास) के साथ ही मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) को औपचारिक रूप से अपने पाले में लाने की है.
इस बीच, जेडीयू नेता एवं बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बीजेपी को अफवाहों की पार्टी करार दिया और दावा किया कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में बड़ी टूट होगी. उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेता जेडीयू में टूट के झूठे दावे कर रहे हैं जबकि हकीकत ठीक इसके उलट है. बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता और सांसद घुटन महसूस कर रहे हैं.
उपसभापति हरिवंश नारायण की मुलाकात पर कहा कि संगठन की मजबूती और आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी के संबंध में मुख्यमंत्री ने सभी विधायक, विधान पार्षद, लोकसभा एवं राज्यसभा सांसद को मिलने के लिए बुलाया था. हरिवंश नारायण भी हमारे पार्टी के राज्यसभा सांसद हैं, लिहाजा मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात कोई असामान्य घटना नहीं है. बीजेपी के लोग बेवजह तूल दे रहे हैं.
गौर करने वाली बात यह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद महाराष्ट्र जैसा सियासी ड्रामा बिहार में नहीं हो सकता. बिहार विधानसभा का गणित स्पष्ट रूप से इस ओर इशारा करता है. बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें है. सरकार गठन के लिए जादुई आंकड़ा 122 है.
महागठबंधन में शामिल दलों के संख्याबल को देखें तो आरजेडी के 79, जेडीयू के 45, कांग्रेस के 19, वामपंथी दल के 16 और एक निर्दलीय विधायक है. इस तरह महागठबंधन के पास कुल 160 विधायक हैं. इसी तरह मुख्य विपक्षी बीजेपी के 78 और हम के 4 विधायक हैं, वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) के मात्र एक विधायक हैं.
(रवि उपाध्याय पटना के वरिष्ठ पत्रकार हैं. यह एक ओपिनियन पीस है. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं और उनसे क्विंट हिंदी का सहमत होना जरूरी नहीं है.)
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