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लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) एक ऐसे राजनेता हैं, जिनका नाम सुनते ही चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. लालू, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के एक दिग्गज नेता हैं और संसद में अपने शानदार भाषणों के लिए जाने जाते हैं. धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने देश भर के लोगों का दिल जीत लिया है. लेकिन उनकी मुस्कान अक्सर ऊंचा मुकाम हासिल किए व्यक्तित्व की होती है और जिंदादिल होती है- यह एक ऐसी मुस्कान है जो अक्सर उच्च जाति और वर्ग के लोग उन लोगों के हिस्से में रखते हैं, जिन्हें वे 'अपनी तरह' के नहीं मानते हैं. वे अक्सर लालू को एक देहाती-गंवार के रूप में देखते रहे हैं.
लेकिन लालू ने बार-बार दिखाया है कि वह न केवल रेलवे मंत्री के तौर पर शानदार काम करने में सक्षम हैं, बल्कि उन्होंने कई बार अपने साहस का प्रदर्शन भी किया. लालू ने अक्टूबर 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा रोक दी थी और उन्हें गिरफ्तार किया था.
दिल्ली में मीसा भारती के घर पर ही सितंबर के पहले सप्ताह में लालू प्रसाद ने फूलों के बड़े गुलदस्ते के साथ राहुल गांधी का स्वागत किया था.
मेहमानों के लिए हिंदू संस्कृति की परंपराओं (अतिथि देवो भव) को ध्यान में रखते हुए, लालू ने अपने सम्मानित अतिथि के लिए पटना से सबसे अच्छा बकरे का गोश्त मंगवाया और उन्होंने कहा कि वह राहुल के लिए चंपारण मटन पकाएंगे.
इसमें कोई शक नहीं कि यह परंपरा से थोड़ा हटकर है क्योंकि आमतौर पर महिलाएं ही खाना बनाती हैं लेकिन कम से कम कश्मीरी पंडित परंपरा में, जिससे राहुल जुड़े हैं, सार्वजनिक अवसरों पर पुरुष खाना बनाते हैं.
राहुल गांधी ने तुरंत कहा कि वह लालू यादव से मटन पकाना सीखेंगे.
यह भी हिंदू संस्कृति के मुताबिक था, जो बड़ों के प्रति कर्तव्य और उनके सम्मान पर बहुत जोर देता है. महाभारत के युद्ध से पहले, युधिष्ठिर निहत्थे ही बड़ों का आशीर्वाद लेने जाते हैं, भले ही वे दूसरी तरफ हों.
मीसा मौजूद थीं, लेकिन राहुल को निर्देश लालू प्रसाद ने ही दिये और राहुल ने पूछा कि कितना मसाला डालें.
मटन पकाने के इस लम्हे का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ.
और फिर, BJP ने इस मौके पर बयानबाजी कर ही दी.
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सावन के महीने में गोश्त खाने को लेकर राहुल की निंदा करते हुए कहा कि
संबित पात्रा ने भी इस पर बयानबाजी की और कहा कि मुझे समझ नहीं आ रहा कि जनेऊधारी ब्राह्मण राहुल गांधी ने सावन के पवित्र महीने में मटन कैसे खाया.
घाटी में कश्मीरी पंडित और हममें से जो कहीं और रहते हैं, वे पारंपरिक रूप से सूअर का मांस, गोमांस या चिकन नहीं खाते हैं, लेकिन हम मटन खाते हैं.
हमने पारंपरिक रूप से शिवरात्रि पर बकरे की कलेजी या खट्टी कलेजी खाई है.
मुझे वह लजीज डिश याद है, जिसे चाव से पकाया गया था और नाश्ते में परोसा गया था. हर शिवरात्रि पर, मैं खट्टी कलेजी की महक और स्वाद के लिए तरसती हूं, लेकिन अफसोस, परंपरा ज्यादा से ज्यादा धूमिल हो गई है या मेरे रिश्तेदार सोचते हैं कि शाकाहार ही असली हिंदू धर्म है और हम गोश्त खाने वाले ब्राह्मण बिल्कुल अलग हैं.
घाटी के कश्मीरी पंडितों द्वारा शिवरात्रि की सबसे शानदार बात कश्मीर की पहली महिला आईएएस अधिकारी सुधा कौल द्वारा की गई है. वह कहती हैं कि मांसाहारी होना जिंदा रहने की एक रणनीति थी और यह जीवन, प्रेम और खुशी के रूपक के रूप में हमारे मानस में गहराई से समाया हुआ है.
वह अपने परिवार द्वारा दिल्ली में मनाई गई एक शिवरात्रि के बारे में बताती हैं...
बेशक, अगर संबित पात्रा को राहुल गांधी का मजाक उड़ाना था, तो वह कह सकते थे कि एक कश्मीरी पंडित को प्याज और लहसुन नहीं खाना चाहिए - यह हमारे लिए मना है.
बीजेपी के साथ समस्या यह है कि वे हिंदू धर्म को समरूप धर्म में बदलना चाहती है, जो कि वो नहीं है. बीजेपी हिंदू धर्म को बिना सांस्कृतिक विविधता, समृद्ध रीति-रिवाजों और परंपराओं के देखना चाहती है, जबकि असल में ये ही भारत को भारत बनाते हैं.
जब राहुल गांधी ने लालू यादव से पूछा कि राजनीति में सीक्रेट मसाला क्या है, तो लालू ने जवाब दिया कि राजनीतिक मसाला संघर्ष है और अगर कोई अन्याय होता है, तो सच्चा राजनेता न्याय के लिए लड़ेगा. उन्होंने राहुल से यह भी कहा कि उनके माता-पिता और दादा-दादी ने देश को नया रास्ता दिखाया है.
फिर से एक नए रास्ते की जरूरत है.
अब चुनौती यह है कि पुराने राजनीतिक रेसिपी को नए भारत के लायक बनाने के लिए क्या नया मसाला डाला जा सकता है.
(नंदिता हक्सर एक मानवाधिकार वकील और पुरस्कार विजेता लेखिका हैं. यह एक ओपिनियन पीस है और व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं. द क्विंट न तो उनका समर्थन करता है और न ही उनके लिए जिम्मेदार है.)
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