ये चीज हजारों सालों से खाई जा रही है, युगों-युगों से हमारी दादी-नानी इसके फायदों पर जोर देती रही हैं. घी हमारी दाल, पुलाव, खिचड़ी, रोटी, पराठे, हलवे और लड्डू सभी में मौजूद है. यह खाना पकाने के मिडियम के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जो खाने के जायके को और मजेदार बनाता है. आज हम घी खाने से डरते हैं जबकि हमारे देश में कुछ ही साल पहले यह नियमित रूप से बिना अपराध-बोध के, बल्कि खुशी-खुशी खाया जाता था. अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो इसके बेहिसाब स्वास्थ्य लाभ हैं.
वेदों के अनुसार घी, खाने की सभी चीजों में सबसे पहला और जरूरी फूड है. चमत्कारी सुनहरा तरल, सुगंधित और स्वास्थवर्धक घी, घास चरने वाली गाय के दूध से बनाया जाता है, जो एक प्राकृतिक और प्रदूषणविहीन वातावरण में चरती है. आयुर्वेद घी को जरूरी फूड्स की लिस्ट में सबसे ऊपर रखता है.
आयुर्वेद, जिसका पीढ़ियों से पालन किया जाता रहा है, जीवन का एक प्राचीन तरीका भर नहीं है, बल्कि स्वस्थ जीवन जीने का एक समझदारी भरा तरीका है.
आयुर्वेदिक डाइट नाम की किताब की लेखिका रेनिता मल्होत्रा होरा कहती हैं, “आयुर्वेदिक दवा का इस्तेमाल निवारक और उपचारक दोनों तरीकों के तौर पर किया जाता है.”
घी क्या है?
घी, जिसे संस्कृत में ‘घृत’ के नाम से जाना जाता है, परिष्कृत मक्खन है, जिसकी शुरुआत प्राचीन भारत में हुई थी. इस सफेद अनसॉल्टेड बटर को सुनहरा तरल बनने तक गर्म करके तैयार किया जाता है. गर्म करने से नमी भाप बन कर उड़ जाती है और शुगर व प्रोटीन अलग होकर तल पर बैठ जाती है. तरल को छलनी से छान कर एक साफ जार में इकट्ठा कर लिया जाता है.
ऋग्वेद और महाभारत में वर्णित घी भारत में शुद्ध और पवित्र माना जाता है, शुभ माना जाता है. यह समृद्धि का प्रतीक है. यहां तक कि पुराने जमाने में घी के बर्तन को हाथ धोने के बाद ही छुआ जाता था, भले ही आप खाना पकाने के दौरान उसे छू रहे हों.
वेदों के अनुसार, घी पूर्णिमा पर तैयार किया जाना चाहिए क्योंकि इस दिन दूध और मक्खन ऊर्जा से भरपूर होता है.
आयुर्वेद के अनुसार घी के स्वास्थ्य लाभ
आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘सुश्रुत संहिता’ के अनुसार घी पूरे शरीर के लिए फायदेमंद है. यह धातु (ऊतक) बनाने, वात और पित्त दोषों को शांत करने के लिए बहुत अच्छा है. घी में एंटीऑक्सिडेंट, लाइनोलिक एसिड और फैट में घुलनशील ए, ई और डी जैसे विटामिन भरपूर होते हैं. यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को स्वस्थ रखकर पाचन को मजबूत बनाता है.
- घी जलन, हाइपर एसिडिटी, अपच, मिर्गी, खाने का स्वाद ना आना, लगातार बुखार, सिरदर्द के इलाज में फायदेमंद है. यह कनेक्टिव टिश्यू को भी चिकनाई देता है और लचीलेपन को बढ़ाता है.
- घी का उपयोग शरीर के ऊपर भी किया जाता है और इसे पित्त प्रकार की त्वचा के मामले में मालिश के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
- घाव और फफोले पर घी को शहद के साथ मिला कर लगाया जाता है.
- यह हार्मोन को संतुलित करता है, इसमें फैट में घुलनशील विटामिन होते हैं और यह ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होता है.
- यह शरीर को गर्म रखता है. इसलिए यह पारंपरिक रूप से सर्दियों के कई खानों में इस्तेमाल किया जाता है.
- एनर्जी का एक अच्छा स्रोत माने जाने वाले घी में एंटी-माइक्रोबायल और एंटी-फंगल गुण होते हैं. यह पूरे देश में बच्चों को दूध पिलाने वाली मांओं की डाइट का एक जरूरी हिस्सा है.
- घी में गुड फैट होता है और यह कोशिकाओं से फैट में घुलनशील टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करता है.
- यह नर्वस सिस्टम की बीमारियों के लिए एक आयुर्वेदिक दवा के रूप में जाना जाता है.
स्वस्थ और ताकतवर बनने के लिए हर दिन एक से दो चम्मच घी लें. रोटियों पर घी लगा कर खाना अपने डाइट में घी लेने का अच्छा तरीका है. इसके साथ ही रोटी को नरम और आसानी से हजम होने वाली बनाने के लिए फूड के ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम करने का एक शानदार तरीका है.
जानी-मानी न्यूट्रिशनिस्ट रुजुता दिवाकर के मुताबिक, “घी मेटाबॉलिज्म में लिपिड के योगदान को बढ़ाकर कोलेस्ट्रॉल को कम करता है. तनाव की हालत में लिवर ज्यादा कोलेस्ट्रॉल का उत्पादन करता है. घी आपको तनाव मुक्त करने, बेहतर नींद लाने और तरोताजा रहने में मदद करता है.”
भारत में, घरों में घी को बड़े बर्तनों में रखने का रिवाज है, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित किया जाता रहा है. भारतीय सुपर फूड घी आपको लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियों से निपटने में मदद कर सकता है. अफसोस की बात है कि हम में से बहुत से लोग आज घी नहीं बनाते हैं. यह अपनी जड़ों की तरफ वापस लौटने और घर पर ही घी तैयार करने का समय है.
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(नूपुर रूपा एक फ्रीलांस राइटर हैं और मदर्स के लिए एक लाइफ कोच हैं. वे पर्यावरण, फूड, इतिहास, बच्चों के पालन-पोषण और यात्रा पर लेख लिखती हैं.)
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