मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019UP: एक तरफ मतदान-बगल के जिले में चुनावी रैली, क्या EC को सख्त नहीं होना चाहिए?

UP: एक तरफ मतदान-बगल के जिले में चुनावी रैली, क्या EC को सख्त नहीं होना चाहिए?

पीएम मोदी और योगी का हालिया इंटरव्यू आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन है. लेकिन क्या चुनाव आयोग कार्रवाई करेगा?

एमजी देवसाहयम्
नजरिया
Updated:
<div class="paragraphs"><p>UP elections</p></div>
i

UP elections

द क्विंट

advertisement

ऐसा लग रहा है कि उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'अवेंकुलर' ग्रिप में है. 'अवेंकुलर' का डिक्शनरी में अर्थ अंकल के साथ रिश्ता होता है. खासकर दयालु या उदारता वाला. क्योंकि उत्तर प्रदेश ही वह राज्य है, जिसने उन्हें दो बार प्रधानमंत्री बनाया. इस चुनावी राज्य को लेकर मोदी के स्नेह को कोई और कैसे समझा सकता है, जहां वह आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) को तोड़ रहे हैं और चुनाव कानूनों की बाउंड्री को पुश कर रहे हैं.

2017 में राहुल गांधी के इंटरव्यू के खिलाफ चुनाव आयोग ने कैसे काम किया?

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126 (3) उम्मीदवारों और प्रचारकों को मतदान खत्म होने से 48 घंटे पहले, चाहे टीवी के जरिए या दूसरे तरीके से मतदाताओं को प्रभावित करने से रोकती है। फिर भी 10 फरवरी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण के मतदान से एक दिन पहले शाम को प्रधानमंत्री ने एएनआई को दिए इंटरव्यू में ठीक यही किया.

इंटरव्यू यूपी चुनाव के लिए बीजेपी की सोच के बारे में था. मोदी के जवाबों ने यह साफ कर दिया कि वह अपनी पार्टी के पक्ष में नतीजों को प्रभावित करने की पूरी कोशिश कर रहे थे.

इंटरव्यू को सभी टीवी चैनलों पर खूब प्रसारित किया गया था. भारत के चुनाव आयोग ने कुछ नहीं कहा. विडंबना यह है कि 2017 में उसी आयोग ने धारा 126 लागू की थी और पुलिस को निर्देश दिया था कि वह एक इंटरव्यू प्रसारित करने के लिए टीवी चैनलों के खिलाफ कार्रवाई करे. ये इंटरव्यू उस साल गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण से एक दिन पहले शाम को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिया था. नरेंद्र मोदी को यकीन था कि आयोग उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगा क्योंकि उनकी पकड़ निर्वाचन सदन तक भी है.

एक निष्क्रिय चुनाव आयोग के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इसे फॉलो किया. सोमवार, 14 फरवरी को जब दूसरे चरण के चुनाव के लिए मतदान चल रहा था, उन्होंने एएनआई के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि राज्य में 20 प्रतिशत लोगों की नकारात्मक मानसिकता है, जो हमेशा भाजपा का विरोध करते हैं और माफियाओं और अपराधियों का समर्थन करते हैं.

तीन तलाक को खत्म करने की सराहना करते हुए योगी ने कहा कि मोदी सरकार ने हमेशा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों और सम्मान की परवाह की है.

उन्होंने कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा पर हमला करते हुए कहा कि भाई-बहन उनकी पार्टी को बर्बाद करने के लिए काफी हैं. यह भी कहा कि पहले चरण के बाद यह साफ है कि बीजेपी भारी बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश में फिर से सरकार बनाएगी और 'डबल इंजन' सरकार 300 सीटों का आंकड़ा हासिल करेगी.

मोदी का कानपुर भाषण

यह दावा अमल में आ सकता है या नहीं भी हो सकता है, लेकिन 'डबल इंजन' ने पहले ही चुनाव आयोग को प्रभावी ढंग से खामोश कर दिया. इस चुप्पी का आश्वासन देते हुए मोदी ने एक्सीलेटर दबाया. 14 फरवरी को जब उत्तर प्रदेश के दूसरे चरण का चुनाव जोरों पर था, मोदी कानपुर में चुनाव प्रचार कर रहे थे. बीजेपी ने कानपुर की 7 विधानसभा सीटों पर वर्चुअल रैली की व्यवस्था की थी, जहां तीसरे चरण में मतदान होना है.

लगभग सभी अंग्रेजी और हिंदी टीवी चैनलों पर घंटे भर की बातचीत को दिखाया गया और दूसरे चरण में वोट डालने वाले लोगों ने भी इसे लाइव देखा.
  • "समाजवादी पार्टी, राज्य में प्रमुख विपक्ष ने राज्य में अपने शासन के दौरान लूट किया. अगर ये पार्टी सत्ता में आई तो राज्य के हर जिले में माफियागंज बनाएगी। लेकिन माफियागिरी और परिवारवादी यूपी के लोगों से हारेंगे."

  • "तीन तलाक के खिलाफ कानून ने यूपी में हजारों मुस्लिम महिलाओं को बचाया है और मुस्लिम महिला मतदाता अपने घरों से बाहर आकर शांति से मोदी को वोट दे रही हैं क्योंकि वे मुझे आशीर्वाद देना चाहती हैं."

  • यूपी चुनाव के पहले चरण के रुझानों और दूसरे चरण में लोग जिस तरह से पार्टी का समर्थन कर रहे हैं, उसके मुताबिक बीजेपी ढोल-नगाड़ों के साथ सत्ता में वापसी करेगी.

  • यूपी के तेजी से विकास के लिए हर जाति, हर वर्ग के लोग बिना किसी भ्रम के...मतदान कर रहे हैं.

  • "उन्होंने लाखों नकली राशन कार्ड बनाए. डबल इंजन सरकार ने इस फर्जी राशन कार्ड योजना को समाप्त कर दिया. आज यूपी की करोड़ों जनता को मुफ्त में राशन मिल रहा है. मेरी गरीब बहनों और माताओं के चूल्हे कभी बंद नहीं होंगे."

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

इंटरव्यू और कानपुर कार्यक्रम का सीधा प्रसारण जब राज्य के दूसरे हिस्से में मतदान चल रहा था, सभी आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) और ईसीआई द्वारा जारी मीडिया दिशानिर्देशों के उल्लंघन थे. इससे भी बुरी बात यह है कि स्पीच का कंटेंट सीधे एमसीसी के नियमों के खिलाफ थी.

क्या चुनाव आयोग बीजेपी के खिलाफ जाने की कल्पना भी कर सकता है?

इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए, आइए एमसीसी को देखें, जिसे पहली बार 1968 में सभी राजनीतिक दलों के समझौते के साथ अपनाया गया था, ताकि सभी चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक दलों को एक समान अवसर दिया जा सके.

चुनाव चिन्ह (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 में संशोधन करके और धारा 16A को शामिल करके 1994 में इसे लागू किया गया था, जो ECI को मान्यता को निलंबित या वापस लेने की शक्ति देता है. मोदी द्वारा दिए गए भाषण सीधे तौर पर एमसीसी के कोड 1 और कोड 2 का उल्लंघन करते हैं.

"कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ा सकती है या आपसी नफरत पैदा कर सकती है या विभिन्न जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषाई के बीच तनाव पैदा कर सकती है."

"अन्य राजनीतिक दलों की आलोचना, जब की जाती है, उनकी नीतियों और कार्यक्रम, पिछले रिकॉर्ड और काम तक ही सीमित होगी. पार्टियों और उम्मीदवारों को निजी जीवन के सभी पहलुओं की आलोचना से बचना चाहिए, जो अन्य पार्टियों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक गतिविधियों से जुड़ा नहीं है. असत्यापित आरोपों के आधार पर अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना से बचना चाहिए."

ऐसे 'डबल-इंजन' के उल्लंघनों के लिए चुनाव आयोग के पास एकमात्र विकल्प यह है कि वह राजनीतिक दल (बीजेपी) को कारण बताने का एक मौका देने के बाद या तो उसे निलंबित या वापस ले ले. जैसा कि धारा 16 ए में दिया गया है. क्या चुनाव आयोग ऐसी कार्रवाई करने की कल्पना भी करेगा?

पिछले संसद और कुछ प्रमुख राज्य विधानसभा चुनावों में चुनाव आयोग ने सत्ताधारी पार्टी और उसके सुपर-स्टार प्रचारकों की सुविधा के अनुरूप चुनाव निर्धारित किए, जो एमसीसी का उल्लंघन कर रहे हैं.

आयोग ने दांत खो दिए हैं

लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी के भारत के सशस्त्र बलों का घोर राजनीतिकरण करने के बाद भी पार्टी मुक्त हो गई और योगी आदित्यनाथ ने भारतीय सेना को मोदी की सेना कहा.

एक और स्पष्ट उल्लंघन नमो टीवी था जो 26 मार्च 2019 को सामने आया और मतदान खत्म होने के एक दिन बाद 20 मई 2019 को गायब हो गया. चुनाव आयोग के पास कोई सुराग नहीं था और उसने कभी इस पर गौर करने की जहमत नहीं उठाई.

ऐसा लगता है कि जब सत्ताधारी दल की बात आती है तो चुनाव आयोग और एमसीसी अलग-अलग हैं और दोनों कभी नहीं मिल सकते हैं. भारत के चुनावी लोकतंत्र के लिए कितना दुखद है.

(लेखक "इलेक्टोरल डेमोक्रेसी: एन इंक्वायरी इन द फेयरनेस एंड इंटीग्रिटी ऑफ इलेक्शन इन इंडिया" किताब के संपादक हैं. यह एक लेख है और विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट न तो समर्थन करता है और न ही उनके लिए जिम्मेदार है.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 18 Feb 2022,01:53 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT