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बॉलीवुड इंडस्ट्री के खतरनाक विलेन कहे जाने वाले प्राण भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी अदाकारी के चर्चे आज भी होते है. इंडस्ट्री में उन्हें आज भी उनकी एक्टिंग के बखूबी याद किया जाता है. फिल्मों में वे अपने किरदारों को एक अलग रूप दे देते थे. उन्होंने 1940 से 1990 के दशक तक दर्शकों को अपनी दमदार एक्टिंग कायल बना दिया था. इसलिए कहा जाता है कि वो हीरो से ज्यादा फीस चार्ज करते थे.
प्राण ने आखिर फिल्मों में कदम कैसे रखा इसके पीछे भी मजेदार किस्सा है. बात 1939 की है, लाहौर में एक पान की दुकान में कुछ लड़के अक्सर रात को पान खाने आया करते थे. इन्हीं में से एक प्राण भी थे. उन दिनों वे एक फोटोग्राफर के असिस्टेंट हुआ करते थे. इसी दौरान एक रात उनकी किस्मत ऐसी पलटी कि वे पूरी इंडस्ट्री पर छा गए.
एक रात प्राण पान की दुकान के पास बैठकर बड़े ही स्टाइल से सिगरेट पी रहे थे और पान खा रहे थे. उनकी नशीली आंखें और स्टाइल देखकर पास में खड़े एक आदमी ने उनका नाम पूछा तो उन्होंने ध्यान नहीं दिया. उस आदमी ने फिर पूछा, इस बार प्राण ने गुस्से में कहा, “आपको मेरे नाम से क्या करना है?” फिर आदमी ने बताया, “मैं वली मोहम्मद हूं, मशहूर फिल्म प्रोड्यूसर दलसुख एम पंचोली का राइटर. मैं एक फिल्म की कहानी लिख रहा हूं, जिसका नाम यमला जट है. उसका किरदार तुम्हारी तरह ही बात करता है, पान चबाता है, क्या तुम ये रोल करोगे?”
हालांकि, प्राण ने उस आदमी की बातों पर ध्यान नहीं दिया और मना कर दिया. मोहम्मद वली ने उन्हें अगले दिन स्टूडियो आने के लिए कहा. सुबह हुई तो प्राण ने सोचा, रात को वो आदमी पान की दुकान पर लोगों के सामने अपना इम्प्रेशन जमाने की कोशिश कर रहा होगा, कौन जाए स्टूडियो. और वे स्टूडियो नहीं गए. कई दिनों बाद जब प्राण एक दिन फिल्म देखने गए तो वहां फिर उनकी मुलाकात वली मोहम्मद से हुई. प्राण को देखते ही वो भड़क गए और डांटने लगे. इसके बाद प्राण ने कहा कि वे स्टूडियो आने के लिए तैयार है. प्राण की बात सुनकर वली ने कहा, “मुझे अपना पता दो, मैं साथ लेकर चलूंगा तुम्हें, क्योंकि मुझे तुम पर भरोसा नहीं है.”
अगले दिन प्राण स्टूडियो पहुंचे तो पंचोली साहब ने उन्हें साइन करना चाहा. प्राण ने कहा, “मेरे परिवार में किसी ने भी फिल्मों में काम नहीं किया है. मैं अपने घरवालों से इजाजत तो ले लूं.” प्राण की बात सुनकर पंचोली साहब भड़क गए और कहा कि अगर कॉन्ट्रेक्ट साइन करना है तो अभी करों नहीं तो जाओ. और इस तरह उन्होंने 50 रुपए महीने पर काम करना शुरू किया. फिर उन्होंने कॉन्ट्रेक्ट साइन किया.
प्राण बंटवारे के बाद पत्नी और एक साल के बेटे अरविंद को लेकर अगस्त 1947 में मुंबई आ गए. मुंबई में उनके पास कोई काम नहीं होने की वजह से पैसों की तंगी होने लगी. इसके बाद उन्होंने 8 महीने तक मरीन ड्राइव के पास स्थित एक होटल में काम किया. प्राण को हिंदी फिल्मों में पहला ब्रेक साल 1942 में फिल्म ‘खानदान’ से मिला था. इस फिल्म की नायिका नूरजहां थीं.
1960 से 70 के दशक में प्राण की फीस 5 से 10 लाख रुपए होती थी. केवल राजेश खन्ना और शशि कपूर को ही उनसे ज्यादा फीस मिलती थी. उन्होंने अपनी लाइफ में करीब 350 फिल्मों में काम किया.
1950 से 1980 यानी 4 दशकों तक प्राण फिल्म इंडस्ट्री के खूंखार विलेन के तौर पर मशहूर रहे. एक बार प्राण दिल्ली में अपने दोस्त के घर चाय पीने गए. उस वक्त उनके दोस्त की छोटी बहन कॉलेज से वापस आई तो दोस्त ने उसे प्राण से मिलवाया.
बता दें कि प्राण अपने किरदार को इतनी खूबी से निभाते थे कि लोग उन्हें असल में भी बुरा ही समझते थे. प्राण कहते थे कि उन्हें हीरो बनकर पेड़ के पीछे हीरोइन के साथ झूमना अच्छा नहीं लगता.
एक इंटरव्यू में प्राण ने बताया था,
अमिताभ बच्चन के करियर को संवारने वाली फिल्म जंजीर पहले धर्मेंद्र, देव आनंद और राजकुमार को ऑफर हुई थी, लेकिन फिल्म के प्रोड्यूसर-डायरेक्टर प्रकाश मेहरा इस फिल्म को इन तीनों में से किसी के साथ भी फ्लोर पर नहीं ला पाए. जब तीनों ने ‘जंजीर’ को ठुकरा दिया तो एक दिन प्राण ने प्रकाश मेहरा को अमिताभ बच्चन को फिल्म में लेने की सलाह दी. मेहरा के मुताबिक,
प्राण का जन्म दिल्ली बल्लीमारान के एक खानदानी रईस परिवार में हुआ था. प्राण के पिता लाला केवल कृष्ण सिकंद पेशे से सिविल इंजीनियर थे. वो ब्रिटिश सरकार के दौरान सरकारी निर्माण का ठेका लिया करते थे. केवल कृष्ण सरकारी इमारतों, सड़कों और पुल निर्माण में महारत रखते थे. प्राण ने 1945 में शुक्ला अहलूवालिया से शादी की थी. उनके 3 बच्चे हैं. दो बेटे अरविंद और सुनील सिकंद और एक बेटी पिंकी है.
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