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लालू यादव से जुड़ा कोई कार्यक्रम हो और उसमें कोई ‘हट के’ धूम-धड़ाका न हो, ये तो हो ही नहीं सकता. और इस बार तो शादी थी लालू के लाल यानी बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की. हंगामा होना तो तय ही था. लेकिन हंगामा लूटपाट की शक्ल में होगा, इसका अंदाजा मेजबानों को कतई नहीं होगा.
12 मई की शाम पटना के वेटरनरी ग्राउंड में हजारों-हजार की तादाद में पहुंचे बारातियों ने भोज के पंडाल पर जमकर उत्पात मचाया.
मैदान में दो तरह के इंतजाम थे. एक आम बारातियों के लिए और दूसरा वीआईपी मेहमानों के लिए. किसी ने खबर उड़ा दी कि वीआईपी पंडाल में खाना और पकवान ज्यादा स्वादिष्ट हैं. बस इसके बाद तो लोगों ने लूटपाट मचा दी और क्रॉकरी तक तोड़ डाली. उन्हें काबू में करने का कोई जतन काम न आया.
रात के हंगामे से पहले दिन भर दरबार सजा था बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सरकारी निवास 10, सर्कुलर रोड पर.
शायद इसलिए कि भगवान दंपतियों में राम-सीता और कृष्ण-रुक्मिणी से ज्यादा शिव-पार्वती को ज्यादा श्रद्धा से देखा जाता है.
शाम के 4 बजते-बजते 10 सर्कुलर रोड के बाहर हाथी, घोड़े और ऊंटों के जत्थे जुटने लगे. बैंड पार्टियां भी एक दो नहीं, आधा दर्जन से ज्यादा थीं. ढोल-नगाड़ों से पूरा इलाका गूंज रहा था.
हाथी मदन प्रसाद (जी हां, यही नाम था हाथी का) के महावत जुमादीन ने मुझे बताया:
सुर्ख लाल कपड़ों में एक साहब तो इस कदर पगलाए थे कि उन्होंने मुझे खुद से बात करने तक का मौका नहीं दिया.
पटना से करीब 30 किलोमीटर दूर मनेर शरीफ दरगाह से आए राजेंद्र प्रसाद यादव बिना किसी के कहे ही भीड़ को संभालने में लगे हुए थे. लेकिन उन्हें शादी से ज्यादा लालू यादव से मिलने की इच्छा थी. उन्होंने मुझे बताया:
करीब साढ़े सात बजे बारात घर से निकली, तो मुझे उसके साथ-साथ वेटरनरी ग्राउंड पहुंचना था.
करीब आधे घंटे की परेड के बाद मैं जब वैटरिनरी ग्राउंड पहुंचा, तो खाने का पंडाल लुट चुका था और भीड़ जयमाला के स्टेज पर फोकस कर चुकी थी. किसी सियासी रैली से बड़े लोगों के उस रैले के बीच स्टेज तक पहुंचना मुमकिन नहीं था.
इस बीच मुझे किसी ने बताया कि मैदान के पीछे एक वीआईपी गेट है. वहां तक पहुंचने के लिए एक किलोमीटर फिर चलना पड़ा. खैर साहब.. प्रेस कार्ड दिखाकर मैं वहां से अंदर घुस गया. स्टेज पर चढ़ने की चूहा-दौड़ मची थी.
आखिरकार स्टेज की सीढ़ियां उत्साही बारातियों का बोझ सहन नहीं कर पाईं और टूट गईं. इस दौरान सीढ़ी से उतर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर को मामूली तौर पर चोट भी आई.
खैर साहब.. इस हो-हल्ले के बीच पालकी पर सवार दुल्हन ऐश्वर्या राय ने मैदान में ग्रैंड एंट्री ली और सैंकड़ों लोगों की भीड़ से होती हुई स्टेज तक पहुंचीं. इस दौरान बारातियों में उनकी सूरत अपने मोबाइल फोन में कैद करने की होड़ मची थी.
कुछ देर बाद बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्टेज पर पहुंचे. जुलाई 2017 में आरजेडी और जेडीयू में हुई टूट के बाद लालू और नीतीश पहली बार न सिर्फ किसी मंच पर साथ, दिखे बल्कि चेहरों पर मुस्कुराहट के साथ गले भी मिले. दूल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद देने के बाद नीतीश-लालू के बगल वाले सोफे पर बैठे.
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लालू और नीतीश के बीच राज्यपाल मलिक बैठे थे. दूसरी तरफ लालू की बेटियां एक-एक कर नीतीश से मिलने आती रहीं. हालांकि बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता और तेज प्रताप के छोटे भाई तेजस्वी यादव नीतीश से मिलते नजर नहीं आए.
जयमाला के बाद शादी की तमाम रस्में लड़की के घर यानी 5, सर्कुलर रोड पर होनी थीं, जहां मीडिया के घुसने की इजाजत नहीं थी. लेकिन वेटरनरी ग्राउंड से लौटना भी किसी बुरे सपने से कम नहीं था. वापसी की तमाम सड़कों पर जाम लगा था. सैकड़ों कारों की कानफोड़ू पौं-पौं और हजारों पैदल बारातियों की भीड़ के चलते सड़क पर चलना मुश्किल था. खैर.. करीब 5 किलोमीटर के पैदल मार्च के बाद मैं अपने होटल पहुंचा, तो खाना खाने तक की ताकत नहीं बची थी.
लेकिन इन सब के बावजूद, तमाम हंगामे और भव्यता के चलते ये पॉलिटिकल शादी मुझे कई दिनों तक याद रहेगी.
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Published: 14 May 2018,05:31 PM IST