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हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenberg Report) के बाद बिकवाली का सामना करने वाली अडानी समूह (Adani Group) की कंपनियों के लिए अच्छी खबर है. अडानी समूह की कंपनी आडानी पोर्ट्स (Adani Ports) को पहली बार बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के सेंसेक्स (Sensex) में 24 जून को शामिल किया जा रहा. आडानी पोर्ट्स विप्रो को हटाकर सेंसेक्स में शामिल हो रही है.
चलिए आपको बताते हैं कि आखिर अडानी पोर्ट्स के सेंसेक्स में शामिल होने का मतलब क्या है? सेंसेक्स क्या होता है? सेंसेक्स में किसी कंपनी को कैसे शामिल किया जाता है?
भारत में दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं जहां कंपनियों के शेयर्स की आम लोगों के बीच खरीदारी और बिकवाली होती है. एक है बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और दूसरा है नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE). BSE और NSE में भारत की कंपनी रजिस्टर्ड है. लेकिन शेयर बाजार का क्या हाल है, उसे दिखाने के लिए स्टॉक एक्सचेंज अपने इंडेक्स का इस्तेमाल करते हैं.
ये इंडेक्स हैं सेंसेक्स और निफ्टी 50.
BSE की कंपनियों के शेयर्स का हाल बताने के लिए सेंसेक्स इंडेक्स है जिसे सेंसेटिव इंडेक्स भी कहते हैं. वहीं NSE का इंडेक्स है निफ्टी 50.
सेंसेक्स को 1986 में लॉन्च किया गया था वहीं निफ्टी 50 को 1996 में लॉन्च किया गया था. दोनों में केवल कंपनियों की संख्या को लेकर ही अंतर है. जैसे सेंसेक्स में टॉप 30 कंपनी हैं और निफ्टी 50 में टॉप 50.
अडानी पोर्ट्स भारत की हजारों कंपनियों की तरह पहले से ही BSE में लिस्टेड हैं यानी शामिल हैं. लेकिन BSE का सेंसेक्स केवल टॉप 30 कंपनियों को ही शामिल करता है जो BSE में लिस्टेड होती हैं.
लेकिन अब ये खबर आई है कि सेंसेक्स टॉप 30 कंपनियों में अडानी पोर्ट्स को 24 जून से शामिल करने जा रहा है. ये साफ है कि अगर 30 कंपनियों में अडानी पोर्ट्स शामिल हो रहा है तो जाहिर सी बात है किसी एक कंपनी को इससे बाहर किया जाएगा. बाहर की जाने वाली कंपनी विप्रो है.
सेंसेक्स-निफ्टी में शामिल की गई कंपनियां जाहिर तौर पर बड़ी और स्थिर कंपनियां ही होती हैं. जैसे रिलायंस इंडस्ट्री, एचडीएफसी, आईटीसी, आदि. सेंसेक्स-निफ्टी में शामिल होने के लिए कंपनियों को 5 मानदंडों पर खरा उतरना पड़ता है:
सेंसेक्स में जिस कंपनी को शामिल किया जाता है वो कंपनी कम से कम 6 महीने तक BSE रजिस्टर होनी चाहिए और कंपनी के शेयर्स की ट्रेडिंग भी होती रहनी चाहिए.
कंपनी लार्ज कैप होनी चाहिए यानी कंपनी का मार्केट कैप 20 हजार करोड़ या इससे ज्यादा का होना चाहिए.
कंपनी को अच्छी लिक्विडिटी देनी चाहिए. यानी अगर कोई शेयर खरीद/बेच रहा है तो ट्रांजेक्शन आसानी से होना चाहिए. उस कंपनी के शेयर्स की खरीदारी/बिकवाली आसानी से होनी चाहिए.
कंपनी की कमाई उसके कोर बिजनेस से होनी चाहिए. उदाहरण के लिए कंपनी अगर डियो बेचने के नाम से रजिस्टर्ड है लेकिव वह कमाई जूते बेचकर करती है तो ऐसी कंपनी को इंडेक्स में शामिल नहीं किया जाता.
अगर इंडेक्स टॉप 30 कंपनियों का है तो 30 कंपनियों में सभी सेक्टर की कंपनी शामिल होनी चाहिए. बैलेंस जरूरी है, ऐसा न हो कि ज्यादातर कंपनी बैंकिंग सेक्टर की है या आईटी की.
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