advertisement
Sawan Shivratri 2023: इस बार सावन शिवरात्रि पर बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है, धार्मिक मान्यता के अनुसार जो भी भक्त सच्चे मन से इस दिन व्रत करना हैं भगवान शिव उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं, आइए जानते हैं कब है सावन मास की शिवरात्रि.
इस बार 14 तारीख को 7 बजकर 18 मिनट से त्रयोदशी तिथि का आरंभ होगा और 15 तारीख को रात को 8 बजकर 33 मिनट तक रहेगी, इसके बाद चतुर्दशी तिथि आरंभ होगी. महाशिवरात्रि का अभिषेक करना चाहते हैं तो निशीथ काल में करना शुभ रहेगा. रात में 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. इस बार सावन शिवरात्रि का व्रत 15 जुलाई को किया जाएगा. इस दिन बहुत हो शुभ वृद्ध योग और त्रयोदशी तिथि भी हैं. ऐसे में इस बार की शिवरात्रि और भी उत्तम और शुभ रहने वाली है.
बता दें इस साल सावन का महीना बेहद खास है, क्योंकि इस बार सावन एक नहीं बल्कि दो महीना का होगा. दरअसल, इस साल सावन में मलमास या अधिकमास लग रहा है, इस वजह से सावन दो महीने का रहेगा. शिव भक्तों को शंकर जी की आराधना करने के लिए 4 की जगह 8 सोमवार मिलेंगे.
इस साल पंचांग के अनुसार सावन का कृष्ण पक्ष 4-17 जुलाई तक रहेगा. इसके बाद 18 जुलाई से 16 अगस्त तक अधिकमास रहेगा. फिर 17 अगस्त से सावन का शुक्ल पक्ष शुरू होगा जिसकी समाप्ति 31 अगस्त 2023 को होगी.
10 जुलाई 2023 से सावन के पहले सोमवार व्रत शुरू
17 जुलाई 2023 सावन का दूसरा सोमवार
18 जुलाई 2023 से मलमास लग जाएगा जो 16 अगस्त तक रहेगा.
21 अगस्त 2023 सावन का तीसरा सोमवार शुद्ध
28 अगस्त 2023 सावन का चौथा सोमवार शुद्ध
24 जुलाई 2023 मलमास का पहला सावन सोमवार
31 जुलाई 2023 मलमास का दूसरा सावन सोमवार
7 अगस्त 2023 मलमास का तीसरा सावन सोमवार
14 अगस्त 2023 मलमास का चौथा सावन सोमवार
कई लोग महाशिवरात्रि को ही शिवरात्रि भी बोलते हैं ऐसे में हम आपको बताते हैं कि सावन शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है, ये दोनों पर्व अलग-अलग हैं. शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आती है. वही महाशिवरात्रि साल में एक बार मनाई जाती है.
फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए इस पर्व को शिव और पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. यानी महाशिवरात्रि साल में एक बार तो वहीं शिवरात्रि हर महीने मनाई जाती है.
सावन के महीने में सोमवार के दिन सुबह जल्दी स्नान कर साफ वस्त्र पहने, इसके बाद व्रत रखने का संकल्प लें और किसी मंदिर या घर पर ही शिवलिंग और शिव परिवार पर गंगाजल चढ़ाएँ. इसके बाद ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करते हुए भगवान शिव का जलाभिषेक करें.
इसके आलाव शिवलिंग पर सफेद फूल, अक्षत, सफेद चंदन, भांग धतूरा, गाय का दूध, धूप, पंचामृत, सुपारी, बेलपत्र आदि चढ़ाएं. सावन के सोमवार का व्रत कर रहे हैं तो सावन सोमवार की कथा जरुर पढ़ें, अंत में भगवान शिव को प्रसाद जरुर चढ़ाएं.
दूध, दही, घी, शहद, भांग, शक्कर, केसर, चंदन, धतूरा, बेलपत्र, अक्षत, भस्म, रुद्राक्ष, शमी के पत्ते, इत्र, शक्कर, गंगाजल, गन्ने का रस, पान का पत्ता, लौंग, इलायची, फल, कपूर, धूप, दीप और भगवान शिव के प्रिय फूल (कनेर, हरसिंगार,धतूर के पुष्प, आक आदि).
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)