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Pakistan Budget 2024: पाकिस्तानी वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने अपने 2024-2025 बजट में महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की घोषणा की है. इस बजट को 12 जून को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में पेश किया गया. रिपोर्टों से पता चलता है कि बजट के प्रावधानों का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को खुश करना है, ताकि पाकिस्तान को अपने आर्थिक संकट से बाहर निकलने वो IMF को 24वीं बार "लंबे और बड़े" बेलआउट कार्यक्रम के लिए राजी कर सके.
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अगुवाई वाली पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) सरकार दक्षिण एशियाई क्षेत्र में सबसे धीमी गति से बढ़ रही अर्थव्यवस्था यानी पाकिस्तान पर शासन कर रही है. वह IMF से 6-8 बिलियन डॉलर को लोन मांग रही है ताकि यह देश डिफॉल्ट न करे. पिछले साल भी IMF ने नौ महीनों में 3 अरब डॉलर का अल्पकालिक बेलआउट दिया था और तब जाकर पाकिस्तान डिफॉल्ट से बाल-बाल बच गया था.
वित्त मंत्री औरंगजेब के बजट का कुल परिव्यय 18.9 ट्रिलियन रुपये ($68 बिलियन) निर्धारित किया गया है, जो पिछले वर्ष के $50 बिलियन से एक अच्छी-खासी वृद्धि है. इसमें से आधे से अधिक, 9.775 ट्रिलियन रुपये, ब्याज भुगतान में जाएंगे. पाकिस्तान का घरेलू और विदेशी सार्वजनिक लोन वर्तमान में 67,525 अरब रुपये तक बढ़ गया है.
बजट ने 1 जुलाई से शुरू होने वाले वित्त वर्ष के लिए 13 ट्रिलियन रुपये ($46.6 बिलियन) का 'महत्वाकांक्षी' राजस्व लक्ष्य निर्धारित किया है. यह चालू वर्ष के लक्ष्य से 40 प्रतिशत की भारी छलांग होगी. रक्षा खर्च लगभग 15 प्रतिशत बढ़कर 2.12 ट्रिलियन रुपये हो गया है. अपेक्षित राजस्व में इतनी बढ़ोतरी अतिरिक्त टैक्स लगाकर हासिल करने की कोशिश की जाएगी.
इससे बजट घाटा सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP का 6.9 प्रतिशत रह जाएगा, जहां चालू वर्ष का अनुमान 7.4 प्रतिशत है. सरकार को 3.6 फीसदी का विकास लक्ष्य हासिल करने की उम्मीद है. इसने पिछले साल भी इसी तरह का लक्ष्य रखा था लेकिन जून 2024 तक 2.38 की विकास दर पर समाप्त हुआ.
पाकिस्तान के वित्त मंत्री औरंगजेब के अनुसार, टैक्स लक्ष्य में वृद्धि में चालू वर्ष के संशोधित अनुमानों की तुलना में प्रत्यक्ष टैक्स में 48 प्रतिशत की बढ़ोतरी और अप्रत्यक्ष टैक्स में 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी शामिल होगी. गैर-कर राजस्व, जिसमें पेट्रोलियम पर लेवी शामिल है, 64 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा. कपड़ा और चमड़ा उत्पादों और मोबाइल फोन और रियल एस्टेट से पूंजीगत लाभ पर बिक्री टैक्स में 18 प्रतिशत की वृद्धि होगी.
बजट पेश होने से दो दिन पहले, पाकिस्तानी केंद्रीय बैंक ने चेतावनी दी थी कि यह बजट महंगाई को बढ़ाने वाला हो सकता है क्योंकि टैक्स के आधार को व्यापक बनाने के लिए संरचनात्मक सुधारों में ज्यादा प्रगति नहीं हुई है और लक्ष्य केवल टैक्स में बढ़ोतरी से ही पूरा किया जा सकता है.
हालांकि सरकार ने बाहरी और राजकोषीय घाटे पर कुछ हद तक नियंत्रण कर लिया है, लेकिन इसके साथ विकास में गिरावट के साथ-साथ उच्च महंगाई भी आई है, जो पिछले वित्तीय वर्ष में औसतन 30 प्रतिशत के करीब और इस वर्ष 24.52 प्रतिशत रही है. इसके अलावा, पाकिस्तानी रुपया डॉलर की तुलना में 40 प्रतिशत कमजोर हो गया. सरकार ने अब घोषणा की है कि आने वाले वर्ष में मुद्रास्फीति को 12 प्रतिशत तक कम किया जाएगा. यह लक्ष्य कई लोगों के लिए एक अवास्तविक लक्ष्य है.
फरवरी 2024 के विवादास्पद चुनाव जीतकर सत्ता में आने के बाद से, शहबाज शरीफ सरकार ने सार्वजनिक रूप से कड़े सुधारों की आवश्यकता को स्वीकार किया है. हालांकि, उच्च महंगाई, कम औद्योगिक विकास और बेरोजगारी ने सरकार को परेशान कर दिया है. वैसे भी, IMF टैक्स के आधार को व्यापक बनाने और बिजली दरों को और बढ़ाने के लिए कड़े सुधारों की मांग करेगा.
हाल के एक बयान के अनुसार, IMF की एक टीम ने कहा कि वह संतुष्ट है कि पाकिस्तान ने "एक व्यापक आर्थिक नीति और सुधार कार्यक्रम पर महत्वपूर्ण प्रगति की है जिसे विस्तारित फंड सुविधा/ एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी के तहत समर्थन दिया जा सकता है."
कुल मिलाकर, पाकिस्तान जटिल राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है. इसकी आर्थिक स्थिति में सबसे बड़ी बाधा देश की ओर से लिया गया बड़ा विदेशी लोन है, जिसे चुकाने में इसकी आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता है. विदेशी मुद्रा भंडार कम है, जिससे आवश्यक वस्तुओं का आयात करना मुश्किल हो गया है. इसके करीब 130 अरब डॉलर के कुल विदेशी कर्ज में से 30 फीसदी चीन और 20 फीसदी IMF का है.
पाकिस्तान का आर्थिक विकास असमान रहा है और यह भारत और बांग्लादेश जैसे अपने पड़ोसियों के साथ नहीं टिक पाया है. सरकार की पर्याप्त राजस्व एकत्र करने में असमर्थता से उत्पन्न होने वाला बड़ा राजकोषीय घाटा महंगाई को जन्म देता है और सार्वजनिक सेवाओं के वित्तपोषण को रोकता है. जैसा कि भारत के मामले में, यह कम निवेश दरों, खराब कृषि कीमतों और बढ़ती इनपुट लागत से उत्पन्न होने वाली कृषि समस्याओं का सामना करता है.
आश्चर्य की बात नहीं कि उनकी पार्टी के सदस्यों ने बजट का शोरगुल से विरोध किया. पीएमएल (एन) सरकार का अपने मुख्य गठबंधन सहयोगी यानी बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के साथ भी उतना ही मुश्किल रिश्ता रहा है, जो बजट से खुश नहीं है.
इस निरंतर राजनीतिक अस्थिरता ने आम तौर पर सरकार में विश्वास को कम कर दिया है और व्यवसायों और निवेशकों के साथ-साथ आम नागरिकों के लिए अनिश्चितता का माहौल पैदा कर दिया है.
(लेखक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली के प्रतिष्ठित फेलो हैं. यह एक ओपिनियन आर्टिकल है और ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट हिंदी का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं है.)
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