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प्रयागराज कुंभ में होने वाला दूसरा शाही स्नान मेला प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है. मकर संक्रांति के हवा हवाई दावे के उलट मौनी अमावस्या पर प्रशासन का सामना हकीकत की भीड़ से हुआ तो उसके होश फाख्ता हो गए. 3200 हेक्टेयर में बसे कुंभ में चारों तरह सिर्फ सिर ही दिखाई दे रहे हैं. रविवार की रात से आस्था का रेला संगम की ओर चल पड़ा है. श्रद्धालुओं को संभालने में सर्दी के इस मौसम में भी प्रशासन के पसीने आ गए हैं.
कुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर स्नान का विशेष महत्व होता है. लिहाजा दूसरे शाही स्नान पर संगम में डुबकी लगानेके लिए प्रयागराज में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा है. वैसे भी मेला प्रशासन ने दूसरे शाही स्नान पर पहले ही करोड़ों में भीड़ की संभावना व्यक्त की है. अब भीड़ को संभालने में प्रशासन को कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा है.
मेले में बदइंतजामी से बचने के लिए प्रशासन ने गाड़ियों को कई किलोमीटर पहले ही रोक दिया है. चप्पे-चप्पे पर चौकसी बढ़ा दी गई है. प्रशासन की टेंशन सिर्फ श्रद्धालु ही नहीं नागा साधु भी हैं, जो कब और किस बात पर भड़क जाएं, पता नहीं. अधिकारियों की बस यही दुआ है कि अगले 24 घंटे सकुशल खत्म हो जाएं. अधिकारियों को डर सता रहा है कि अत्यधिक भीड़ के चलते कहीं कोई अनहोनी ना हो जाए. दरअसल साल 2013 में लगे कुंभ के दौरान मौनी अमावस्या पर इलाहाबाद जंक्शन पर भगदड़ हो गई थी.
मकर संक्रांति के मौके पर मेला प्रशासन ने दावा किया था लगभग 2 करोड़ लोगों ने शाही स्नान में भाग लिया. लेकिन क्विंट की पड़ताल में मेला प्रशासन का ये दावा फेल साबित हुआ. लेकिन इस बार हालात अलग दिख रहे हैं. जानकारों के मुताबिक पहले शाही स्नान पर श्रद्धालुओं की अपेक्षा सैलानियों की भीड़ अधिक थी. सरकार ने जिस तरह से कुंभ की ब्रांडिंग की थी, उसे देखने की ललक में लोग कुंभ में पहुंचे थे.
कुंभ के दूसरे शाही स्नान में भीड़ सैलानियों की नहीं बल्कि असल श्रद्धालुओं की दिखाई पड़ रही है. साथ ही कुंभ की असल रौनक कल्पवासी होते हैं. जो पौष पूर्णिमा के बाद से ही कुंभ में डेरा जमाये हैं.
इस भीड़ से निपटने के लिये प्रशासन ने कमर कसी है. उसने बड़ी तादात में स्नान से दो दिन पहले आती हुई भीड़ को देख कर जहां गंगा में चालीस और नये घाट बनाये हैं तो वहीं पहली बार32 सौ हेक्टेयर में फैले मेले के22 सेक्टरों में संगम जोन से दूर गंगा के किनारे के सेक्टरों में भीड़ को डायवर्ट कर दिया है. इतना ही नहीं भीड़ के दबाव को झेलने के लिये मेले में पारम्परिक तरीके से बनाये जाने वाले भूल भूलैया को भी बनाया है.जिसमे घंटों भीड़ को प्रशसान तब तक घूमता रहेगा जब तक संगम पर भीड़ का दबाव कम न हो जाये.
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