मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Voices Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Opinion Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019'न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर CM गहलोत का बयान गैर-जिम्मेदाराना'- पूर्व चीफ जस्टिस

'न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर CM गहलोत का बयान गैर-जिम्मेदाराना'- पूर्व चीफ जस्टिस

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 30 अगस्त को मीडिया से बातचीत के दौरान न्यायपालिका में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था.

जस्टिस गोविंद माथुर
नजरिया
Published:
<div class="paragraphs"><p>'न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर CM गहलोत का बयान गैर-जिम्मेदाराना'- पूर्व चीफ जस्टिस</p></div>
i

'न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर CM गहलोत का बयान गैर-जिम्मेदाराना'- पूर्व चीफ जस्टिस

क्विंट हिंदी

advertisement

न्यायपालिका (Judiciary) में कथित तौर पर, बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) का बयान न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि आपत्तिजनक भी है.

30 अगस्त को मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, “आज जो बताइये इतना भ्रष्टाचार हो रहा है न्यायपालिका के अंदर. इतना भयानक भ्रष्टाचार है, कई वकील लोग तो मैंने सुना है, लिख के ले जाते हैं जजमेंट और जजमेंट वही आता है."

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि "क्या हो रहा है न्यायपालिका के अंदर? चाहे निचला हो, चाहे ऊपर हो, हालात बड़ी गंभीर है."

अशोक गहलोत को न्यायपालिका पर इतनी आपत्तिजनक टिपण्णी करने से पहले यह समझना चाहिए कि हमारी न्यायपालिका हमारे संवैधानिक तंत्र के तीन महत्वपूर्ण अंगों में से एक है. भारत के लोगों को इसपर बहुत विश्वास है. ऐसी आकस्मिक टिप्पणियां करके हमारी न्यायपालिका को चोट पहुँचाने का कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए.

एक प्रमुख संवैधानिक संस्था पर ऐसी टिपण्णी करके बिल्कुल अनुचित हमला किया गया है. यह एक गंभीर मुद्दा है.

'प्रमुख संवैधानिक निकाय पर अनुचित हमला'

अगर मुख्यमंत्री के पास कोई सबूत है, तो उन्हें पहले मुख्य न्यायाधीश से इस मामले पर चर्चा करनी चाहिए थी. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या उन्होंने ऐसा हानिकारक बयान देने से पहले राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से बात की थी?

मेरी राय में मुख्यमंत्री जनता के नजर में न्यायपालिका के अधिकार को कम करने की स्पष्ट अवमानना ​​कर रहे हैं.

राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को एडवोकेट जनरल को अदालत में बुलाना चाहिए और राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगना चाहिए, या जांच करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए वरिष्ठ न्यायाधीशों की एक समिति का गठन करना चाहिए. ऐसी जांच में एजी और कानून सचिव को पेश होने और अदालत के सामने वह सबूत रखने के लिए कहा जाना चाहिए जो इस तरह के बयान का आधार है.

(जस्टिस गोविंद माथुर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं. यह एक राय है और व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT