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देशभर में गणपति का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. मान्यता है कि गणेश जी की पूजा करने से किसी भी शुभ कार्य में कोई विघ्न-बाधा नहीं आती. कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी का त्योहार मन और लगन के साथ मनाने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है, इसलिए हर शुभ काम करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है.
गणेश चतुर्थी पर लोग अपने घरों में गणपति की स्थापना करते हैं और तीसरे, पांचवें दिन या अपनी श्रद्धा के अनुसार 10 दिन में विसर्जन करते हैं. स्थापना के साथ-साथ विसर्जन का भी शुभ मुहूर्त और पूजा विधि होती है, जिसके बारे में हम आपको जानकारी दे रहे हैं.
विसर्जन के दिन परिवार के सभी सदस्य एक साथ आरती करते हैं. आरती करने के बाद भगवान को भोग लगाया जाता है, जिसे बाद में परिवार के सदस्यों को दिया जाता है. विसर्जन Uttarang Puja से शुरू होता है. इसमें गणपति को पांच चीजें- दीप, फूल, धूप, सुगंध और नैवेद्य दिए जाते हैं.
विसर्जन के समय घर से निकलने से पहले परिवार के सभी लोग आरती करते हैं. आरती और प्रसाद के बाद परिवार का एक सदस्य एकदम धीरे-धीरे गणपति की मूर्ति को थोड़ा आगे बढ़ाता है. ऐसा घर से निकलने के 5 से 10 मिनट पहले किया जाता है. ऐसा करना गणपति को इशारा करता है कि अब विसर्जन का समय आ गया है.
गणेश चतुर्थी के तीसरे दिन विसर्जन के शुभ मुहूर्त हैं- दोपहर 3:11 से शाम 6:15 बजे तक, शाम 7:43 से रात 12:08 तक, फिर सुबह 3:05 से 4:33 तक.
पांचवें दिन के शुभ मुहूर्त हैं- सुबह 6:01 से 10:36 तक, दोपहर 12:07 से 1:39 तक, शाम 4:42 से 6:13 तक, रात 9:10 से 10:39 तक, रात 12:07 से 4:33 तक.
सांतवें दिन के शुभ मुहूर्त हैं- सुबह 7:33 से 12:07 तक, दोपहर 1:38 से 3:09 तक, शाम 6:12 से रात 10:38 तक, फिर सुबह 1:35 से 03:04 तक, सुबह 4:33 से 06:01 तक.
चतुर्दशी की तिथि 12 सितंबर सुबह 5:06 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 7:35 तक है.
इसके शुभ मुहूर्त हैं- सुबह 6:01 से 07:32 तक, सुबह 10:34 से 3:07 तक, शाम 4:38 से 9:07 बजे तक, फिर रात 12:05 से तड़के 1:34 तक.
(Source: timesofindia.indiatimes.com)
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