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ऐसा लगता है, अतीत दोहराया जा रहा है. मामले बढ़ने के साथ सरकार बचाव के उपायों पर यू-टर्न ले रही है. जैसे अल्फा और डेल्टा वेरिएंट्स के समय दुनिया में सबसे ज्यादा कोविड-19 (Covid 19) के मामले यूके में हुए थे, उसी तरह ओमिक्रॉन (Omicron) की तीसरी लहर के दौर भी हो रहा है. हर रोज 80,000 से 90,000 मामले आ रहे हैं. यूरोप के किसी भी देश के मुकाबले सबसे ज्यादा.
आंकड़े बताते हैं कि वैक्सीनेशन प्रोग्राम की सफलता ने मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की दर कम जरूर की थी, लेकिन प्रतिबंधों को पूरी तरह से हटाने की वजह से डेल्टा वेरिएंट में इजाफा हुआ. जर्मनी, फ्रांस, स्पेन और इटली के मुकाबले यूके के लोगों के यह कहने की ज्यादा आशंका थी कि वे अब फेस मास्क नहीं पहनते. इंपीरियल कॉलेज, लंदन के एक अध्ययन के मुताबिक, उन देशों की तुलना में यूके में कोविड-19 के मामले बहुत अधिक हैं.
पश्चिमी यूरोप की तुलना में यूके ने बहुत से प्रतिबंधों में जल्दी ढिलाई दी. इंग्लैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड में लोग गर्मियों के बाद से नाइट क्लबों में जाने लगे और बहुत बड़ी संख्या में जमावड़े लगाने लगे.
ओमिक्रॉन के मामलों में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी को देखते हुए प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने आखिरकार लोगों से कहा है कि वे पब्लिक ट्रांसपोर्ट और इनडोर रीटेल आउटलेट्स में मास्क पहनें लेकिन यह हिदायत बहुत साफ नहीं है.
महारानी ने अपने सभी क्रिसमस कार्यक्रमों को रद्द कर दिया और कई मशहूर पब चेन्स के मालिकों ने भी अपने आउटलेट्स बंद कर दिए. इस तरह उन्होंने जो मिसाल कायम की, वह सरकार पेश करने में नाकाम रही है. जैसा कि बिल गेट्स ने ट्विटर पर लिखा है-
ऐसे में नेताओं को वैज्ञानिकों की सलाह पर ध्यान देना चाहिए- हम पहले ही काफी भुगत चुके हैं.
यूके में पीक बिजनेस सीजन में एक बार फिर हॉस्पिटैलिटी सेक्टर की हालत खस्ता है. एयरलाइन्स सेक्टर भी बेहाल है. वैज्ञानिकों का कहना है, ओमिक्रॉन के उभरने के बाद से हवाई यात्रियों के उड़ान के दौरान कोविड-19 के शिकार होने का खतरा दोगुना, या यहां तक कि तीन गुना ज्यादा होता है.
इसमें कोई शक नहीं कि वैक्सीन प्रोग्राम में यूके बाकी देशों से सबसे आगे था और इसके चलते बहुत सी जिंदगियां बचीं. फिर भी वैज्ञानिकों का मानना है कि इजराइल की तरह यूके के जल्द वैक्सीनेशन करने की वजह से लोगों में वैक्सीन इम्युनिटी घटी और मामलों की संख्या तेजी से बढ़ी. जबकि फाइजर वैक्सीन की इम्युनिटी छह महीने में घटती है, लांसेट का कहना है कि एस्ट्राजेनेका (भारत में कोविशील्ड) की वैक्सीन इम्युनिटी तीन महीने में कम होती है. इसलिए बूस्टर डोज़ की जरूरत अहम हो जाती है.
यह जरूरी है कि ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत अपना बूस्टर प्रोग्राम शुरू करे और बच्चों को वैक्सीन लगाए. कई वैज्ञानिकों और जमीनी स्तर के अध्ययनों से यह पता चलता है कि एस्ट्राजेनेका की दो वैक्सीन के बाद एमआरएनए बूस्टर से ज्यादा सुरक्षा मिलती है. यूके में मैं बहुत से लोगों को जानती हूं जिन्होंने एस्ट्राजेनेका के बाद अब फाइजर के बूस्टर लगवाए हैं. वक्त आ गया है कि भारत भी एमआरएनए वैक्सीन की तैयारी करे.
