Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Zindagani Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019ओपी नैयर- सबसे ज्यादा फीस लेने वाले एक जिद्दी और विद्रोही संगीतकार

ओपी नैयर- सबसे ज्यादा फीस लेने वाले एक जिद्दी और विद्रोही संगीतकार

जानिए ओपी नैयर से जुड़ी तीन दिलचस्प बातें, और सुनिए उनके बनाए कुछ हर दिल अजीज गाने.

शौभिक पालित
जिंदगानी
Updated:
ओ पी नैयर ने साल 1952 में फिल्म ‘आसमान’ से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की थी.
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ओ पी नैयर ने साल 1952 में फिल्म ‘आसमान’ से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की थी.
(फोटो: altered by Quint Hindi)

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ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का...आपने शायद ही ऐसी कोई बारात देखी होगी, जिसमें ये वाला गाना न बजा हो. यही है हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज म्यूजिक कंपोजर ओमकार प्रसाद नैयर के सम्मोहक संगीत और उनके क्लासिक गानों का जादू, जो आज की पीढ़ी को भी थिरकने को मजबूर करता है.

आज जन्मदिन के दिन आइए जानते हैं ओपी नैयर से जुड़ी तीन दिलचस्प बातें, और साथ ही सुनते हैं उनके बनाए कुछ हर दिल अजीज गाने.

सबसे महंगे म्यूजिक कंपोजर

ओपी नैय्यर अपने दौर के सबसे महंगे संगीतकार थे. 1950 के दशक में एक फिल्म के लिए 1 लाख रुपये की फीस लेने वाले वे पहले संगीतकार थे. उस जमाने में ये बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी. उनकी काबिलियत को देखते हुए ये कहना बिलकुल सही होगा कि वे  इस फीस के हकदार थे. ये बात उन्हें और उनको पेमेंट देने वाले प्रोड्यूसर्स को बखूबी पता थी.

लता मंगेशकर के साथ नहीं किया काम

जिस लता मंगेशकर की आवाज का मुरीद हर संगीतप्रेमी है, और जिस लता मंगेशकर की आवाज बाकी दुनिया के लिए सबसे ज्यादा सुरीली थी, वो आवाज नैयर साहब को कभी न भायी. यही वजह है कि 73 फिल्मों में संगीत देने के बावजूद उन्होंने कभी लता जी से एक भी गाना नहीं गवाया. हालांकि यही वो कंपोजर थे, जिन्होंने आशा भोसले की आवाज की वेरिएशन का बखूबी इस्तेमाल करते हुए उन्हें सिंगिंग स्टार बनाया

एक इंटरव्यू में ओपी नैयर ने कहा था कि लता जी की आवाज में ‘पाकीजगी’ थी, जबकि अपने गानों के लिए उन्हें ‘शोखी’ की जरूरत थी, ये शोखी उन्हें आशा भोसले, गीता दत्त या शमशाद बेगम की आवाज में नजर आती थी. इसी वजह से उन्होंने लता जी के साथ काम नहीं किया.

AIR ने किया था बैन

पचास के दशक के दौरान आल इंडिया रेडियो ने नैयर के संगीत को ज्यादा मॉर्डन और पश्चिमी कल्चर से प्रेरित बताते हुए उनके गानों पर बैन लगा दिया था, और इनके गाने भारतीय रेडियो पर काफी लंबे समय तक नहीं बजाए गये. हालांकि इस बात से उन्हें रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ा और वे अपनी ही धुन में एक से बढ़कर एक धुन बनाते रहे, जो सुपरहिट गानों में तब्दील होते रहे.

16 जनवरी 1926 को लाहौर में जन्मे ओ पी नैयर ने साल 1952 में फिल्म 'आसमान' से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की थी. लेकिन उनको अपने हुनर की असली पहचान मिली गुरुदत्त की फिल्मों से. इनमें 'आरपार', 'मिस्टर एंड मिसेज 55', 'सीआईडी' और 'तुम सा नहीं देखा' जैसी फिल्में शामिल है.

इसके बाद ओपी नैयर ने ‘नया दौर’, ‘कश्मीर की कली’, ‘मेरे सनम’, ‘एक मुसाफिर एक हसीना’, ‘फिर वही दिल लाया हूं’, ‘सावन की घटा’, ‘रागिनी’, ‘किस्मत’, ‘फागुन’, ‘हावड़ा ब्रिज’, ‘बहारें फिर भी आयेंगी’, ‘संबंध’, ‘सोने की चिड़िया’, ‘कहीं दिन कहीं रात’, ‘ये रात फिर ना आयेगी’ और ‘नया अंदाज’ जैसी फिल्मों में संगीत देकर सुपरहिट गाने बनाए.

ओपी नैयर के बारे में कहा जाता है कि बड़े जिद्दी और विद्रोही स्वभाव के आदमी थे. उनका ये स्वभाव उनके आखिरी वक्त तक उनके साथ रहा. 28 जनवरी 2007 को उन्होंने दुनिया से अलविदा कह दिया.

अब उनके बनाए सदाबहार और खूबसूरत गानों में से कुछ चुनिंदा गाने भी सुन लीजिए-

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ले के पहला-पहला प्यार

ठंडी हवा काली घटा

जाने कहां मेरा जिगर गया जी

आइये मेहरबां

बाबूजी धीरे चलना

मांग के साथ तुम्हारा

एक परदेसी मेरा दिल ले गया

दीवाना हुआ बादल

वो हसीन दर्द दे दो

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Published: 16 Jan 2019,08:34 AM IST

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