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Ratha Saptami 2024: माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को आज रथ सप्तमी मनाई जा रही है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन ग्रहों के राजा कहे जाने वाले सूर्यदेव का जन्म हुआ था, लिहाजा रथ सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की उपासना की जाती है. सूर्य देवता का पूजन करने से जीवन में आ रहे सभी संकट दूर होते हैं और कुंडली में ग्रहों की स्थिति भी मजबूत होती है.
रथ सप्तमी को अचला सप्तमी या, सूर्य सप्तमी और आरोग्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है. इसी दिन से सूर्य के सातों घोड़े उनके रथ को वहन करना प्रारंभ करते हैं, इसलिए इसे रथ सप्तमी भी कहते हैं.
रथ सप्तमी शुक्रवार, फरवरी 16, 2024 को
रथ सप्तमी के दिन स्नान मूहूर्त - 05:17 ए एम से 06:59 ए एम
रथ सप्तमी के दिन अरुणोदय - 06:35 ए एम
रथ सप्तमी के दिन अवलोकनीय सूर्योदय - 06:59 ए एम
सप्तमी तिथि प्रारम्भ - फरवरी 15, 2024 को 10:12 ए एम बजे
सप्तमी तिथि समाप्त - फरवरी 16, 2024 को 08:54 ए एम बजे
रथ सप्तमी के दिन अरुणोदय में स्नान करना चाहिए.
स्नान करने के बाद सूर्योदय के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और विधि-विधान पूर्वक उनकी पूजा करें.
अर्घ्य देने के लिए सबसे पहले सूर्य देव के समक्ष खड़े होकर नमस्कार मुद्रा में हाथ जोड़ें.
एक छोटे कलश से भगवान सूर्य को धीरे-धीरे जल चढ़ाकर अर्घ्यदान दें.
इसके बाद गाय के घी का दीपक जलाएं.
इसके साथ ही पूजा के दौरान सूर्य देव को लाल फूल अर्पित करें.
भविष्य पुराण की पौराणिक कथा के अनुसार एक वैश्या ने अपने जीवन में कभी कोई दान-पुण्य नहीं किया. बुढ़ापे में जब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह ऋषि वशिष्ठ के पास गईं. उसने ऋषि के समक्ष अपनी भावनाएं व्यक्त कीं. तब वशिष्ठ जी ने उन्हें रथ सप्तमी यानी अचला सप्तमी के व्रत का महत्व बताते हुए कहा कि इस दिन यदि कोई व्यक्ति सूर्य को जल अर्घ्य देकर भगवान सूर्य को दीप दान करता है तो उसे बहुत पुण्य मिलता है. वैश्या ने ऋषि के कहे अनुसार रथ सप्तमी का व्रत किया, जिसके प्रभाव से शरीर त्यागने के बाद उसे इंद्र की अप्सराओं की मुखिया बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.
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