मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019मालदीव का चीन की ओर झुकाव भारत के लिए एक नई और परेशान करने वाली हकीकत है

मालदीव का चीन की ओर झुकाव भारत के लिए एक नई और परेशान करने वाली हकीकत है

Maldives के राष्ट्रपति मुइज्जू ने औपचारिक रूप से भारत से 15 मार्च तक उनके देश से अपनी सेना वापस बुला लेने को कहा है.

सी उदय भास्कर
नजरिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>मालदीव का चीन की ओर झुकाव भारत के लिए एक नई और परेशान करने वाली हकीकत है</p></div>
i

मालदीव का चीन की ओर झुकाव भारत के लिए एक नई और परेशान करने वाली हकीकत है

(फोटो: ग्लोबल टाइम्स)

advertisement

मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (Mohamed Muizzu) ने हाल ही में बीजिंग की पांच दिन (8-12 जनवरी) की राजकीय यात्रा की. इस दौरान आकार में मामूली-से देश मालदीव (Maldives) के साथ चीन के संबंधों को ‘स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप’ तक बढ़ाने से साफतौर से चीन की मौजूदगी हिंद महासागर में बढ़ जाएगी. मुइज्जू ने इसके अलावा 14 जनवरी को औपचारिक रूप से भारत से 15 मार्च तक मालदीव से अपने सैनिकों को वापस बुलाने को कहा है.

नई दिल्ली का पिछले पांच दशकों से मालदीव के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंध रहा है, मगर यह मालदीव में भारत विरोधी भावना, जो हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अप्रिय टिप्पणियों के रूप में सामने आई हैं, की वजह से अब बैकफुट पर है.

भारत में सोशल मीडिया पर गुस्से का इजहार और हॉलिडे डेस्टिनेशन के रूप में मालदीव का बहिष्कार करने का आह्वान उस रफ्तार के और बढ़ने का संकेत है जिसके साथ महत्वपूर्ण विदेश नीति के मुद्दे पर जन भावनाएं हावी हो सकती हैं.

भारत में भावनाओं के उबाल और माले की नई सरकार के साथ कलह के मुइज्जू की चीन यात्रा से और बढ़ने की आशंका है.

मुइज्जू का दौरा क्यों मायने रखता है?

11 जनवरी को बीजिंग में जारी संयुक्त बयान में कहा गया, “दोनों पक्ष इस विचार पर एक राय हैं कि जैसे-जैसे दुनिया, हमारे समय और इतिहास में बदलाव आ रहे हैं, चीन-मालदीव संबंधों का रणनीतिक महत्व ज्यादा बढ़ गया है. दोनों पक्ष एक व्यापक रणनीतिक सहयोगात्मक साझेदारी, राजनीतिक नेतृत्व के उच्चस्तरीय सहयोग पर ज्यादा जोर देने, विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच व्यावहारिक सहयोग का विस्तार करने, अंतरराष्ट्रीय और बहुपक्षीय मामलों पर सहयोग को मजबूत करने, दोनों देशों के लोगों की भलाई पर जोर देने, और चीन-मालदीव के लोगों के साझा भविष्य की दिशा में काम करने के लिए चीन-मालदीव संबंधों को बढ़ाने पर सहमत हैं.”

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का बीजिंग में मालदीव के अपने समकक्ष नेता की अगवानी करने का कई स्तर पर महत्व है.

2024 में यह चीन की तरफ से पहली राजकीय यात्रा की मेजबानी थी और तथ्य यह है कि बीजिंग ने मालदीव को प्राथमिकता देने का फैसला लिया, खासतौर से हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाने और हॉर्न ऑफ अफ्रीका में जिबूती (चीन का पहला विदेशी सैन्य अड्डा) से लेकर श्रीलंका और म्यांमार तक ज्यादा राजनीतिक और समुद्री ताकत हासिल करने की बीजिंग की लगातार कोशिशों की वजह से इसका काफी रणनीतिक महत्व है.

हिंद महासागर के नक्शे पर एक नजर डालने से यह साफ हो जाएगा कि किस तरह मालदीव की लोकेशन चीन को बेहद महत्वपूर्ण समुद्री संचार लाइनों (SLOC) में से एक में अपनी मौजूदगी बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण लिंक उपलब्ध कराती है.

चीन के समुद्री मकसद में मालदीव कैसे मददगार हो सकता है?

एक बड़े व्यापारिक देश के रूप में चीन अपने निर्यात और आयात के लिए हिंद महासागर में इन SLOC लाइनों पर बहुत ज्यादा निर्भर है. इससे भी ज्यादा जरूरी तथ्य यह है कि चीन काफी मात्रा में हाइड्रोकार्बन आयात करता है, जो 2023 में रोजाना औसतन 11.4 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल था. यह आंकड़ा साल-दर-साल बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि बीजिंग कोविड की मंदी के बाद अपनी आर्थिक विकास दर बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.

इस तेल का ज्यादातर हिस्सा लाल सागर/ईरान की खाड़ी से मलक्का जलडमरूमध्य के माध्यम से चीन की ओर भेजा जाता है.

चीन की SLOC से संबंधित हाइड्रोकार्बन निर्भरता और इसमें रुकावट की आशंका (संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा) के बारे में यह चिंता पहली बार 2003 में पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ द्वारा जाहिर की गई थी, जब उन्होंने ‘मलक्का दुविधा’ के बीच बीजिंग के लिए इसे संतुलित लेकिन दृढ़ निश्चय के साथ हल करने की जरूरत पर जोर दिया था.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

यह वह समय था जब चीन ने समुद्री और नौसैनिक प्रोफाइल हासिल नहीं किया था, जो कि अब उसके पास है. याद रखें कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) के जहाज मलक्का के रास्ते से इंडियन ओशन रीजन (IOR) में आना-जाना नहीं करते थे. IOR में जाना एकदम कभी-कभार ही होता था.

हालांकि, 2007-08 के सोमालियाई समुद्री डाकुओं के हमलों ने चीन को अपने नौसैनिक जहाजों को IOR में भेजने की वजह दे दी और तब से इस क्षेत्र में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी की लगातार मौजूदगी रही है.

मालदीव के साथ स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप से बीजिंग को अपनी दीर्घकालिक समुद्री महत्वाकांक्षाओं– IOR तक निर्बाध पहुंच और इन जल क्षेत्रों में स्थायी और दमदार मौजूदगी बनाए रखने में मदद मिलेगी.

मालदीव में ‘इंडिया आउट’ अभियान का असर

जहां तक यह पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के राजनीतिक भूगोल से जुड़ा है, यह सराहनीय है कि चीन, जो कि एक जमीनी शक्ति की स्ट्रेटजिक संस्कृति वाला देश है, ने दो-महासागरों की नौसेना (प्रशांत और हिंद) शक्ति बनने की दिशा में तेजी से फैलाव का अपना मजबूत इरादा दिखाया है– एक ऐसी जरूरत जो सिर्फ 20 साल पहले नामुमकिन लगती थी.

दूसरे दक्षिण एशियाई देशों की तरह मालदीव में भी पक्ष-विपक्ष की राजनीति है, जिसमें प्रमुख राजनीतिक दल भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए चीनी कार्ड खेलते हैं, और ऐसा हाल के सालों में श्रीलंका और नेपाल में देखा गया था.

सितंबर 2023 के चुनाव में मालदीव की PNC (पीपुल्स नेशनल कांग्रेस) ने ‘इंडिया आउट’ अभियान चलाया और 54 फीसद के अंतर से जीत दर्ज की, जबकि विपक्ष को 46 फीसद वोट मिले.

मुइज्जू की भारत के मुकाबले चीन को तरजीह भारत के लिए एक नई और परेशान करने वाली हकीकत है और दिल्ली में अगली सरकार को माले और स्थानीय आबादी के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों की निष्पक्ष समीक्षा करनी होगी और उसके साथ नए सिरे से तालमेल बिठाना होगा.

ऐसा नहीं है कि मालदीव में भारत के प्रति सद्भावना नहीं है. कई नागरिक पिछले कुछ सालों में दिल्ली द्वारा की गई महत्वपूर्ण मदद को याद करते हैं- सैनिकों के तख्तापलट की कोशिश (1988) से निपटने से लेकर सुनामी राहत अभियान (2004) तक, और हाल का पेयजल संकट जो भारत द्वारा समय पर की गई कार्रवाई से टल गया था.

समुद्री युद्धकला में नए रुझान

मालदीव में एक दशक से ज्यादा समय से भारत विरोधी चेतावनी के संकेत मिल रहे हैं. अफसोस की बात है कि दिल्ली ऐसी प्रवृत्तियों को रोकने में उतनी तेज और समझदार नहीं थी, जितना उसे होना चाहिए था. मालदीव में बहुसंख्यक आबादी मुसलमान है और 9/11 व आतंक के खिलाफ वैश्विक युद्ध के बाद से बहुत कम आबादी (5.21 लाख) वाला देश होने के बावजूद मालदीव में इस्लामी कट्टरपंथ की घटनाएं बढ़ी हैं.

हालिया रुझानों की रौशनी में, निश्चित रूप से यह हालात परेशान करने वाले हैं. हूती विद्रोहियों ने दुनिया के शिपिंग परिवहन को रोकने के लिए जो किया है, वह समुद्री युद्ध के नए रुझान का उदाहरण है, यानी हाइब्रिड वायलेंस और सुधारवादी राजनीतिक और धार्मिक मकसद के साथ सरकार से इतर एक ताकतवर इकाई. यह एक खतरनाक घालमेल है.

छोटे क्षेत्रीय देश भारत और चीन को एक-दूसरे के खिलाफ लड़ाने की कोशिश करेंगे, और सत्ताधारी राजनीतिक दल ऐसे तरीके अपना सकते हैं जो दिल्ली के हितों के लिए नुकसानदायक होंगे. इसे एक कठिन घरेलू रस्साकशी का खेल बनने से रोकना, चाहे वह मालदीव, श्रीलंका या नेपाल में हो, भारतीय विदेश नीति की जरूरत है.

एक प्रमुख शक्ति का दर्जा हासिल करने की भारत की आकांक्षाएं और एक भरोसेमंद भागीदार के रूप में इसकी विश्वसनीयता विस्तारित दक्षिण एशियाई क्षेत्र के इर्द-गिर्द घूमती है, और इंडियन ओशन रीजन इस मंजिल का जरूरी हिस्सा है. दिल्ली को समुद्र की अनदेखी की अपनी पारंपरिक नीति से बाहर निकलना होगा. मालदीव का चीन की ओर झुकाव खतरे की घंटी है.

(सोसायटी फॉर पॉलिसी स्टडीज के डायरेक्टर कमोडोर सी. उदय भास्कर को तीन थिंक टैंक का नेतृत्व करने का गौरव हासिल है. वह @theUdayB पर ट्वीट करते हैं. यह एक ओपिनियन पीस है और यह लेखक के अपने विचार हैं. क्विंट हिंदी इनके लिए जिम्मेदार नहीं है.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT