Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Zindagani Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Dharma our aadhyatma  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कृष्‍ण की आराधना के लिए ‘मधुराष्‍टकम्’ से ज्‍यादा मधुर और क्‍या!

कृष्‍ण की आराधना के लिए ‘मधुराष्‍टकम्’ से ज्‍यादा मधुर और क्‍या!

‘मधुराष्टकम्’ का अर्थ समझना आसान है. वीडियो लिंक के जरिए आप इसे गाने का तरीका जान सकते हैं.

अमरेश सौरभ
धर्म और अध्यात्म
Updated:
i
null
null

advertisement

कृष्‍ण की लीलाओं का वर्णन करने वाले कई मधुर भजन लोगों के बीच प्रचलित हैं. इनमें सूरदास और मीराबाई की रचनाएं आसानी से गाए जाने लायक हैं. बात चाहे मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो की हो या मेरो तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई, ऐसी रचनाएं लोगों को कृष्‍ण-भक्‍त‍ि के सागर में गोते लगाने को बाध्‍य कर देती हैं.

कुछ रचनाओं में बाल कृष्‍ण के नटखट रूप की झलक मिलती है. कुछ रचनाओं में कृष्‍ण के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव है. इन लोकप्रिय गीत-भजन के बीच मधुराष्टकम् ऐसा स्‍तोत्र है, जो संस्‍कृत में होने के बावजूद गाने और समझने में एकदम आसान है. इसमें कृष्‍ण और उनकी मनोहारी लीलाओं का वर्णन किया गया है. इसे वल्‍लभाचार्य ने लिखा है.

मधुराष्टकम् का अर्थ समझना मुश्किल नहीं है. आप Youtube पर मधुराष्टकम् या Madhurashtakam सर्च करके इसे गाने का तरीका भी जान सकते हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
(फोटो: iStock)

मधुराष्टकम्

अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।

हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 1 ।।

श्रीमधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है. उनके होठ मधुर हैं, मुख मधुर है, आंखें मधुर हैं, हास्य मधुर है. हृदय मधुर है, गति भी गति मधुर है.

वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम्

चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 2 ।।

उनके वचन मधुर हैं, चरित्र मधुर हैं, वस्त्र मधुर हैं, अंगभंगी मधुर है. चाल मधुर है और भ्रमण भी अति मधुर है. श्रीमधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है.

वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।

नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 3 ।।

उनका वेणु मधुर है, चरण की धूल मधुर है, करकमल मधुर है, चरण मधुर है. नृत्य मधुर है, सख्य भी अति मधुर है. श्रीमधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है.

गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् ।

रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 4 ।।

उनका गान मधुर है, पान मधुर है, भोजन मधुर है, शयन मधुर है. रूप मधुर है, तिलक भी अति मधुर है. श्रीमधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है.

करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम् ।

वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 5 ।।

उनका कार्य मधुर है, तैरना मधुर है, हरण मधुर है, रमण मधुर है, उद्धार मधुर है और शांति भी अति मधुर है. श्रीमधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है.

गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।

सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 6 ।।

उनकी गुंजा मधुर है, माला मधुर है, यमुना मधुर है, उसकी तरंगें मधुर हैं, उसका जल मधुर है और कमल भी मधुर है. श्रीमधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है.

गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् ।

दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 7 ।।

गोपियां मधुर हैं, उनकी लीला मधुर है, उनका संयोग मधुर है, वियोग मधुर है, निरीक्षण मधुर है और श‍िष्टाचार मधुर है. श्रीमधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है.

गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।

दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 8 ।।

गोप मधुर हैं, गौएं मधुर हैं, लकुटी मधुर है, रचना मधुर है, दलन मधुर है और उसका फल भी अति मधुर है. श्रीमधुराधिपति का सभी कुछ मधुर है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 31 Aug 2018,06:42 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT