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2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के मोदी सरकार के वादे हवा-हवाई साबित होते दिख रहे हैं. वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में जहां सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए कुछ घोषणाएं कीं, तो वहीं दूसरी तरफ किसानों को कोई भी प्रत्यक्ष और तात्कालिक फायदा मिलता नहीं दिख रहा. वित्त मंत्री ने अपने डेढ़ घंटे के बजट भाषण में कुल 16 बार किसान शब्द का इस्तेमाल किया लेकिन 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के लक्ष्य पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक शब्द भी नहीं बोला. किसान "पीएम किसान सम्मान निधि योजना" की सहायता राशि में बढ़ोतरी की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी. हालांकि, सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना की अनुमानित राशि पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 के 65,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 68,000 करोड़ रुपए जरूर कर दी है. लेकिन वित्तमंत्री ने किसान योजना की सहायता राशि में बदलाव का कोई ऐलान नहीं किया, यानी पीएम किसान योजना में किसानों को पहले की तरह ही 6 हजार रुपये सालाना मिलते रहेंगे.
इसके आलावा किसानों को एक उम्मीद MSP गारंटी के लिए कानून बनाए जाने को लेकर भी थी. दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से भी ज्यादा समय तक चले किसान आंदोलन के खत्म होने के बाद किसान नेता लगातार MSP गारंटी को लेकर कानून बनाने की मांग कर रहे थे. यूपी-पंजाब समेत 5 राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को देखते हुए किसान नेता ये उम्मीद कर रहे थे कि सरकार MSP गारंटी को लेकर कुछ ऐलान कर सकती है लेकिन ऐसा भी कुछ नहीं हुआ. सरकार ने तो विभिन्न फसलों की MSP बढ़ाने को लेकर भी कोई घोषणा नहीं की. इतना ही नहीं, गेहूं और धान की MSP खरीद के आंकड़े बता रहे हैं कि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2020-21 की तुलना में साल 2021-22 में करीब 34 लाख कम किसानों से खरीद की है. यानी, लाभार्थी किसानों की संख्या घट गई, जिसकी वजह से करीब 78 लाख मीट्रिक टन अनाज की कम खरीद हुई और सरकार को करीब 11,000 करोड़ रुपए कम खर्च करने पड़ रहे हैं.
किसान नेता योगेंद्र यादव ने इस बजट को किसानों से सरकार का बदला बताया है. योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार किसान आंदोलन से तिलमिलाई हुई है. पहले के बजट भाषणों में किसानों के लिए आवंटन न सही लेकिन कम से कम बातें तो अच्छी-अच्छी की जाती थीं. लेकिन इस बार के बजट में तो नाम के लिए भी कोई घोषणा नहीं हुई. जाहिर है प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री किसानों से बेहद नाराज हैं. योगेंद्र यादव ने किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के वादों पर तंज कसते हुए कहा कि पिछले 5 सालों के बजट में किसानों की आय दोगुनी करने को लेकर लंबी-लंबी कविताएं सुनाई जाती थीं लेकिन इस साल के बजट में जब जवाबदेही की बात आई तो चुप्पी साध ली गई. योगेंद्र यादव ने कृषि और उससे संबंधित गतिविधियों के लिए पिछले बजट में आवंटित राशि (कुल बजट का 4.36%) की तुलना में इस बार की आवंटित राशि (कुल बजट का 3.84%) कम किए जाने पर सवाल उठाए. योगेंद्र यादव ने एग्रीकल्चर इंवेस्टमेंट फंड, फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन्स, पीएम अन्नदाता आय संरक्षण योजना, पीएम फसल बीमा योजना और मनरेगा जैसी कई योजनाओं की आवंटन राशि में कटौती का मुद्दा भी उठाया.
बजट आने के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने किसानों को भारी धोखा दिया है. किसानों की आय दोगुनी करने, सम्मान निधि, 2 करोड़ रोजगार, एमएसपी, खाद-बीज, डीजल और कीटनाशक पर कोई राहत नहीं दी गई. एमएसपी खरीद में बजट एलोकेशन से फसलों में घाटा होगा. राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने MSP का बजट पिछले साल से काफी कम कर दिया है और ऐसा लगता है कि सरकार दूसरी फसलों की MSP पर खरीद करना ही नहीं चाहती.
मंगलवार को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि रबी 2021-22 में गेहूं की खरीद व खरीफ 2021-22 में धान की अनुमानित खरीद में 163 लाख किसानों से 1,208 लाख मीट्रिक टन गेहूं एवं धान शामिल होगा और एमएसपी के तौर पर 2.37 लाख करोड़ रुपए का भुगतान सीधा किसानों के खाते में किया जाएगा. वित्त मंत्री ने कहा कि पीपीपी मोड में एक नई योजना शुरू की जाएगी जिसके तहत किसानों को डिजिटल और हाइटेक सेवाएं प्रदान की जाएंगी. इसके लिए सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसंधान और विस्तार संस्थाओं के साथ-साथ निजी कृषि प्रौद्योगिकी कंपनियां और कृषि मूल्य श्रृंखला के हितधारक शामिल होंगे.
वित्त मंत्री ने कहा कि 44,605 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से केन-बेतवा लिंक परियोजना लागू की जाएगी. इस परियोजना का उद्देश्य 9.08 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना है. इसके जरिए 62 लाख लोगों के लिए पेयजल की आपूर्ति करने के अलावा 103 मेगावाट हाइड्रो और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी उपलब्ध कराई जाएगी. मंत्री ने बताया कि इस परियोजना के लिए संशोधित अनुमान 2021-22 में 4,300 करोड़ रुपए और साल 2022-23 में 1,400 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. इसके अलावा, दमनगंगा-पिनजाल, पार-तापी-नर्मदा, गोदावरी-कृष्णा, कृष्णा-पेन्नार और पेन्नार-कावेरी रिवर लिंक्स के मसौदा डीपीआर को अंतिम रूप दे दिया गया है और लाभार्थी राज्यों के बीच आम सहमति होने के साथ ही केन्द्र सरकार इसके कार्यान्वायन के लिए आवश्यक सहायता जारी कर देगी.
देश भर में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा जिसके तहत पहले चरण में गंगा नदी के किनारे पांच किलोमीटर चौड़े कॉरिडोर में स्थित किसानों की जमीन पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा. फसलों के आंकलन, भूमि दस्तावेजों के डिजिटलीकरण, कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए ‘किसान ड्रोन’ के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा. वित्त मंत्री ने कहा कि तिलहन आयात पर निर्भरता कम करने के लिए एक तर्कसंगत एवं व्यापक योजना लागू की जाएगी, ताकि देश में तिलहन का उत्पादन बढ़ाया जा सके. वित्त मंत्री ने साल 2023 को ‘अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ मनाए जाने के परिप्रेक्ष्य में फसल के उपरान्त मूल्य संवर्धन(Promotion), घरेलू खपत को बढ़ाने तथा कदन्न (Millets) उत्पादों की घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांड्रिंग करने के लिए भी बजट में प्रावधान किया है.
कृषि क्षेत्र में स्टार्ट-अप व्यवस्था पर जोर देते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि सह-निवेश मॉडल के अंतर्गत सृजित मिश्रित पूंजीयुक्त कोष के लिए नाबार्ड से सहायता प्रदान की जाएगी. इस कोष का उद्देश्य ‘कृषि उत्पाद मूल्य श्रृंखला के लिए उपयुक्त कृषि और ग्रामीण उद्यमों से संबंधित स्टार्ट-अप्स का वित्त पोषण करना’ होगा. इन स्टार्ट-अप्स के क्रियाकलापों में अन्य बातों के अलावा किसानों को फार्म स्तर पर किराये के आधार पर विकेन्द्रीकृत मशीनरी उपलब्ध कराना, एफपीओ के लिए आईटी आधारित सहायता उपलब्ध कराना जैसे कार्य शामिल होंगे.
वित्त मंत्री ने घोषणा की है कि फलों और सब्जियों की उपयुक्त किस्मों को अपनाने और उत्पादन तथा फसल कटाई की यथोचित तकनीक का प्रयोग करने के लिए किसानों की सहायता हेतु केन्द्र और राज्य सरकारों की भागीदारी से एक व्यापक पैकेज प्रदान किया जाएगा. वित्त मंत्री ने साथ ही कहा कि राज्यों को अपने कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में संशोधन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि वे प्राकृतिक, जीरो-बजट और ऑर्गेनिक कृषि, आधुनिक कृषि, मूल्य संवर्धन एवं प्रबंधन की जरूरतों को पूरा कर सकें.
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