advertisement
इकनॉमी की सुस्ती को लेकर निशाने पर आई केंद्र सरकार ने कुछ जरूरी ऐलान तो कर दिए हैं, लेकिन वो कदम क्या वाकई उतने असरदार हैं जितना दावा किया जा रहा है.
शुक्रवार 23 अगस्त को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जिन कदमों का ऐलान किया उनमें 4 बातें सबसे अहम हैं-
सबसे बड़ी घोषणा फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट (एफपीआई) से जुड़ी है. बजट में सरकार ने एफपीआई के कैपिटल गेन्स पर सरचार्ज बढ़ाया था.
दूसरा बड़ा ऐलान था कि नगदी का संकट नहीं है. सरकार ने बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपए देने का ऐलान किया है.
तीसरी घोषणा की गई कि लोन लेने में प्रक्रियाओं को आसान बना दिया जाए.
अब इन पर बारीकी से नजर डाली जाए. एफपीआई पर सरकार का कदम वापस लेना असल में भूल सुधार है. सरकार को समझ आ गया था कि बाजार का मूड बहुत खराब है. ऐसे में ये कहना कि सरकार ने बूस्टर-डोज दिया है, इसकी गलत व्याख्या होगी.
कई विशेषज्ञों का मानना है कि दिक्कतें दूसरी हैं. सरकार के ऐलान के बाद भी सवाल ये है कि उपभोग की डिमांड बनेगी? क्या निवेश की डिमांड बनेगी?
इतना ही नहीं, एक बड़ा सवाल नगदी को लेकर भी है. क्या लोन के कायदे आसान कर देने से और नगद उपलब्ध करा देने भर से क्या कोई शख्स नया प्रोजेक्ट लगाने के लिए पैसे लेने के लिए तैयार है? क्या लोग अपने लिए गाड़ी-फ्रिज या कुछ भी नया लेने के लिए तैयार हैं?
अब बात इसके दूसरे पहलू की. सरकार इस बात का क्रेडिट लिए जा रही है कि वैश्विक उथल-पुथल के इस दौर में हमारे हालात उतने बुरे नहीं हैं जितने कई देशों में इस वक्त बने हुए हैं.
लेकिन ये सिर्फ एक तरीका है बाजार का मूड ठीक करने का. इसलिए आज के कदम के बारे में ये निष्कर्ष निकालना कि सरकार ने कोई बहुत बड़ा मूड बदल देने वाला बूस्टर डोज दिया है, गलत होगा.
इसके लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा क्योंकि जिस मंदी की गिरफ्तर में हम हैं उसमें इन छोटे-मोटे तात्कालिक कदमों से कोई सुधार होना संभव नहीं दिखता.
इसके अलावा अगर एफपीआई से शेयर बाजार का मूड ठीक होता भी तो चीन ने अमेरिका के सामान पर फिर से आयात शुल्क बढ़ा दिया है. ये फिर से मूड को चौपट कर देगा.
तो कुल मिलाकर कहानी ये है कि जब मरीज को बूस्टर डोज की जरूरत है तो सिरदर्द की गोली से उसकी तबीयत को ठीक नहीं कर सकते.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)