भारत में टीबी के बढ़ते मामले सरकार के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं. साल 2018 में नवंबर तक देश में टीबी के मरीजों की तादाद बढ़कर 18.62 लाख हो गई है, जो पिछले साल 18.27 लाख थी.
मरीजों की संख्या बढ़ने की वजह जल्दी शिनाख्त करने वाली जांच व्यवस्था के विस्तार, प्राइवेट और सामुदायिक भागीदारी वाले संस्थानों में देखभाल के इच्छुक मरीजों के साथ जुड़ना है.अश्विनी कुमार चौबे, स्वास्थ्य राज्यमंत्री
सरकार की 2025 तक टीबी को खत्म करने की रणनीति का जिक्र करते उन्होंने बताया कि इसके लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (National Strategic Plan-NSP) 2017-2025 बनाई गई है, जो खास तौर पर उन क्षेत्रों पर ध्यान देगी जहां से टीबी के अधिक मामले आते हैं.
इस योजना में मरीजों की जल्द से जल्द जांच, मरीज को मदद दिए जाने के साथ गुणवत्ता वाली दवाएं और इलाज मुहैया कराना शामिल है.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया था कि टीबी से होने वाली मौतों की संख्या में कमी आने के बावजूद इसका उन्मूलन एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. वहीं कई देश 2030 तक टीबी के उन्मूलन के लिए अभी भी पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहे हैं.
टीबी को रोकने और नियंत्रित करने के लिए एक मिला-जुला प्रयास जरूरी है, जिसमें डॉक्टरों की अहम भूमिका है. शुरुआत में ही टीबी की पहचान और बेहतर इलाज से इसे आगे फैलने से रोका जा सकता है.
(इनपुट: भाषा और आईएएनएस)
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