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आज पूरे देशभर में महाशिवरात्रि का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) का विशेष महत्व होता है. साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यूं हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि कहते हैं. लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी पर पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है. महाशिवरात्रि को पूरे देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जाता है.
ऐसी मान्यता है कि दुनिया की शुरुआत में इसी दिन आधी रात में भगवान शिव का निराकार से साकार रूप में अवतरण हुआ था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शंकर की शादी भी हुई थी. इसलिए रात के वक्त शंकर भगवान की बारात निकाली जाती है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की कृपा पाने के लिए लोग व्रत भी रखते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन का व्रत फलदायी होता है.
निशिथ काल पूजा- 24:08 से 25:00
पारण का समय- 06:57 से 15:23 (22 फरवरी)
चतुर्दशी तिथि आरंभ- 17:20 (21 फरवरी)
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 19:02 (22 फरवरी) (सोर्स- https://www.drikpanchang.com/ )
महाशिवरात्रि को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार पार्वतीजी ने भगवान शिवशंकर से पूछा, 'ऐसा कौन-सा श्रेष्ठ और सरल व्रत-पूजन है, जिससे मृत्युलोक के प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते हैं?' उत्तर में शिवजी ने पार्वती को 'शिवरात्रि' के व्रत का उपाय बताया था.
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