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जल्द बनाइए कोरोना वायरस लॉकडाउन के बाद का प्लान, करने होंगे ये काम

शशि थरूर इस लेख में लिखते हैं, अब वक्त आ गया है कि हम आगे के लिए भी अपनी ठोस योजनाएं बनाएं

शशि थरूर & एजु मैथ्यू
नजरिया
Updated:
जब लॉकडॉउन खत्म हो जाएगा, तब प्रधानमंत्री आगे के लिए क्या योजना बनाएंगे?
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जब लॉकडॉउन खत्म हो जाएगा, तब प्रधानमंत्री आगे के लिए क्या योजना बनाएंगे?
फोटो: द क्विंट

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भारत सरकार की ओर से 21 दिन के लॉकडाउन के सफर का आधा हम पूरा कर रहे हैं तो ऐसे में सवाल पूछा जाना जरूरी है कि आगे क्या?

प्रधानमंत्री ने एक रविवार की शाम हमसे तालियां बजवाईं, हमारे हाथों में थालियां पकड़ाईं. इस रविवार को मोमबत्ती और दीये जलवाए. उन्हें कृतज्ञ कर लोग खुश होंगे, लेकिन वर्तमान लॉकडाउन खत्म होने के बाद प्रधानमंत्री खुद क्या करने वाले हैं?

हालांकि लॉकडाउन की अवधि बढ़ाए जाने की अफवाहों को कैबिनेट सेक्रेट्री ने खुद खारिज कर दिया था, अब लॉकडाउन हटाए जाने के बाद कोविड-19 की बीमारी के बढ़ने का ग्राफ चिंतित कर रहा है. कई लोगों का कहना है कि 21 दिन काफी नहीं होगा और कुछ का कहना है कि 49 दिनों से कम का लॉकडाउन होने पर वायरस के खतरे को खत्म नहीं किया जा सकेगा. इन सबके बावजूद चीन में मिले अनुभव से हमें पता चलता है कि लॉकडाउन का फायदा कुछ हफ्तों के बाद नजर आता है. कई अन्य इलाकों में ऐसे ही अनुभव पाए गये हैं जहां लॉकडाउन किए गये.

लॉकडाउन खत्म हो जाने के बाद प्रधानमंत्री क्या करना चाहते हैं?

क्या लॉकडाउन को आगे बढ़ाने की जरूरत है? अगर हां, तो कब तक हम ऐसा कर सकते हैं?

समय आ गया है जब हम संक्रमण का फैलाव रोकने के अलावा अपनी रणनीतियां बनाएं. 21 दिन के लॉकडाउन के बाद की जरूरत यह है कि सरकार गतिविधियों को शुरू करने के लिए चरणवार योजना तैयार करे.

बगैर लॉकडाउन को आगे बढ़ाए आर्थिक मुश्किलों के साथ व्यावहारिक नीतियां अपनाते हुए हम भारत में महामारी से असरदार तरीके से लड़ सकते हैं.

लॉकडाउन जरूरी है मगर हम कब तक जारी रख सकते हैं?

गैर जरूरी गतिविधियों पर राष्ट्रव्यापी रोक के लिए भारत सरकार की अपील सही थी. ऐसा नहीं करने पर आज हम बड़ी आपदा के साथ खड़े दिख रहे होते. ऐसे लॉकडाउन का मकसद एक संक्रमित व्यक्ति से संवेदनशील व्यक्ति तक संक्रमण के फैलाव की श्रृंखला को तोड़ना होता है और इससे दैनिक स्तर पर मरीजों की पहचान के आंकड़ों का ग्राफ ऊंचा नहीं उठता.

ऐसे हस्तक्षेप के बिना कोविड-19 का संक्रमण बहुत तेजी से बढ़ता और यह हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर भारी बोझ होता जिससे भारी संख्या में लोगों की मौत होती. लेकिन, अगर हम इस तरीके से लंबे समय तक आगे बढ़ते हैं तो हमारी अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी जिससे बेरोजगारी, भूख और करोड़ों लोगों की बदहाली की स्थिति पैदा होगी.

