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पिछले कुछ दिनों से इस बात को लेकर कुछ अफवाहें चल रहीं थीं कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) पाकिस्तान से अपने रक्षा खर्च में कटौती और विशेष तौर पर पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम में कटौती करने के लिए कहेगा. इसको लेकर पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने संसद में विपक्ष को जवाब देते हुए कुछ इस तरह से कहा.
आईएमएफ ने भी इन अफवाहों का आधिकारिक तौर पर खंडन किया है. अफवाह को लेकर आईएमएफ की तरफ से हाल ही में स्पष्ट किया गया था कि इसमें किसी तरह की कोई सच्चाई नहीं है. अतीत या वर्तमान आईएमएफ समर्थित कार्यक्रम और किसी भी पाकिस्तानी सरकार द्वारा अपने परमाणु कार्यक्रम पर निर्णय के बीच किसी भी तरह का कोई संबंध नहीं है. लेकिन दिवालियापन से बाहर निकलने के लिए इस्लामाबाद द्वारा अनुरोधित एक और वित्तपोषण के मुद्दे पर इसकी वजह से मामला बिगड़ गया है.
अगले साढ़े तीन वर्षों में लगभग 80 बिलियन अमेरिकी डाॅलर के विदेशी कर्जाें पर चूक से बचने के लिए पाकिस्तान को अमेरिकी डॉलर की सख्त जरूरत है.
इतना ही नहीं, इस्लामाबाद को फाइनेंसिंग (वित्त व्यवस्था) की खाई को पाटने के लिए नए कर्जों में 6 बिलियन अमरीकी डालर की भी जरूरत है, लेकिन सऊदी अरब ने एक और कर्ज के अनुरोध को फिर से ठुकरा दिया है. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और कतर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं.
यह पहली बार नहीं है. सच तो यह है कि 2022 में आर्थिक संकट आने के बाद से पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की स्थिति को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं.
जैसे कि पाकिस्तान का इलाका सभी तरह के आतंकी समूहों से भरा हुआ था, उसे देखते हुए पूर्व में दो दशक लंबे आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के दौरान एक अहम सवाल उठाया गया. वह सवाल है क्या पाकिस्तान के हाथों में परमाणु हथियार सुरक्षित है या नहीं?
इसके अलावा, जब भी सरकार खुद को मुश्किल स्थिति में पाती है, इस्लामाबाद द्वारा कमोबेश परमाणु हथियार रखने वाले आतंकवादियों के भूत को हवा दे दी जाती है, और यह दांव हमेशा काम करता है.
वाकई में यह इतना बुरा हो गया है कि हाल ही में, CENTCOM के कमांडर जनरल कुरिल्ला को पाकिस्तान के परमाणु तंत्र की सुरक्षा के बारे में अमेरिकी सीनेट को आश्वस्त करना पड़ा. तथ्य यह है कि देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति को देखते हुए तथाकथित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान के रक्षा खर्च को अनावश्यक मान रहा है.
पाकिस्तान ने शाहीन-III नामक लंबी दूरी की परमाणु मिसाइल विकसित की है, जोकि 2,750 किलोमीटर तक (भारत और मध्य पूर्व के अधिकांश हिस्सों को कवर करते हुए) मार करने में सक्षम है. वरिष्ठ पाकिस्तानी राजनेताओं ने अपनी लंबी दूरी की परमाणु मिसाइलों, जिसमें कि इजरायल तक मार करने की क्षमता है, के संबंध में पश्चिमी देशों के दबाव का उल्लेख किया है.
जहां एक ओर पाकिस्तान सरकार अपने आवाम को खिलाने (खाद्य आपूर्ति) और आवश्यक वास्तुओं की आपूर्ति प्रदान करने के लिए सहायता की मांग करती रही है, वहीं दूसरी ओर सेना देश के सार्वजनिक बजट के एक बड़े हिस्से को गटक जाने वाले बहुत महंगे रक्षा कार्यक्रमों पर लगाम लगाने से इनकार करती है.
डीजल की कीमतों में 61 फीसदी और पेट्रोल की कीमतों में 48 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. पाकिस्तान में आटा जैसी बुनियादी वस्तु बाजार से लगभग गायब हो गई है. कुछ दिनों पहले मीडिया द्वारा पाकिस्तान में आटा खरीदने के लिए लंबी कतारों और भगदड़ वाली स्थिति की जानकारी दी गई थी.
लेकिन जैसा कि हमेशा से होता आया है, पाकिस्तान में नागरिकों के कल्याण (जन कल्याण ) से कहीं ज्यादा बढ़कर मिसाइल और परमाणु हथियारों की गिनती होती है. सेना के पास किसी चीज की कमी नहीं है.
इसके विपरीत, वे देश के सबसे बड़े व्यापारिक समूह हैं, जो अपने पेरोल पर लगभग तीन मिलियन लोगों को रोजगार देता है और इसका एनुअल रेवेन्यू 26.5 बिलियन यूएस डाॅलर से अधिक का है.
इन सैकड़ों उद्यमों में से अस्करी बैंक और फौजी फाउंडेशन सिर्फ ऐसे दो वेंचर हैं, सालाना 10 बिलियन यूएस डाॅलर से अधिक की संपत्ति उत्पन्न करते हैं. वे पाकिस्तान में सबसे बड़े रियल एस्टेट डेवलपर हैं, जिनके देश भर में 50 से अधिक विभिन्न हाउसिंग प्रोजेक्ट हैं. इनमें से हर एक प्रोजेक्ट कई हजारों एकड़ में फैला हुआ है.
डीएचए इस्लामाबाद 16,000 एकड़ में फैला हुआ है जबकि डीएचए कराची 12,000 एकड़ से अधिक में फैला हुआ है. वे पाकिस्तान के सबसे बड़े फर्टिलाइजर और सीमेंट निर्माता भी हैं. अस्करी बैंक, जो देश के शीर्ष पांच बैंकिंग संस्थानों में से एक है, वह उनके स्वामित्व में है. इसके साथ ही वे विंड और सोलर एनर्जी के क्षेत्र में भी हावी हैं.
इसके अलावा उनके पास खदानें, कई कमर्शियल हेल्थकेयर सुविधाएं और पूरे पाकिस्तान में फैले शैक्षणिक संस्थानों का एक बड़ा नेटवर्क भी है.
राजनेता तो हमेशा लंदन में अपने अपार्टमेंट में जा सकते हैं और अपने विदेशी बैंक खातों का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन देश के बाकी लोगों का क्या? खैर, जुल्फिकार अली भुट्टो ने कई साल पहले इसका जवाब दिया था : वे (पाकिस्तान के लोग) भूखे मर सकते हैं या घास खा सकते हैं, लेकिन वे गर्व से कह सकते हैं- "हमारे पास बम है."
(फ्रांसेस्का मैरिनो एक पत्रकार और दक्षिण एशिया विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने बी नटले के साथ 'एपोकैलिप्स पाकिस्तान' लिखी है. उनकी नई पुस्तक 'बलूचिस्तान - ब्रूइज्ड, बैटर्ड एंड ब्लडिड' है. उनका ट्विटर अकाउंट @francescam63 है, जिसप ट्वीट करती हैं. यह लेखक की अपनी राय और व्यक्त किए गए विचार हैं. द क्विंट न तो उनके कथित विचारों का समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)
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