दुनिया करीब दो साल से इस महामारी से जूझ रही है. वैज्ञानिक इस जानलेवा वायरस का इलाज ढूंढने में लगे हुए हैं. यूके ने एक अच्छा काम यह किया था कि उसने मंजूरी से पहले ही वैक्सीन ले ली थी. लेकिन राजनीतिक उतार-चढ़ाव ने मेडिकल और वैज्ञानिक सलाह को दरकिनार कर दिया है और हमें मुश्किल में डाल दिया है.
यूके ओमिक्रॉन वेरिएंट और उसके कारण होने वाली गंभीर बीमारियां के लिए तैयारी कर रहा है. उसने अब मर्क और फाइजर से दो एंटी-कोविड-19 गोलियों के अतिरिक्त 42.5 मिलियन कोर्स हासिल कर लिए हैं जोकि अगले साल की शुरुआत में आने की उम्मीद है.
इससे यूके को मर्क शार्प और डोहमे के एंटीवायरल लेगेवरियो के 1.75 मिलियन अतिरिक्त कोर्स और फाइजर की पैक्सलोविड गोली के अतिरिक्त 2.5 मिलियन कोर्स मिलेंगे. यह सप्लाई एरेंजमेंट दो एंटीवायरल कंबाइन के लगभग 7,30,000 ट्रीटमेंट कोर्सेज़ के मौजूदा ऑर्डर के अलावा है.
दोनों ट्रीटमेंट लक्षणों की शुरुआत के तुरंत बाद किए जाते हैं और कमजोर मरीजों को दिए जाते हैं. हालांकि इसे यूके के मेडिकल रेगुलेटर को मंजूर करना बाकी है लेकिन जैसा कि शुरुआती लैब टेस्ट्स से पता चलता है कि फाइजर की गोली ओमिक्रॉन के खिलाफ काम करेगी.
जल्दी कार्रवाई करना बहुत अच्छी बात है लेकिन तब और अच्छा होगा, जब नेतागण वैज्ञानिकों की सलाह मानेंगे और मंत्रीगण यह कहने परहेज करेंगे कि ओमिक्रॉन एनएचएस के लिए जोखिम पैदा करेगा, इसका 'ठोस सबूत' दिया जाए. सिर्फ इसलिए क्योंकि वे कार्रवाई करने की कीमत अदा करने से बचना चाहते हैं. अगले कुछ दिनों में पता चलेगा कि ओमिक्रॉन के चलते मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की दर कितनी है.
लेकिन वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि मंत्रियों को इस बात का सबूत देना गैरजरूरी हो सकता है, क्योंकि ओमिक्रॉन के मामले हर 48 घंटे में दोगुने हो रहे हों, और इसीलिए लोगों के गंभीर बीमारियों के शिकार होने का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है. बीमारी का शिकार होने के बाद अस्पताल में भर्ती होने में लगभग 10-14 दिन लगते हैं.
कई वैज्ञानिक इस दावे को लेकर संशय में हैं कि ओमिक्रॉन से कम गंभीर बीमारियां होती हैं. यूसीएल की क्लिनिकल ऑपरेशनल रिसर्च यूनिट की डायरेक्टर क्रिस्टीन पेगल लिखती हैं:
स्कॉटलैंड और वेल्स पहले ही क्रिसमस के बाद और पाबंदियां लगाने की घोषणा कर चुके हैं. इसके अलावा सभी देशों को तेजी से कार्रवाई करने की जरूरत है. वेलकम ट्रस्ट के डायरेक्टर जेरेमी फेरर, जो सेज के पूर्व सदस्य भी थे, का कहना है कि “वायरस की गंभीरता नहीं, उसका फैलाव ज्यादा असर करता है.” उनका कहना है कि देश अब महामारी के "सबसे कठिन, सबसे अनिश्चित" दौर में है.
इसलिए यह सोचना मूर्खता ही है कि ओमिक्रॉन हल्का वायरस है. कोविड-19 इतना खतरनाक है, इसका जिक्र भी पहले नहीं किया गया था. ओमिक्रॉन से बचना है तो इसे गंभीर मानकर चलना होगा.
(नबनीता सरकार लंदन में रहने वाली एक सीनियर पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडिल @sircarnabanita. है. यह एक ओपिनियन पीस है. यहां व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट का उनसे सहमत होना जरूरी नहीं है.)
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Published: 26 Dec 2021,12:38 PM IST