Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Business Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Aapka paisa  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019GDP से 15% ज्यादा शेयर बाजार की 'कीमत', निवेशक के लिए क्या संकेत?

GDP से 15% ज्यादा शेयर बाजार की 'कीमत', निवेशक के लिए क्या संकेत?

शेयर बाजार: GDP टू मार्केट कैप रेश्यो अब 115%

क्विंट हिंदी
आपका पैसा
Published:
<div class="paragraphs"><p>GDP to market ratio at 115%, should investors worry</p></div>
i

GDP to market ratio at 115%, should investors worry

रॉयटर्स

advertisement

शेयर बाजार की तेजी ने जहां एक तरफ निवेशकों के लिए बड़ा मुनाफा बनाया है, वहीं दूसरी ओर मार्केट के भविष्य को लेकर भी चिंतित किया है. बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप देश की GDP से भी 15% ज्यादा हो चुका है. बता दें कि हाल में ही जारी किए गए RBI रिपोर्ट में भी बाजार में बबल की संभावना की तरफ इशारा किया गया था. आइए समझते हैं इस स्थिति और इसके पीछे की वजहों को-

वर्तमान में 115% का GDP टू मार्केट कैप रेश्यो बीते 13 वर्षों का रिकॉर्ड स्तर है.

रिकॉर्ड स्तर पर मार्केट कैप टू GDP रेश्यो:

शेयर बाजार की हालिया तेजी किसी से छिपी नहीं है. बीते दिन 3 जून को ही NSE निफ्टी और BSE सेंसेक्स इंडेक्स अपने नए शिखर स्तर पर बंद हुए थे. कोविड की दूसरे लहर के दौरान मामलों के कई गुणा बढ़ जाने और आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिबंध के बावजूद मार्केट पर कोई बड़ा असर नहीं दिखा था.

बीते वर्ष नेशनल लॉकडाउन के ऐलान के समय शेयर बाजार की कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन करीब 113.5 ट्रिलियन डॉलर था. अब यह दोगुना होते हुए 226.5 करोड़ के पास पहुंच गया है. गौर करने वाली बात यह भी है कि इसी दौरान भारत की GDP वर्तमान कीमतों (current price) पर करीब 3% गिरकर 203 ट्रिलियन डॉलर से 197 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गई है. इस तरह वर्तमान में मार्केट कैप का GDP की तुलना में रेश्यो करीब 115% है.

एक समय 150% तक पहुंच गया था यह रेश्यो:

मार्केट कैप टू GDP रेश्यो दिसंबर 2008 में अपने शिखर 150% पर पहुंच गया था. वहीं इसका न्यूनतम मार्च 2005 में 52.4% रहा था. मार्च 2020 में बाजार में गिरावट के दौरान मार्केट कैप टू GDP रेश्यो 56.8% रहा जो कि 11 वर्षों का न्यूनतम स्तर था. करीब 16 वर्षों के दौरान इस रेश्यो का औसत करीब 79% रहा.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

एक्सपर्ट्स बता रहे हैं वजह:

जानकारों के अनुसार GDP का बाजार के मार्केट कैपिटलाइजेशन से कोई सीधा संबंध नहीं है. हालांकि मार्केट में ओवर वैल्यूएशन को समझने के लिए P/E रेश्यो और बुक वैल्यू रेश्यो को देखा जा सकता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक कुछ वजहों ने मार्केट कैप टू GDP रेश्यो के इस स्तर तक आने में मदद की है.

  • कोविड के दौरान आर्थिक गतिविधियों में कमी के कारण कॉर्पोरेट रेवेन्यू पर असर पड़ा. लेकिन इसके बावजूद भी कमोडिटी कीमतों में कमी और कम इंटरेस्ट दरों के कारण अच्छे कॉर्पोरेट प्रॉफिट की स्थिति से बाजार खुश दिख रहा है.

  • विश्व के अनेक देशों ने कोविड के बाद आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए मनी सप्लाई में बढ़ोतरी की है. बाजार में काफी लिक्विडिटी का होना भी एसेट कीमतों में तेजी की अहम वजह है.

  • मार्केट कैपिटलाइजेशन में जो हालिया वृद्धि हुई है उसमें स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक्स का बड़ा योगदान है. 2021 की शुरुआत से अब तक BSE सेंसेक्स इंडेक्स 9.4% चढ़ा है. वहीं, BSE मिडकैप इंडेक्स में 25% और स्मॉलकैप इंडेक्स में 33% की तेजी देखी गई है.

दूसरे देशों की तुलना में भी यह काफी अधिक:

वैश्विक स्तर पर देखने से भी भारत का मार्केट कैप टू GDP रेश्यो ज्यादा प्रतीत होता है. यह रेश्यो चाइना में 81%, ब्राजील में 73% और रूस में 52% है. इंडोनेशिया जिसकी प्रति व्यक्ति आय भारत के स्तरों के करीब है, वहां यह रेश्यो केवल 47% है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT