Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Zindagani Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019गुरुदत्त : अपना ही घर जलाकर तमाशा देखने वाला जीनियस फिल्ममेकर

गुरुदत्त : अपना ही घर जलाकर तमाशा देखने वाला जीनियस फिल्ममेकर

आखिर वो कौन सा दर्द था जिसने सिर्फ 39 साल की उम्र में गुरुदत्त की जान ले ली

नीरज गुप्ता
जिंदगानी
Updated:
बेहतरीन फिल्में बनाने वाले गुरुदत्त की जिंदगी बेहद गमगीन रही
i
बेहतरीन फिल्में बनाने वाले गुरुदत्त की जिंदगी बेहद गमगीन रही
फोटो: स्क्रीनशॉट 

advertisement

वो साल 1963 के जून-जुलाई को कोई शाम थी. करीब चार बजे का वक्त था. अपने बंगले 48, पाली हिल के गेस्ट हाउस मे सो रही मशहूर गायिका गीता दत्त की नींद बाहर हो रहे शोरगुल से टूट गई. उन्होंने खिड़की से बाहर झांका तो दिल धक से रह गया. बाहर कुछ मजदूर-मिस्त्री उनके खूबसूरत बंगले को तोड़कर मिट्टी में मिला चुके थे.

यहां क्लिक कीजिए और सुनिए गुरुदत्त का ये अनसुना किस्सा

गीता ने हड़बड़ाहट में अपने पति और मशहूर एक्टर-डायरेक्टर गुरुदत्त को फोन किया और बताया कि मिस्त्रियों ने उनका पूरा घर तोड़ डाला. गुरुदत्त का जवाब था- तोड़ने दो, मैने उन्हें तोड़ने का हुक्म दिया है.

48, पाली हिल- ख्वाबों का आशियाना

वो कोई ऐसा-वैसा बंगला नहीं था. 1947-48 के दौरान देवानंद (परिचय की जरूरत नहीं) पाली हिल में रहा करते थे. गुरुदत्तऔर देवानंद में दोस्ती थी और गुरु कभी-कभार देव से मिलने उनके घर जाते थे. तभी गुरु ने सोचा था कि वो भी बांबे (अब मुंबई) के पॉश इलाके पाली हिल में एक बंगला खरीदेंगे.

कुछ साल बाद जब डायरेक्टर गुरुदत्त की बाजी, जाल, बाज जैसी फिल्में रिलीज हो चुकी थीं, एक दिन उन्होंने अखबार में इश्तेहार देखा कि पाली हिल में एक बंगला बिक रहा है. वो फौरन उसके मालिक से मिले. मालिक ने सवा लाख रुपये की मांग की लेकिन एक लाख रुपये में सौदा पट गया.
गुरु दत्त की पत्नी गीता दत्त एक जमाने में लता मंगेश्कर से भी बड़ी गायिका थीं(फोटो : ट्विटर)

तीन बीघा पर बने ख्वाबों को उस आशियाने को सजाने के लिए गुरुदत्त ने कश्मीर से लकड़ियां मगवाईं, बाथरूम के लिए इतालवी मार्बल आए, बगीचे के लिए एक से एक खूबसूरत फूल मंगवाए गए. 1956 में गुरुदत्त अपनी पत्नी गीता दत्त और बच्चों के साथ 48, पाली हिल में रहने के लिए आ गये.

बेहतरीन नस्ल के कुत्ते, लेग-हॉर्न मुर्गियां और गंगा-जमुना नाम की दो गाय. गुरुदत्तके यार-दोस्त उस बंगले को भूस्वर्ग, यानी धरती पर बना स्वर्ग कहते थे. और एक दिन गुरुदत्त ने उसी स्वर्ग को जमींदोज कर दिया.

मशहूर बंगाली लेखक बिमल मित्र (साहब, बीबी और गुलाम के लेखक) ने गुरुदत्त पर लिखी किताब ‘बिछड़े सभी बारी बारी’ में लिखा है कि जब उन्होंने गुरुदत्त से बंगला तोड़ने का करण पूछा तो जवाब था- गीता की वजह से.

बिमल ने अचकचाकर गुरु की तरफ देखा तो गुरु ने सिगरेट का लंबा कश लगाकर धुआं छोड़ते हुए कहा- घर ना होने की तकलीफ से घर होने की तकलीफ और भयंकर होती है, ये आप जानते हैं.

बस ऐसा ही था वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण उर्फ गुरुदत्त. एकदम सिरफिरा लेकिन उससे भी बड़ा जीनियस, जिसकी फिल्में एक खूबसूरत कविता की तरह दर्शकों के जहन में उतरती थीं और फिर वहीं ठहर जाती थीं, हमेशा के लिए.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
गुरुदत्त की फिल्में  आज भी सिनेमा के कोर्स का जरूरी हिस्सा मानी जाती हैं(ग्राफिक्स : अशुल तिवारी)

वो नाकाम रिश्ता..

गुरु और गीता ने 1953 में शादी की. लेकिन उसके कुछ महीनों बाद अभिनेत्री वहीदा रहमान एक हीरोइन के तौर पर गुरुदत्त की फिल्मों में आईं और फिर उनकी जिंदगी में भी. इस रिश्ते ने गुरुदत्त की शादीशुदा जिंदगी को बरबाद कर दिया. फिल्में तो बनती रहीं लेकिन जिंदगी बिगड़ती चली गई.

हालत ये थे कि गीता ने फिल्मों में वहीदा के लिए गाना तक बंद कर दिया. यानी वो अपनी आवाज तक वहीदा को नहीं देना चाहती थीं भले ही वो पर्दे पर ही क्यों ना हो.

यह भी पढ़ें: गुरुदत्त: बॉलीवुड का वो सितारा, जो जिंदगी भर ‘प्यासा’ ही रह गया

एक वक्त बॉलिवुड में चर्चा आम थी कि गुरुदत्त मुस्लिम धर्म अपनाकर वहीदा रहमान से शादी करने वाले हैं(फोटो: ट्विटर)
एक बार फिल्म प्यासा की शूटिंग के दौरान गीता दत्त ने वहीदा रहमान के नाम से चिट्ठी लिखकर गुरुदत्त को रंगे हाथों पकड़ने की योजना बनाईं जिसमें वो कामयाब ना हो सकीं लेकिन पति-पत्नी में जमकर झगड़ा हुआ. इन सबका का नतीजा ये कि गुरुदत्त जबरदस्त तरीके से शराब में डूब गए.

वो रात जब डूब गया सिनेमा का सितारा

लेखिका नसरीन मुन्नी कबीर की लिखी गुरुदत्त की बायोग्राफी के मुताबिक 9 अक्टूबर, 1964 की शाम गुरु के करीबी मित्र और उनकी ज्यादातर फिल्मों के लेखक अबरार अल्वी साथ में थे. गुरुदत्त शाम से ही शराब पी रहे थे और अल्वी उनकी अगली फिल्म बहारें फिर भी आएंगी का आखिरी सीन लिखने में व्यस्त थे.

रात करीब एक बजे गुरुदत्तने कहा कि ’अबरार तुम बुरा ना मानो तो अब मैं सोना चाहता हूं.’ इसके बाद अबरार भी चले गए.

करीब साढ़े तीन बजे गुरुदत्त उठे और अपने सहायक रतन से शराब की बोतल और नींद की गोलियां लेकर अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया. सुबह वो कमरे में मृत पाए गए. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक सुबह 05:30 बजे से 06:00 बजे के बीच उनका देहांत हुआ. उस वक्त गुरुदत्त की उम्र थी मात्र 39 साल.

उनकी मौत पर मशहूर शायर कैफी आजमी ने लिखा-

रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई,

तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई.

डरता हूं कहीं खुश्क न हो जाए समंदर,

राख अपनी कभी आप बहाता नहीं कोई.

आखिर में..

आप शायद ही जानते हों कि मशहूर फिल्म डायरेक्टर श्याम बेनेगल गुरुदत्त के रिश्तेदार थे. साल 2006 से 2012 तक बेनेगल राज्यसभा सांसद रहे. मैं उन दिनों संसद से रिपोर्टिंग करता था. एक बार मैने उनसे गुरुदत्त पर बात छेड़ी तो उनका बेबाक जवाब था- गुरुदत्त आत्मकरुणा के उस सिंड्रोम का शिकार हो गए थे जिसमें इंसान खुद को बेचारा समझने लगता है और दुनिया को जालिम. उस बेचारगी को दूर करने के लिए वो शराब या किसी और नशे का सहारा लेता है और अपनी जिंदगी बरबाद कर लेता है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 09 Jul 2018,11:59 AM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT