एक बीजेपी कार्यकर्ता अपनी पार्टी से इस्तीफा क्यों देना चाहता है? बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री राम माधव की टीम में काम करने वाले शिवम शंकर सिंह ने अपने ब्लॉग में इस्तीफे का एक-एक कारण बताया है. मिशिगन यूनिवर्सिटी से पास आउट शिवम शंकर सिंह को डेटा एनालिटिक्स में महारत हासिल है, राम माधव के साथ मिलकर उन्होंने बीजेपी को कई पूर्वोत्तर के राज्यों को जीत दिलाने में मदद की है.
बीजेपी के लिए एक रैली में प्रचार कर रहे शिवम(फोटो: फेसबुक)
आइए जानते हैं वो वजहें जिनके कारण शिवम शंकर सिंह ने पार्टी से इस्तीफा देने का मन बना लिया है.
अपने ब्लॉग की शुरुआत में शिवम लिखते हैं कि बीजेपी ने अविश्वसनीय रूप से प्रभावी प्रचार के साथ-साथ कुछ खास मैसेज को फैलाने में बहुत अच्छा काम किया है और यही 'मैसेज' कारण हैं जिनकी वजह से शिवम अब आगे पार्टी का समर्थन नहीं कर सकते.
शिवम लिखते हैं कि हर पार्टी में कुछ न कुछ अच्छाई भी होती है. तो पहले बीजेपी सरकार की कुछ अच्छाई से शुरुआत करते है. उन्होंने सरकार की ये अच्छाई गिनाई है-
नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर भी शिवम ने लिखी है अपनी राय (Photo: PTI)
अच्छा क्या है?
सड़क निर्माण में पहले से अधिक तेजी आई है.
बिजली का कनेक्शन बढ़ गया है. सभी गांव में बिजली मिल रही है और ज्यादा समय के लिए मिल रही है. (कांग्रेस ने 5 लाख गांवों का विद्युतीकरण किया और मोदी जी ने पिछले 18 हजार गांव को कनेक्ट करके काम पूरा कर लिया, तो आप उपलब्धियों को अंदाजा अपने आप से ही लगा सकते हैं.)
ऊपरी स्तर पर भ्रष्टाचार कम हो गया है. अबतक सरकार में मंत्रियों के स्तर पर कोई बड़ा मामला सामने नहीं आया है (लेकिन ये यूपीए-1 के समय में भी था). निचले स्तर पर भ्रष्टाचार अब भी पहले जैसा ही है.
स्वच्छ भारत मिशन सफल है. ज्यादा शौचालय का निर्माण हुआ है.
उज्ज्वला योजना एक अच्छी पहल है. लेकिन इस योजना के तहत कितने लोग दूसरा सिलेंडर खरीदते हैं ये जानने की बात है. पहला सिलेंडर और एक स्टोव तो फ्री में मिलता है, लेकिन दोबारा भरवाने के लिए पैसे देने पड़ते हैं. जिसपर 800 रुपये लागत आती है.
नॉर्थ ईस्ट राज्यों में कनेक्टिविटी बेहतर हुई है. अब मुख्यधारा के समाचार चैनलों में इन राज्यों को ज्यादा जगह मिलती है.
लॉ एंड ऑर्डर में बेहतरी आई है.
अपने ब्लॉग में शिवम आगे बीजेपी सरकार की खामियों को गिनाते हैं. वो कहते हैं कि एक सिस्टम या देश को बनाने में सालों साल लगते हैं और बीजेपी ने बहुत सारी चीजों को बर्बाद कर दिया है. वो 7 खामियों को कुछ इस तरह गिनाते हैं- ((शिवम शंकर सिंह के ब्लॉग के शब्दों में))
इलेक्टोरल बॉन्ड्स: इसने करप्शन को लीगलाइज्ड कर दिया है जिसके कारण कोई भी विदेशी शक्ति या कॉरपोरेट सियासी पॉर्टियों को खरीद सकती है. बॉन्ड के बारे में किसी को पता नहीं चलता ऐसे में अगर कोई कॉरपोरेट किसी खास पॉलिसी को लागू कराने के लिए 1 हजार करोड़ का इलेक्टोरल बॉन्ड पार्टी को देता है तो जाहिर है कि उसका काम हो जाएगा. इससे ये भी साफ होता है कि आखिर कैसे मिनिस्ट्रियल लेवल पर करप्शन कम हुआ है.
प्लानिंग कमीशन रिपोर्ट: ये डेटा के लिए एक अहम सोर्स था. प्लानिंग कमीशन में योजनाओं को आंका जाता था और फिर तय होता था कि काम किस रफ्तार से और कैसे चल रहा है. अब कोई विकल्प नहीं है. सरकार जो भी डेटा देती है उसपर भरोसा करना पड़ता है. नीति आयोग भी ऐसा नहीं करती, वो तो एक पीआर और थिंक टैंक एजेंसी जैसी है.
CBI और ED का गलत इस्तेमाल: जैसा कि मैं देख पा रहा हूं इन एजेंसियों का इस्तेमाल राजनीति के लिए हो रहा है. अगर ऐसा नहीं भी हो रहा है तो मोदी/शाह के खिलाफ बोलने वालों पर इन एजेंसियों का डर बना हुआ है. विरोध करने वालों को रोकना लोकतंत्र पर खतरा है.
कलिखो पुल, जज लोया, शोहराबुद्दीन मर्डर केस की जांच में नाकाम रहना. उन्नाव में एक ऐसे विधायक को बचाना जिसके रिश्तेदार पर एक लड़की के पिता की हत्या का आरोप हो. FIR एक साल बाद दर्ज हो सकी.
नोटबंदी: ये नाकाम रहा, लेकिन सबसे बुरा ये है कि बीजेपी इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं. नोटबंदी से टेरर फंडिंग को रोकने, कैश को कम करने जैसी बातें बेतुकी हैं. इसने कई कारोबार को खत्म कर डाला.
जीएसटी: जल्दबाजी में लागू किया गया जिससे कारोबार को नुकसान पहुंचा. एक ही आइटम के लिए अलग-अलग रेट, उलझे हुए ढांचे ने नुकसान ही पहुंचाया है. और बीजेपी ने इस नाकामी को भी स्वीकार नहीं किया है.
उलझी हुई विदेश नीति: चीन का श्रीलंका में बंदरगाह है, बांग्लादेश और पाकिस्तान में उसकी खासी रूचि है. हम चारों ओर से घिरे हैं. मालदीव में विदेश नीति असफल रही. इन सबके बावजूद मोदी जी जब विदेश जाते हैं तो ये कहते हैं कि भारतीयों का 2014 से पहले विश्व में कोई सम्मान नहीं था और अब बहुत सम्मान मिल रहा है (ये बिलकुल बेतुका है. विदेश में भारत का सम्मान, बढ़ती अर्थव्यवस्था और आईटी क्षेत्र का सीधा परिणाम होता है. ये मोदी जी की वजह से थोड़ा भी नहीं बढ़ा. बल्कि बीफ के शक में हत्या, पत्रकारों को धमकी की वजह से खराब ही हुआ है.)
योजनाओं की विफलता: सांसद आदर्श ग्रामा योजना, मेक इन इंडिया, स्किल डेवलपमेंट, फसल बीमा योजना (ये सरकारें इंश्योरेंस कंपनियों के लिए योजनाएं बना रही हैं क्या?). रोजगार और किसान संकट के लिए कुछ भी नहीं कर सकी है सरकार. हर वास्तविक मुद्दे को विपक्षी पार्टियों का स्टंट बताना.
पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम: इसकी कीमतों को लेकर मोदीजी, बीजेपी के मंत्री और सभी समर्थकों ने कांग्रेस की आलोचना की थी. अब पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत को ये सही बता रहे हैं जबकि पहले की तुलना में कच्चा तेल अभी सस्ता है.
सबसे जरूरी मुद्दे पर बात नहीं: एजुकेशन और हेल्थकेयर जैसे सबसे अहम मुद्दों पर बात नहीं होती है. सरकारी स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं है. कोई कार्रवाई नहीं की गई. पिछले 4 साल में हेल्थकेयर के भी हालात खस्ता हैं.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
बदसूरत क्या है?