अगर 21 दिनों ने आंकड़े पर नियंत्रण रखा, जिसका पता हमें कुछ हफ्तों में चल जाएगा तो क्या हमें लॉकडाउन जारी रखने की जरूरत रहेगी? अगर हम ऐसा करते हैं तो हम कब तक ऐसा कर सकते हैं? कई डॉक्टरों का तर्क होता है कि कोरोना वायरस आसानी से मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता को भेद सकता है,

इसलिए महामारी का अंत तभी हो सकता है जब समूह स्तर पर प्रतिरोधक का विकास हो. आबादी के बड़े हिस्से को वायरस तब तक संक्रमित करता रहेगा जब तक कि उसे नया शरीर मिलता रहेगा. वायरस का संक्रमण तब रुकेगा जब सभी नागरिकों का सामूहिक टीकाकरण का अभियान पूरा हो.लेकिन सुरक्षित और प्रभावी टीका की खोज में हमें कम से कम एक साल से 15 महीने लगेंगे और हमें नहीं पता कि यह कितना महंगा होगा.

रोकथाम की नीतियां तैयार करने का समय

इस बीच हम लॉकडाउन की वास्तविक आर्थिक मुश्किलों को नजरअंदाज नहीं कर सकते. यहां तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका में, जहां राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन नहीं है, अर्थव्यवस्था पर महामारी का प्रभाव बडे पैमाने पर बेरोजगारी के तौर पर नजर आ रहा है. बेरोजगारी भत्ते के लिए करीब 1 करोड़ लोगों ने बीते मार्च महीने के दो हफ्ते में आवेदन दिए हैं. यह आम तौर पर 50 लाख हुआ करता था. गतिविधियों को और आगे रोके जाने से पहले से कमजोर हो चुकी भारतीय अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाएगी.

यह साफ है कि हम अपनी क्षमता के दम पर संक्रमित लोगों को क्वॉरन्टीन करते हुए या फिर उन्हें आम लोगों से दूर रखते हुए दिखेंगे. वास्तव में भारत में एक दर्जन से ज्यादा राज्यों में कोविड-19 का फैलाव यह बताता है कि हमने रोकथाम का चरण (containment stage) पार कर लिया है. इससे आगे की रणनीतियां बनाने का समय हमारे लिए आ चुका है.

इसके लिए योजना की जरूरत होती है. महामारी के असर को कम करने के लिए कई कदम उठाने होंगे- संक्रमण के प्रसार को धीमा करना, अस्पतालों पर बोझ कम करना, जांच करना और जोखिम वाले या संदिग्ध लोगों को अलग-थलग करना और स्वास्थ्य कर्मचारियों को संक्रमण के जोखिम से बचाना.आर्थिक स्थिति को बहाल करने के लिए जरूरी इन सभी कदमों को व्यावहारिक नीतियों के साथ जोड़ा जाना चाहिए.

अचानक लॉकडाउन न हटे, आत्मसंतोषी रवैया न हो

संक्रमण के प्रसार की श्रृंखला को तोड़ने के मकसद से लागू 21 दिन के लॉकडाउन के बाद सरकार को चरणवार तरीके से गतिविधियों को शुरू करने के लिए योजना बनाने की जरूरत है जिसमें आर्थिक गतिविधियों को बहाल करते समय लोगों में शारीरिक दूरी और व्यक्तिगत व पर्यावरण स्वच्छता को बरकरार रखना आवश्यक है।

इसलिए अचानक लॉकडाउन हटाने जैसी बात नहीं होनी चाहिए. यह चरणवार तरीके से हो. कुछ महीनों तक स्कूल और कॉलेज बंद रखते हुए हम शारीरिक दूरी को बनाए रख सकते हैं और ई-लर्निंग एप के जरिए जारी शिक्षा को सुनिश्चित कर सकते हैं. अगले आदेश तक के लिए सार्वजनिक जगहों पर 50 लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा रहना चाहिए.

किसी स्टोर के भीतर एक समय में 5 से ज्यादा लोग नहीं होने चाहिए.दफ्तर और दुकानें पर्याप्त रूप से हवादार हों. एक स्थान पर लोगों की संख्या को निश्चित करते हुए मॉल और सिनेमा हॉल को अनुमति दी जा सकती है. स्वास्थ्य निरीक्षकों को जांच करने और नियमों के उल्लंघन की रिपोर्ट के लिए अधिकृत किया जाना चाहिए. हाथों हाथ तुरंत दंडात्मक कार्रवाई भी हो.

हमें निश्चित रूप से नये-नये तरीकों से सरकारी दफ्तरों में सेवाओँ को अधिक से अधिक इलेक्ट्रॉनिक एक्सेस के अनुरूप बनाना होगा. हर कंपनी में कम से कम आधे तकनीकी प्रोफेशनल्स को वर्क फ्रॉम होम की इजाजत दी जानी चाहिए.

सरकारी और निजी सेक्टरों के लिए यह जरूरी होना चाहिए कि जिन घरों में कोविड-19 संक्रमण के पॉजिटिव मामले वाले मरीज हैं, उन्हें पेड लीव दें. घरों में सेल्फ आइसोलेशन के मामलों पर निगरानी के लिए प्राथमिक उपचार केंद्रों से नर्स या आशा वर्करों को तैनात किया जाना चाहिए. स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे ऐसे घरों में जरूरी सेवाएं और राशन आदि की होम डिलीवरी की व्यवस्था करे.

सबके लिए मास्क जरूरी करने के लिए गाइडलाइन हो

हमें प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत और पर्यावरण की स्वच्छता के महत्व पर जोर देते रहना होगा. हर जंक्शन और बाजारों में हाथ धोने की जगह बनयी जानी चाहिए. बेहतर हो अगर स्थानीय कारोबारी इसका रखरखाव करें. सभी लोगों को आसानी से और सस्ते में हैंड सैनिटाइजर उपलब्ध हो.

और अंत में, हमें आम लोगों को साफ सुथरे कपड़े वाले मास्क पहनने को उत्साहित करना चाहिए. खासकर तब जब वे सार्वजनिक जगहों पर हों,जैसे बाजार, सार्वजनिक परिवहन आदि. चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के प्रमुख डॉ के विजय राघवन महामारी से लड़ने के लिए हर व्यक्ति के लिए मास्क के उपयोग की रणनीति बनाने की जोरदार वकालत कर रहे हैं.

हालांकि ऐसी सलाह विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च की वर्तमान सिफारिश के विरुद्ध है जिसमें कहा गया है कि केवल स्वास्थ्य कर्मचारियों और उन लोगों के लिए यह मास्क जरूरी है जो कोविड-19 के मरीजों की देखभाल कर रहे हैं. मगर, परिस्थिति की मांग है कि थोड़ा अलग तरीके से सोचा जाए।

अगर हम व्यावहारिक नीतियों के जरिए संक्रमण के प्रसार की श्रृंखला को तोड़ सकें और अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था और आगे बढ़कर काम कर रहे योद्धाओं पर बोझ घटा सकें, तो बगैर लॉकडाउन की आर्थिक मुश्किलों के हम प्रभावी तरीके से भारत में महामारी को रोक सकते हैं.

यूएन के पूर्व अंडर सेक्रेटरी जनरल शशि थरूर कांग्रेस सांसद और लेखक हैं. आप उनसे @ShashiTharoor पर संपर्क कर सकते हैं. वहीं डॉ. एजु मैथ्यू कोच्चि में रहने वाले एक ओनकोलॉजिस्ट और एपिडेमियोलॉजिस्ट हैं. उनका ट्विटर हैंडल @ajumathew_ है. यह लेखकों के निजी विचार हैं. द क्विंट का उनके विचारों को समर्थन जरूरी नहीं है, न ही हम उनके लिए जिम्मेदार हैं)

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Published: 05 Apr 2020,11:41 AM IST

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