कैमरा- सुमित बडोला
वर्ल्ड अर्थराइटिस डे 12 अक्टूबर को मनाया जाता है. वर्ल्ड अर्थराइटिस डे मनाने का मकसद लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना है. फिट ने अर्थराइटिस और उससे जुड़े तथ्यों पर एम्स की रूमेटोलॉजी डिपार्टमेंट हेड, डॉक्टर उमा कुमार से बातचीत की....
अर्थराइटिस क्या है?
डॉक्टर उमा कुमार कहती हैं कि आम भाषा में अर्थराइटिस का मतलब गठिया हो जाना है. लेकिन हमारे लिए ये जानना जरूरी है कि गठिया बहुत सारी बीमारियों का लक्षण है. हमें बुखार हो जाता है तो उसकी वजह कोई भी बीमारी हो सकती है, उसी तरह गठिया की वजह से 200 तरह की बीमारियां हो सकती हैं.
गठिया के लक्षण?
अर्थराइटिस में शरीर के जोड़ों में दर्द और सूजन हो जाती है. सुबह सो कर उठने के बाद जोड़ों में जकड़न महसूस होती है. डॉ उमा कहती हैं कि ये जकड़न 30 मिनट से अधिक की हो सकती है. इसके अलावा रोजमर्रा के कामकाज में भी परेशानी होती है.
विटामिन डी की कमी और अर्थराइटिस
विटामिन डी की कमी से शरीर के जोड़ों में दर्द हो सकता है. आंकड़ों के मुताबिक
80 से 90 फीसदी भारतीयों को विटामिन डी की कमी होती है.
इसकी बहुत सारी वजह बताई गई हैं,
जैसे....
गहरी रंगत
भारतीयों की त्वचा में मौजूद मेलेनिन की अधिकता सूरज की रोशनी से विटामिन डी लेने में रुकावट का काम करती है. भारतीयों में विटामिन डी कम होने के कुछ जेनेटिक कारण भी हैं.
विटामिन डी की कमी हो तो क्या करें?
डॉ उमा कुमार कहती हैं कि विटामिन डी की कमी हो, तभी सप्लीमेंट लेना चाहिए नहीं तो बिना कमी के सप्लीमेंट लेने से शरीर में विटामिन डी टॉक्सिसिटी हो सकती है.
महिलाओं को अर्थराइटिस का अधिक खतरा क्यों?
महिलाओं में अर्थराइटिस का एक कारण जेनेटिक है, दूसरी वजह फीमेल हार्मोन है, तीसरा कारण इम्यून सिस्टम है, महिलाओं का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है. लेकिन अगर उसमें कोई गड़बड़ होती है तो इम्यून सिस्टम अपनी बॉडी की कोशिकाओं को ही नष्ट करने लगता है. इसलिए महिलाओं में ऑटो इम्यून अर्थराइटिस का खतरा ज्यादा होता है.
क्या सावधानियां बरतें?
डॉक्टर उमा कहती हैं कि अगर आप चाहते हैं कि बाद में अर्थराइटिस की समस्या ना हो तो इन बातों पर ध्यान दें.
- जोड़ों में बार-बार चोट न लगे
- बार-बार संक्रमण ना हो.
- संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई पर ध्यान दें.
वायु प्रदूषण भी है अर्थराइटिस का कारण?
डॉक्टर उमा कहती हैं कि वायु प्रदूषण भी बहुत सारी बीमारियों की वजह माना जा रहा है.
युवाओं में अर्थराइटिस का खतरा
आजकल युवा भी कई गंभीर प्रकार के अर्थराइटिस से प्रभावित होते हैं. खासकर 20 से 40 की उम्र तक के युवाओं को अर्थराइटिस परेशानी होती है. जिसकी सबसे बड़ी वजह उनकी खराब जीवनशैली है.
अर्थराइटिस होने के बाद कैसा हो खानपान?
किसी को अर्थराइटिस होने पर हम उसे खाने-पीने की कोई मनाही नहीं करते हैं.डॉ उमा कुमार, रूमेटोलॉजिस्ट, एम्स, नई दिल्ली
किसी फूड प्रोडक्ट से अर्थराइटिस नहीं होता है. हां, अगर किसी को गॉओटी अर्थराइटिस है तो उसे रेड मीट, एल्कोहल, सी फूड नहीं लेना चाहिए.
अगर किसी फूड प्रोडक्ट से जोड़ों में दर्द बढ़ जाता है तो उससे परहेज करना चाहिए.
विटामिन डी के स्रोत?
डॉक्टर उमा कहती हैं वैसे तो विटामिन डी का मुख्य स्रोत सूरज की रोशनी है. इसके अलावा कई मिल्क प्रोडक्ट्स में भी विटामिन डी मिलाया जाता है. मछली में भी विटामिन डी होता है जैसे साल्मन या टूना मछली. मशरूम में भी थोड़ा बहुत विटामिन डी मिल जाता है.
दवाओं के साथ अर्थराइटिस में मददगार व्यायाम
अर्थराइटिस में दवा के साथ एक्सरसाइज और फीजियोथेरेपी मददगार होती है. इसके अलावा मरीज को एक्टिव रहने की सलाह दी जाती है.
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