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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के नतीजे को लेकर ज्यादातर एग्जिट पोल (Exit Polls 2024) में भारतीय जनता पार्टी के लिए भारी जनादेश की भविष्यवाणी की गई है. इस चुनाव के नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे. लेकिन अगर एग्जिट पोल की नजर से देखें तो ओडिशा को लेकर जो पूर्वानुमान किए जा रहे थे वह कयासों पर खरा उतरता दिख रहा है.
लगभग सभी एग्जिट पोल सर्वे ने बीजेपी को सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजेडी) से आगे दिखाया है, हालांकि एग्जिट पोल में जो संख्या बीजेपी के पक्ष में है वह थोड़ी बढ़ी-चढ़ी दिख रही है.
बीजेपी ने राज्य में पहली बार जिस गंभीरता के साथ अपने प्रचार अभियान को अंजाम दिया, उसे देखते हुए काफी वक्त से उम्मीद की जा रही थी कि नरेंद्र मोदी की पार्टी लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करेगी.
इस बार ओडिशा में बीजेपी का चुनाव प्रचार एकदम केंद्रित और आक्रामक था, और यही वजह है कि पार्टी (बीजेपी) के "जरूरत के वक्त दोस्त" मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को भीषण गर्मी में कड़ी मेहनत करनी पड़ी ताकि वे अपने ऊपर हो रहे हमले का मुकाबला कर सकें, जिसमें व्यक्तिगत हमलें भी शामिल हैं. बीजेपी का प्रचार, उनके (पटनायक) कथित खराब स्वास्थ्य से लेकर नौकरशाह से राजनेता बने उनके खास मित्र वीके पांडियन के हाथों में "कठपुतली" होने तक की बातें शामिल हैं.
इसी तरह न्यूज-24 टुडे चाणक्य ने बीजेडी को चार और कांग्रेस को एक सीट मिलने की संभावना जताई है. बाकी एग्जिट पोल्स ने भी संख्याओं में थोड़ी-बहुत ऊपर-नीचे के साथ इसी तरह की तर्ज पर कमोबेश भविष्यवाणी की है. दूसरी तरफ बीजेडी ने एग्जिट पोल के अनुमानों को खारिज करते हुए कहा है कि वह 12 लोकसभा सीटें जीतेगी जबकि छह सीटें बीजेपी के खाते में जाएंगी और चार सीटों पर कड़ा मुकाबला जारी है.
बीजेडी की ओर से मौजूदा आकलन को खारिज करने के पीछे की एक वजह है. साल 2014 और 2019 में ओडिशा के एग्जिट पोल्स गलत साबित हुए थे.
इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में 147 सदस्यीय विधानसभा में दोनों पार्टियों को 62-80 सीटें दी गई हैं. बीजेडी ने जिस एग्जिट पोल का दावा किया है, उसमें 147 में से 117 सीटों के साथ स्पष्ट तीन-चौथाई बहुमत और बीजेपी को 11 सीटें मिल रही हैं. लेकिन, यह सच के करीब नहीं दिखता है.
लंबे वक्त से यह भविष्यवाणी की जा रही थी कि ओडिशा में बीजेपी इन दोनों चुनाव में कई वजहों से बेहतर प्रदर्शन करेगी.
ओडिशा के चुनाव में दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों के बीच कड़ा मुकाबला हुआ, दोनों ओर से एक दूसरे पर बयानों की बौछार की गई. दोनों दलों ने एक दूसरे पर ओडिशा के लिए कुछ भी नहीं करने का आरोप लगाया. विकास के नाम पर आरोप-प्रत्यारोप हुआ और सबसे अहम बात, पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर के खजाने रत्न भंडार की गायब चाबियों पर दोनों ओर से वाकयुद्ध हुआ. ओडिशा में श्री जगन्नाथ मंदिर के लिए बीजेडी और बीजेपी अपनी निष्ठा और विश्वास की कसम खाती हैं.
जहां तक चाबियों के गायब होने के मुद्दे का सवाल है, बीजेपी ने 2018 के बाद से ओडिशा में गड़बड़ करने के लिए बीजेडी को दोषी ठहराते हुए अपने पूरे कैंपेन में सोची-समझी तरीके से हमला किया. ऐसे आरोपों को लेकर ओडिशा के लोगों की भावनाएं आहत हुईं, वहां के लोगों के लिए भगवान जगन्नाथ आध्यात्मिकता और गौरव के प्रतीक हैं.
पिछले 25 बरस में नवीन पटनायक ने जो गढ़ बनाया था, उसे झटका लगा है क्योंकि बीजेपी ने कथित तौर पर बाजी पलट दी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में अपनी आखिरी चुनावी रैलियों में से एक में यह कहने में संकोच नहीं किया कि वह ओडिशा के विकास के लिए नवीन के साथ अपनी दोस्ती का 'बलिदान' करने को तैयार हैं. वहीं ओडिशा के मतदाताओं को ये समझने में काफी वक्त लगा कि लोकसभा चुनाव में बीजेडी के लिए मतदान करना समय और ऊर्जा की बर्बादी होगी क्योंकि पार्टी की संसद में बहुत कम प्रतिनिधित्व है. वे नहीं चाहते कि लोकसभा चुनाव में उनका वोट बेकार हो जाए.
(श्रीमोय कर ओडिशा में स्थित एक वरिष्ठ पत्रकार हैं. यह एक ओपिनियन पीस है और ऊपर व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट हिंदी न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)
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