Chhath Puja 2019: छठ पूजा आज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है. इस खास त्योहार की शुरूआत नहाय-खाय से होती है.

क्विंट हिंदी
धर्म और अध्यात्म
Updated:
छठ पूजा का इस साल 2 नवंंबर को है.
i
छठ पूजा का इस साल 2 नवंंबर को है.
फोटो- I Stock

advertisement

दिवाली के छह दिनों के बाद आने वाली छठ पूजा को उत्तर भारत में खास तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है. हालांकि, अब छठ पर्व की रौनक बिहार, झारखंड, पूर्वी यूपी, महाराष्ट्र और पड़ोसी देश नेपाल में भी देखने को मिलती है. छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है. इस खास त्योहार की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इस साल छठ के त्योहार की शुरूआत 31 अक्टूबर से हुई थी. जिसे 3 नवंबर तक मनाया जाएगा.

सुबह स्नान के बाद व्रती महिलाएं पूजा सामग्री के लिए अनाज को साफ करती हैं. इसके बाद इसे धूप में ढ़ककर सुखाती हैं. इस त्योहार में अनाज को धुलने से लेकर सुखाने तक का काम काफी ध्यान से किया जाता है. इसके बाद फिर से महिलाएं स्नान करती हैं. इस व्रत में महिलाएं एक बार अनाज खाने के बाद दिन में सिर्फ खरना का प्रसाद ले सकती हैं.

खरना क्या होता है? जानें महत्व

छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना कहते हैं. इस दिन महिलाएं नहाए खाए के दिन सुखाए गए अनाज को चक्की में पिसवाती हैं. अनाज को मुंह में पट्टी बांधकर पीसा जाता है, ताकि अनाज पवित्रता बनी रहे. खरना के दिन गुड़ की खीर बनती है और कच्चे चूल्हे पर रोटियां सेंकी जाती हैं. पूजा के बाद इस प्रसाद को व्रती महिलाएं भी खाती हैं. इस प्रसाद को ज्यादा से ज्यादा बांटा जाता है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

संध्या अर्ध्य में देवी की पूजा

2 नवंबर को महिलाएं सुबह स्नान के बाद नहा धोकर छठ डाला करेंगी. इस डाले में पांच तरह के फल, नई सब्जियां सहित गन्ना, शकरकंद, मूली, गाजर, अदरक आदि पूजा के लिए रखी जाती है. इन सभी चीजों को बांस की डालिया (डाला) में रखा जाता है. शाम को सूरज डूबने के बाज नदी या तालाब किनारे महिलाएं भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर सभी साम्रगी अर्पित करती हैं. इस साल सूर्यास्त के बाद पूजा का समय-17:35:42 बजे है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देती हैं.

दूसरे अर्घ्य में देवी उदयाचल की पूजा

छठ के आखिरी दिन व्रती महिलाएं उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं. उस दिन सूर्योदय का समय 6 बजकर 34 मिनट बताया जा रहा है. आखिरी दिन व्रती महिलाएं पूजा के लिए सुबह करीब 3-4 बजे उठती हैं. स्नान करने के बाद वह उगते हुए सूर्य की पूजा करती हैं. महिलाएं सूरज उगने के आधे घंटे पहले से ही कमर तक गहरे पानी में खड़ी रहती हैं. उगते सूर्य की पूजा के साथ ही छठ पर्व समाप्त हो जाता है. इसी दिन महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 26 Oct 2019,10:08 AM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT