advertisement
जितिन प्रसाद का कांग्रेस को अलविदा कहना, और दिल्ली के मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री के कोविड के जोखिम को समझने बूझने के अलग-अलग तरीके, द क्विंट के एडिटर-इन-चीफ राघव बहल हाल की घटनाओं पर अपनी बेबाक राय पेश कर रहे हैं.
जो लोग भी कांग्रेस के एक और मुख्य (लेकिन प्रभावी नहीं) नेता जितिन प्रसाद के कांग्रेस छोड़ने और भाजपा में शामिल होने से परेशान हैं, उन्हें मैं एक और वाकये की याद दिलाना चाहूंगा. 1977 में एक बहुत ही असरदार, ताकतवर नेता और कैबिनेट मंत्री बाबू जगजीवन राम भी कांग्रेस छोड़ जनता पार्टी में गए थे.
लेकिन आज बहुत से कांग्रेसी नेता जो कर रहे हैं, वह मौकापरस्ती ही है. जगजीवन राम से एकदम उलट. वे लोग भारी भीड़ वाली, प्रभुत्वशाली, विजेता पार्टी की नैय्या में कूद रहे हैं, जोकि उनके लिए उतनी उपयोगी नहीं हो सकती. और तो और, इस तरह वे उन बीजेपी नेताओं से भी भिड़ने वाले हैं जो अपने अपने इलाकों में मोर्चा संभाले हुए हैं और कांग्रेस से आने वाले नेताओं को पटखनी देने के लिए कुछ भी कर सकते हैं.
जगजीवन राम ने जो किया था, वह जोखिम भरा कदम था. उन्होंने एक प्रबल, ऐतिहासिक रूप से जीत हासिल करने वाली पार्टी को छोड़ा था, और एक जोखिम भरे ‘स्टार्टअप’ की बागडोर संभाली थी. यह महत्वाकांक्षा और दुस्साहस, दोनों था. जिसके लिए कलेजा होना जरूरी था.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, “तीसरी लहर के लिए तैयार हो जाइए जब हर दिन 37,000 संक्रमणों का चरम देखने को मिलेगा.” दिल्ली के इन आंकड़ों के हिसाब से आसानी से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि तीसरी लहर के दौरान पूरे देश में एक दिन में छह लाख से ज्यादा मामले दर्ज हो सकते हैं. यह डरावना है. खलबली मचाने वाला.
लेकिन दूसरी तरफ गृह मंत्री अमित शाह आत्मविश्वास से भरे हुए हैं. वह इस बात पर जोर दे रहे हैं कि महामारी कमजोर हो रही है और सरकार ने संकट को काबू कर लिया है.
विरोधाभासी दावों की बजाय हमारी सरकारें एक बड़ा, वैज्ञानिक सीरो सर्वे क्यों नहीं कराती जिससे पता चले कि जमीनी हकीकत क्या है?
यह हैरान करने वाली बात है कि हम ऐसे वक्त में सर्वे नहीं करा रहे, जब सही सूचना की सबसे ज्यादा जरूरत है. महामारी की रोकथाम करने वाली नीतियों में विसगंतियों की यह एक और मिसाल है.
आखिरकार, हमारी वैक्सीन नीति की एक कमजोरी दूर की गई, यानी अंग्रेजी में रजिस्ट्रेशन कराने की बाध्यता. मैं अपने परिवार में पहला इंटरप्रेन्योर हूं. इस नाते पिछले तीन दशकों में मैंने ऐसी कई सरकारी नीतियों का सामना किया है जोकि अबूझ और सिरफिरी किस्म की रही हैं. लेकिन यह सबसे ज्यादा घटिया और बुरी थी.
मेरा मतलब यह है कि बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकारें हिंदी की कसमें खाती हैं, गैर हिंदी राज्यों की ज्यादातर क्षेत्रीय पार्टियां अपनी स्थानीय भाषाओं के प्रति पूरी तरह से वफादार हैं.
यह निहायत ही बकवास नीति थी जो करीब छह महीने तक चलती रही. शुक्र है, इसे खत्म कर दिया गया. लेकिन हमें अब भी कोविड-19 वैक्सीन के लिए ‘मोबाइल वैक्सीनेशन कैंंप’ शुरू करने में कैसी झिझक है? हम क्यों लोगों से वैक्सीन केंद्र तक आने को कहते हैं, क्यों नहीं हम कम से कम ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों तक खुद 'मोबाइल वैक्सीन कैंप' के जरिए पहुंच सकते?
साड्डा पंजाब परफॉरमेंस ग्रेडिंग इंडेक्स यानी पीजीआई में टॉप पर है- उसका स्कोर 929/1000 है. यानी वह केरल से भी आगे है! इसका ये भी मतलब है कि पंजाब के स्कूल देश में सबसे प्रभावशाली हैं.
ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि यहां प्राइमरी स्तर पर अंग्रेजी भाषा को पढ़ाने का माध्यम बनाया गया.
आखिकार, हममें से कई को समझ आया है कि अंग्रेजी के सहज ज्ञान के क्या फायदे हैं (अत्याचारी औपनिवेशिक शासन का सबसे अच्छा नतीजा यही था.)
हमें यह भी समझना होगा कि अंग्रेजी में निपुण होने का यह मतलब नहीं कि हम अपनी स्थानीय भाषाओं का अपमान कर रहे हैं. दोनों महत्वपूर्ण हैं और अगर कोई नीति हमारी अंग्रेजी भाषा की काबिलियत को कमतर करती है तो यह काफी विनाशकारी हो सकती है. अदूरदर्शी भी.
अहमदाबाद की तारीफ की जानी चाहिए. उसने ओलंपिक मेजबानी की दावेदारी ठोंकने की तैयारियां शुरू कर दी हैं, हालांकि इसकी दावेदारी की सबसे नजदीकी गुंजाइश 2036 में है.
लेकिन मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगा कि हम लॉस एंजिलिस से सीख सकते हैं. ओलंपिक के समय उसने प्राइवेट सेक्टर को ज्यादा महत्व दिया था. इससे खेल आयोजन ‘लाभकारी ओलंपिक’ में तब्दील हो गए थे. भारत को भी ‘सरकारी सुपस्ट्रक्चर’ रचने की जगह प्राइवेट सेक्टर के हाथ में कमान सौंपनी चाहिए. वही खेल आयोजन के लिए क्षमता निर्माण करे. चूंकि ‘सरकारी सुपरस्ट्रक्चर’ नाकाबिलियत/भ्रष्टाचार/चूक/शर्मिंदगी की गुंजाइश पैदा करेगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: 10 Jun 2021,10:41 AM IST