शिवम शंकर सिंह ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि उनके मुताबिक इस सरकार का सबसे नकारात्मक चेहरा है कि कैसे इसने देश में बातचीत का मुद्दा ही बदलकर रख दिया. ये पूरे प्लान के तहत किया गया. शिवम ने मोदी सरकार के 8 ‘बदसूरती’ अपने ब्लॉग में बताई है.
सरकार ने मीडिया को बदनाम कर दिया है. हर सवाल उठाने वाले पत्रकार को बिका हुआ साबित करने की कोशिश की गई. ये मुद्दे उठाते हैं और खुद ही उन मुद्दों की अनदेखी कर छोड़ जाते हैं.
ऐसा बताया जा रहा है कि 70 साल में भारत में कुछ भी नहीं हुआ, जो हो रहा है इसी सरकार में हो रहा है. ये सरासर झूठ है और ये मानसिकता देश के लिए खतरनाक है. इस सरकार ने विज्ञापनों पर हमारे करदाताओं के पैसे का 4,000 करोड़ खर्च किया और अब ये ट्रेंड बन जाएगा. काम छोटा, ब्रांडिग बड़ी. मोदी कोई ऐसे पहले नहीं थे जो सड़क बनवा रहे हैं, उनसे बेहतर सड़के मायावती और अखिलेश ने बनवाईं हैं. लेकिन हर स्कीम का प्रचार कुछ ऐसे ही किया जा रहा है.
फेक न्यूज का प्रचार बेहद तेजी से हुआ है. एंटी बीजेपी फेक न्यूज भी हैं, लेकिन प्रो-बीजेपी और एंटी-अपोजिशन वाले फेक न्यूज की संख्या कई गुना ज्यादा हैं. ज्यादातर ऐसे मैसेज बीजेपी की तरफ से ही आते हैं, ये समाज तोड़ने वाले मैसेज होते हैं. इससे ध्रुवीकरण बढ़ता जा रहा है.
हिंदू खतरे में हैं. ये शिगूफा छेड़ दिया गया है. लोगों के दिमाग में ये बिठाया जा रहा है कि हिंदू और हिंदूत्व खतरे में है और मोदी इसे बचाने वाले एकमात्र विकल्प हैं. हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं है.
सरकार के खिलाफ बोलने वाले एंटी-नेशनल कहे जाते हैं और अब तो एंटी-हिंदू भी. ऐसी लेबलिंग करके तो सरकार की आलोचना भी बंद कर दी गई है. अपना राष्ट्रवाद साबित करो, हर जगह वंदे मातरम गाते रहो (ऐसे बीजेपी नेता भी वंदेमातरम गाने को कहते हैं जिनको इसका एक शब्द भी नहीं पता!).
बीजेपी के स्वामित्व वाले न्यूज चैनल चल रहे हैं, जिनका इकलौता काम है हिंदू-मुस्लिम, नेशनलिस्ट-एंटी नेशनलिस्ट, भारत-पाकिस्तान पर डिबेट करना. लोगों की भावनाओं को भड़काना. असली मुद्दों से उनका दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं.
ध्रुवीकरण: विकास का सारा मैसेज खत्म हो गया. अब अगले चुनाव के लिए बीजेपी की रणनीति है ध्रुवीकरण और छद्म राष्ट्रवाद. मोदी जी के भाषणों में भी आपको जिन्ना-नेहरु, कांग्रेस नेताओं ने जेल में भगत सिंह से मुलाकात नहीं की (फेक न्यूज, जो खुद पीएम ने दी) ऐसे ही चीजें मिलेंगी. इन सबके एक ही मायने हैं, ध्रुवीकरण करो और चुनाव जीत लो.
आखिर में शिवम ने लिखा है कि मैं नरेंद्र मोदी जी का साल 2013 से समर्थक था. उनमें मुझे देश के लिए और विकास के लिए आशा की किरण दिखती थी. अब सब खत्म हो गया है. मुझे मोदी और शाह की खामियां उनकी सकारात्मक चीजों से ज्यादा लगती हैं.