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5 बड़े मुद्दे-5 बडे़ एक्सपर्ट- बजट 2022 को दिग्गजों ने कितने नंबर दिए?

बजट 2022 : राकेश झुनझुनवाला ने कहा चीन की राह पर है भारत, एक्सपर्ट ने कहा किसानों की आय का वादा अधूरा, हेल्थ नाकाफी

क्विंट हिंदी
आम बजट 2022
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<div class="paragraphs"><p>5 बड़े मुद्दे-5 बडे़ एक्सपर्ट- बजट 2022 को दिग्गजों ने कितने नंबर दिए?</p></div>
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5 बड़े मुद्दे-5 बडे़ एक्सपर्ट- बजट 2022 को दिग्गजों ने कितने नंबर दिए?

फोटो- क्विंट हिंदी

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (finance minister nirmala sitharaman) द्वारा प्रस्तुत किए गए वित्त वर्ष 2022-23 के बजट (union budget 2022) के बाद विभिन्न सेक्टर के एक्सपर्ट्स आम बजट पर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं. किसी को यह बजट संतुलित लग रहा है तो कई सेक्टर के विशेषज्ञ इसे नाकाफी बता रहे हैं. आइए जानते हैं पांच अलग-अलग क्षेत्रों के दिग्गजों की प्रतिक्रिया...

आर्थिक विकास को बढ़ावा, लेकिन समय पर हो घोषणाओं का एग्जीक्यूशन : दीपक पारेख

फाइनेंसियल एक्सप्रेस के अनुसार HDFC के चेयरमैन दीपक पारेख का कहना है कि उन्हें खुशी है कि खुशी है कि वित्त मंत्री ने टैक्स रेट्स के साथ छेड़छाड़ नहीं की और रिबेट का विकल्प नहीं चुना. वे आगे कहते हैं कि वित्त मंत्री ने बजट 2022 में लॉजिस्टिक्स और अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर सहित इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च को बढ़ावा दिया है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अब अहम बात यह होगी कि इन प्रोजक्ट्स का एग्जीक्यूशन कैसे किया जाता है. इन सभी कार्यों को 12 महीने की समय सीमा में करने की जरूरत है.

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान रेवेन्यू जेनरेशन अच्छा रहा और टैक्स कलेक्शन भी पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर था. कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन में अच्छी वृद्धि दर्ज की गई और ऐसा ही आयकर और जीएसटी के मामले में भी हुआ. इसके साथ ही, निर्यात में भी बढ़ोतरी हुई है.
दीपक पारेख, एचडीएफसी के चेयरमैन
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डिजिटल करेंसी के मामले में चीन को फॉलो कर रहा है भारत : राकेश झुनझुनवाला

सीएनबीसी-टीवी 18 के अनुसार बजट में क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में कई ऐलान के बाद राकेश झुनझुनवाला ने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि भारत डिजिटल करेंसी के मामले में चीन को फॉलो कर रहा है. उन्होंने कहा, वास्तव में बजट 2022 ने आरबीआई को डिजिटल करेंसी को बढ़ावा देने में एक मात्र सक्षम अथॉरिटी बना दिया है, इस प्रक्रिया से दूसरी सभी क्रिप्टो को खत्म किया जा रहा है. यह इसलिए भी अहम हो जाता है, क्योंकि क्रिप्टो करेंसी बिल अभी भी संसद में पेश किया जाना बाकी है. झुनझुनवाला ने कहा,

“मुझे लगता है, सरकार चाहती है कि रिजर्व बैंक डिजिटल करेंसी को बढ़ावा दे और दूसरी सभी करेंसी को खत्म कर दे, जैसे चीन कर रहा है. एक तरह से यह सही सोच भी है.”
राकेश झुनझुनवाला, शेयर मार्केट एक्सपर्ट

मनरेगा का बजट कम कर दिया, रोज़गार के लिहाज से सरकार को जो करना चाहिए था वो उसने नहीं किया : प्रोफेसर अरुण कुमार

बीबीसी के अनुसार इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस में मैलकॉम एसए. चेयर के प्रोफेसर और वरिष्ठ अर्थशास्त्री अरुण कुमार का कहना है कि रोज़गार के लिहाज से सरकार को बजट में जो करना चाहिए था वो उसने नहीं किया है. बेरोज़गारी चरम पर है. मनरेगा का बजट 98 हज़ार करोड़ रुपये से घटा कर 73 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है. ज़्यादातर जगहों पर 100 दिनों के बजाय 50 दिनों का ही काम मिल रहा है. ऐसे में ग्रामीण इलाकों में तो पहले ही रोज़गार कम हो गया है. शहरी इलाकों में रोज़गार गारंटी की जो बात थी वह अब तक समझ से परे है."

अरुण कुमार को सरकार के पूंजीगत खर्च बढ़ाने की बात पर भी भरोसा नहीं है. वह कहते हैं कि

"सरकार पूंजीगत खर्च बढ़ाने की बात कर रही है. लेकिन अब तक वह इस साल के लिए निर्धारित 5.4 लाख करोड़ रुपये का आधा भी खर्च नहीं कर पाई है. अब बाकी के तीन-चार महीने वो बाकी आधी रक़म कैसे खर्च कर लेगी. मुझे सरकार के पूंजीगत खर्च से जुड़े आंकड़े सही नहीं लगते. देखा जाए तो न सामान्य खर्च बढ़ता नज़र आ रहा है और न ज़्यादा पूंजीगत खर्च की स्थिति बन रही है. ऐसे में पूंजीगत खर्च के ज़रिए रोज़गार बढ़ाने की बात बेमानी लगती है."

पीएलआई स्कीम के जरिए 60 लाख नौकरियां पैदा करने के दावे पर वे कहते हैं कि

"पीएलआई स्कीम तभी काम करेगी, जब या तो हमारा निर्यात लगातार बढ़े या फिर आंतरिक खपत में इज़ाफ़ा हो. लेकिन फिलहाल यह होता नहीं दिख रहा है. दूसरी बात यह कि पीएलआई स्कीम के तहत संगठित क्षेत्र के उद्योग आते हैं, जहां ऑटोमेशन पर जोर है. मशीनों से ज़्यादा काम हो रहा है. इसलिए हाथ से काम करने वाले श्रमिकों के लिए रोज़गार की गुंजाइश कम है."
अरुण कुमार, वरिष्ठ अर्थशास्त्री

किसानों की आय दोगुनी करने का वादा अधूरा, जैविक खेती की बात तो होती है लेकिन इसके खर्च पर बजट मौन है : देवेंद्र शर्मा

जनसत्ता में प्रकाशित खबर के अनुसार कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा का कहना है कि बजट में जितनी राशि का प्रावधान किया गया है, वह तो पिछले साल के मुकाबले भी कम है, जबकि इसमें बढ़ोतरी होनी चाहिए थी. बीजेपी ने 2014 में वादा किया था कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी कर दी जाएगी, लेकिन आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में आए बजट में सरकार ने यह वादा पूरा नहीं किया. बजट में सरकार ने रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की बात कही है. लेकिन इसके लिए क्या उपाय किए जाएंगे और कितना पैसा खर्च होगा, इस पर बजट मौन है. बिजली, बीज, डीजल, रासायनिक खाद और कीटनाशक लगातार महंगे हो रहे हैं. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सभी फसलों की खरीद की कोई व्यवस्था नहीं है.

अभी तो किसान बुनियादी सुविधाओं और ढांचे के लिए ही मशक्कत कर रहा है. पर बजट में सरकार ने उसे किसान ड्रोन जैसे सपने दिखा दिए. कुल मिलाकर किसानों को बजट से बड़ी उम्मीद थी, लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण ने उन्हें निराश ही किया.

बजट में स्वास्थ्य सेवा का जिक्र बहुत कम है : डॉ. नरेश त्रेहान

मेदांता के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक डॉ. नरेश त्रेहान ने कहा कि बजट में स्वास्थ्य सेवा का जिक्र बहुत कम है. 2-3 चीजें हमारी मदद करती हैं. एक यह है कि स्किलिंग इनीशिएटिव तेज हो गया है, जो कि अच्छी चीज है. हेल्थकेयर सिस्टम में सहायता के लिए हमें कुशल जनशक्ति की आवश्यकता है. लेकिन इसके अलावा, इस बजट में अन्य मुद्दों में से किसी पर भी ध्यान नहीं दिया गया. मूल बात यह है कि 3-4 चीजें हैं, जिन्हें आगे बढ़ाने की जरूरत है.

हमें इस तरह की घटनाओं (कोविड-19) के लिए बहुत अच्छी तरह से तैयार रहना होगा. इसलिए एक मजबूत बुनियादी ढांचे की जरूरत है.’
‘इस तरह की महामारियों से निपटने के लिए उच्च स्तरीय देखभाल अस्पतालों की जरूरत है. हमें राष्ट्रीय प्राथमिकता के स्तर पर फंडिंग की जरूरत है, क्योंकि हमें हेल्थ सेवाओं को अपग्रेड करने, नई तकनीकों का विस्तार करने, रिसर्च करने की भी जरूरत है, ताकि हम खुद पर अधिक निर्भर हो सकें.'
डॉ नरेश त्रेहान, मेदांता के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक

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